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Home Loan देते वक्त बैंक वाले करते हैं ये चालाकी, 90 प्रतिशत लोगों को नहीं है जानकारी

Home Loan Tips and Tricks : अगर आप बिना पूरी जानकारी के होम लोन  लेने के लिए जा रहे है तो जरा रूकिए और इस खबर को विस्तार से पढ़ें। क्योंकि हमारी इस खबर से आपकी काफी सहायता होने वाली है। अकसर बैंक होम लोन देते वक्त ऐसी चलाकियां कर जाते है जिसके बार में ग्राहक को पता भी नही चलता है और वो बैंक वालों के चपेट में आ जाता है। आइए जान लें कि लोन देते वक्त बैंक वाले करते है क्या-क्या चालाकी...
 
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Home Loan देते वक्त बैंक वाले करते हैं ये चालाकी, 90 प्रतिशत लोगों को नहीं है जानकारी

My Job alarm -  हर कोई आज के जमाने में अपने सपनों को साकार करने के लिए कोई न कोई हल ढ़ूंढ़ ही लेता है। आज के जमाने में काफी ऐसे साधन आ गए है जिसके जरिए आप आसानी से अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते है। इनमें प्रमुख है बैंको द्वारा लोन की सुविधा (bank loan facility)। अगर आपका अपने खुद के घर का सपना  है तो आप होम लोन (home loan) लेकर इसे आसानी से पूरा कर सकते है वहीं अगर आप गाड़ी खरीदना चाहते है तो बैंक के द्वारा कार लोन (car loan) की भी सुविधा मुहैया कराई जाती है।

 

वैसे तो हर नौकरीपेशा अपनी सैलरी पर ही छोटी-छोटी खुशियां पूरी करता है। उसकी कई छोटी खुशियां भी लोन (loan) पर घर आती हैं। इन सब में वह कभी क्रेडिट कार्ड का प्रयोग (credit card uses) कर लेता है। घर में हर सामान एक खुशी लेकर आता है। इस तरक्की का गवाह पूरा परिवार बनता है और महसूस करता है। लेकिन सबसे बड़ी जरूरत घर की होती है। मेट्रो सिटीज में जो लोग नौकरी करने के लिए आते हैं वे किराए के मकान में पूरी जिंदगी बिता देते हैं। कुछ  में लोग फ्लैट (flat purchasing) लेकर जो आनंद महसूस करते हैं उसे बयान नहीं किया जा सकता है।

 


बैंकों की इस चाल से केवल जानकार ही कर सकते है बचाव
अगर आप लोन (buy home by taking loan) लेकर घर खरीदने या बनाने के बारे में सोच रहे है तो ये खबर आपके बेहद काम आने वाली है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब लोग अपना सपना साकार करने के करीब होते हैं तो वे ज्यादा भावुक होते हैं। उन्हें इस चीज की इतनी उत्सुक्ता हो जाती है कि कई बार वे लोन देने वाली संस्थाओं के कुचक्र (vicious circle of loan giving institutions) में फंस कर रह जाते हैं।

लेकिन ऐसा सबके साथ नही है। केवल चंद जानकार लोग ही होते हैं जो बैंकों के या वित्तीय संस्थाओं (financial institutions) के इस कुचक्र से खुद को बचा पाते हैं। आज हम इसी कुचक्र की बात करने जा रहे हैं और आपको समझाने का प्रयास करेंगे कि आपको क्या करना चाहिए। आप कैसे इस प्रकार के झांसे में फंसे और लंबे समय तक अपनी जेब पर बेवजह का बोझ न लाद लें। 


पैसा कमाना है बैंक का मेन मकसद
जब भी आप लोन लेने के लिए जाते हे तो बैंकों और वित्तीय संस्थाओं (financial institutions tricks) का केवल एक ही मेन मकसद होता है कि कैसे ग्राहक से ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाया जाए। वे आपके हित के लिए कम और अपने हित के लिए ज्यादा काम करते हैं। आपका हित केवल इतना है कि आप कैसे जानकारी के साथ अपने कदम बढ़ाएं।  


ये है बैंक की पैसा कमाने की चाल
आप बैंक में लोन (bank loan) लेने जाते है तो बैंक आपको लोन देता है। यह तो ठीक है। अब बैंक क्या करता है कि बैंक आपको लोन के साथ अब एक इंश्योरेंस पॉलिसी (insurance policy) भी बेच देता है। यह थोड़ा विचारणीय है। बैंक आपको लोन देता है उस पर ब्याज लेता है। बैंक आपको टर्म इंश्योरेंस (term insurance) देता है ताकि वह अपने लोन की सुरक्षा ले सके। यह अलग बात है कि बैंक लोन की सुरक्षा के लिए एक गारंटर (loan guranter) भी लेता है। कोर्ट के आदेशानुसार भी यह साफ है कि लोन लेने वाले के साथ उसका गारंटर भी लोन चुकाने (loan repayment) के लिए जवाबदेह है। 


