होम लोन की कितनी EMI नहीं भरने पर बैंक कर देगा डिफॉल्टर घोषित, जानिये नियम
My job alarm - (Home Loan EMI Bounce) लोन आज के समय में एक जरूरत बन गया है। हर कोई आज जो सपने देखता है उसे बस सपने ही नही रखता है बल्कि हकीकत में बदलने का प्रयास करता है। और इसमें मदद करता है लोन। लोन (Loan) एक ऐसा जरिया है जिससे आज कोई भी काम रूकता नही है। आम आदमी लोन के जरिए अपने सपने पूरे करता हे और फिर धीरे-धीरे इस लोन को चुकाता है। लेकिन कई बार क्या होता है कि इतने लंबे समय के लोन के दौरान कर्जदार के सामने नौकरी गंवाने, दूसरे कर्जों में डूबने या फिर मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति आ सकती है, तो ऐसे में लोन की EMI बाउंस होने का रिस्क थोड़ा बढ़ जाता है। अगर आपने भी होम लोन (Home loan rules) लिया है, तो आपको मालूम होना चाहिए कि ईएमआई बाउंस होने की स्थिति में बैंक क्या करता है और कर्जदार को कब डिफॉल्टर घोषित किया जाता है। आपके भी यही सवाल हे तो आइए चलिए आज हम आपको बताते है इन सवालों के जवाब...
कब बैंक कर सकता है डिफॉल्टर घोषित
ये तो जाहिर सी बात है कि अगर आप लोन का भुगतान (loan repayment) नही करते है तो बैंक के द्वारा आपको डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा। लेकिन ये कब और किस स्थिति में होगा। मान लो किसी कस्टमर से पहली किस्त बाउंस (loan first EMI bounce) होती है तो उस बैंक उसे बहुत गंभीरता से नहीं लेता क्योंकि वो उसे चूक मान लेता है। जब ग्राहक की लगातार दो EMI मिस होती हैं, तब बैंक उसे नोटिस करता है और ग्राहक को ईएमआई भरने के लिए रिमाइंडर भेजता है। लेकिन जब तीसरी EMI की किस्त का भुगतान न हेा तो ऐसे में बैंक एक कानूनी नोटिस भेजता (Bank notice) है। कानूनी नोटिस के बाद भी ईएमआई न भरी जाए तो बैंक एक्शन में आता है और ग्राहक को डिफॉल्टर घोषित कर देता है।
क्या नीलामी से पहले मिलता है लोन चुकाने का मौका?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोन की ईएमआई चूकने (EMI bounce) के 90 दिन बाद बैंक लोन अकाउंट को NPA मान लेता है। जब लोन न चुकाया जाए तो कर्ज वसूलन के लिए बैंक के पास आखिरी विकल्प नीलामी होता है। हालांकि ऐसा नहीं कि एनपीए घोषित होते ही प्रॉपर्टी को नीलाम (property auction by bank) कर दिया जाता है। एनपीए की भी तीन कैटेगरी होती है- सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स। कोई लोन खाता एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की श्रेणी में रहता है, इसके बाद डाउटफुल असेट्स बनता है और जब लोन वसूली की उम्मीद नहीं रहती तब उसे ‘लॉस असेट्स’ (lossw assests) मान लिया जाता है। इसके बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू होती है।
नीलामी से पहले बैंक देता है फाइनल नोटिस
ऐसा नही है कि बैंक चुपचाप ये नीलामी कर देगा। नीलामी से पहले बैंक को पब्लिक नोटिस (public notice from bank before auction) जारी करना पड़ता है। इस नोटिस में असेट का उचित मूल्य, रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र किया जाता है। अगर बॉरोअर (borrower's rights) को लगता है कि असेट का दाम कम रखा गया है तो वो इस नीलामी को चुनौती दे सकता है।