ग्राहक यहां कर बैठते है गलती
अपनी उत्सुक्ता के चक्कर में ग्राहक जरूरी बातों पर गौर करना तो भूल ही जाते है। इन सब बातों में भी बैंक (bank news) अपनी एक और सुरक्षा तैयार करता है। वह टर्म इंश्योरेंस के साथ अपने पैसे की डबल सुरक्षा की गारंटी (Guaranteed double security of money) कर लेता है। चलिए बात यहां तक तो ठीक है। लेकिन बैंक यहां पर आपको सही और उचित जानकारी नहीं देता है। या लोन लेने वाले लोग अपनी भावुकता और उत्सुक्ता के चलते अमूमन इस बात पर ध्यान नहीं दे पाते।
ये होती है बैंक की चालाकी
अब अगर बैंक की चालाकी की बात करें तो बैंक बिना ग्राहक की जानकारी के ही चालाकी से आपके लोन के अमाउंट (loan amount) में इंश्योरेंस के अमाउंट में जोड़ देता है और आपको यह भी समझा देता है कि इस पॉलिसी के लिए आपको कुछ नहीं करना है। बैंक आपको ये बताएगा कि हम लोन के प्रीमियम (loan premium) में मात्र कुछ 100 रुपये जोड़ देंगे जो लोन की ईएमआई (loan EMI) के साथ ही धीरे-धीरे चुकता हो जाएगा। और होता भी यही है कि हम सभी इसे झट से स्वीकार लेते हैं। क्योंकि हम सभी को दिखता है कि मात्र चंद सौ रुपये के साथ ही हमारी पॉलिसी का प्रीमियम (insurance policy premium) चुकता हो जाएगा। हमें इसकी अलग से कोई चिंता नहीं करनी होगी। न ही अलग से कोई प्रयास करना होगा। 

ऐसे ग्राहक बन जाता है बेवकूफ
आपको अच्छे से समझाने के लिए बता दें कि मान लो कि आपने बैंक से 20 लाख का लोन (home loan rules) लिया है। इसके साथ ही आपको बैंक इंश्योरेंस पॉलिसी (bank insurance policy) देता है ताकि वह अपने लोन की सुरक्षा कर सके। जिस सिंगल प्रीमियम पॉलिसी की कीमत केवल 25 से 30 हजार रुपये की होती है। बैंक इस प्रकार की पॉलिसी के लिए आपकी ईएमआई में 200-300 रुपये तक प्रतिमाह जोड़ देता है।

बैंक करता यह है कि इस प्रीमियम की राशि आपके प्रिंसिपल अमाउंट (loan principal amount) में जोड़कर आपको लोन कर देता है। इसके चलते यदि यह लोन भी 20 साल का हो जाता है। यानी आप 300 प्रतिमाह के हिसाब से 3600 रुपये साल के दे रहें जो 10 साल में 36 हजार हो जाती है। और 20 साल में 72 हजार। गौर करने की बात तो यह होती है कि यह भी होम लोन (home loan tips) की तरह ही कटता है। यहां पर भी बैंक पहले ब्याज लेता है फिर मूलधन को कम करता है। 


जानिए क्या कहते हैं जानकार
इस मामले पर वित्तीय मामलों के जानकार ओपटिमा मनी के पंकज मथपाल ने बताया कि बैंक अकसर होम लोन के ब्याज से ज्यादा ब्याज (home loan interest rate) इस प्रकार की पॉलिसी के प्रीमियम (policy premium charges) के लिए चार्ज करते हैं। अगर मान भी लें कि बैंक ज्यादा प्रीमियम नहीं चार्ज करते हैं तब भी यह घाटे का ही सौदा है। 


उनका कहना है कि बैंक के लिए आपकी लाइबिलिटी (liability) उनका एसेट है। आप जब तक भी ईएमआई भरते रहेंगे यह चार्ज लगता रहेगा। अच्छा होगा कि बैंक इंश्योरेंस के प्रीमियम को अलग कर दें लेकिन ऐसा नहीं होता है। बैंक यहां पर ग्राहकों को सही गाइड नहीं करते हैं। 


इसके अलावा इंश्योरेंस लेना समझदारी की बात है। अगर रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी लेंगे तो बेहतर होगा। सिंगल प्रीमियम से अच्छा रहता है। वहीं यह जरूरी नहीं आप बैंक के माध्यम से ही पॉलिसी (bank insurance plan) खरीदिए क्योंकि आप बाजार में अन्य जगह से पता करके सस्ती प्रीमियम वाली पॉलिसी ले सकते हैं

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