Bank News : इस सरकारी बैंक ने चुपचाप महंगा कर दिया लोन, ग्राहकों को अब चुकानी होगी इतनी EMI
Canara Bank Loan EMI : इस बार RBI की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखा गया है। इस पर कमेटी ने कोई निर्णय नहीं लिया। इसके बावजूद कैनरा बैंक की ओर से एमसीएलआर बढ़ाते हुए (Canara Bank MCLR Hike) लोन महंगे कर दिए हैं। अब इसका सीधा असर लोन लेने वाले ग्राहकों पर पड़ेगा। उन्हें ज्यादा ईएमआई चुकानी पड़ेगी। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से इस खबर में।
My job alarm - RBI की ओर से रेपो रेट में बदलाव करने से बैंक से लिए जाने वाले विभिन्न लोन की ब्याज दरों में बदलाव होता है। रेपो रेट बदलने से बैंकों की MCLR (Margin Cost of Funds Based Lending Rates) बदलती है और लोन की ईएमआई (loan EMI) पर इसका प्रभाव पड़ता है। इसके बाद ग्राहक बैंक से लोन लेता है तो उसे उसी अनुसार लोन की ईएमआई चुकानी पड़ती है। इस समय कैनरा बैंक ने चुपचाप लोन की ब्याज दरों को महंगा कर दिया है, जबकि RBI की ओर से रेपो रेट (repo rate) में कोई परिवर्तन ही नहीं किया गया।
बैठक में नहीं हुआ इस पर कोई फैसला
अभी कुछ रोज पूर्व आरबीआई की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee of RBI) की बैठक हुई थी। यह कमेटी रेपो रेट पर निर्णय लेती है। नीतिगत ब्याज दरों (policy interest rates) यानी रेपो रेट पर फैसला लेने वाली इस कमेटी ने बैठक के दौरान रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। इसके बावजूद कैनरा बैंक ने लोन महंगे कर दिए हैं। यानी किसी भी तरह के लोन पर लोगों को पहले से ज्यादा EMI चुकानी होगी। बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI देश के बैंकों को लोन देता है।
बैंक ने MCLR में की इतनी बढ़ोतरी
केनरा बैंक ने अपने मार्जिन कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) में 5 बेसिस प्वाइंट्स यानी 0.05 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। ये नई दरें शनिवार 12 अक्टूबर से लागू किए जाने का बैंक ने निर्णय लिया है। अब सभी तरह के लोन की ब्याज दरें व EMI भी बढ़ जाएंगी। केनरा बैंक (Canara Bank MCLR Hike) ने एक साल का लोने लिए जाने पर एमसीएलआर 9 फीसदी से बढ़ाकर 9.05 फीसदी की है। अगर कोई एक महीने, 3 महीने और 6 महीने के लिए लोन लेता है तो एमसीएलआर 8.40 से लेकर 8.85 फीसदी के दायरे में आएगी। इसके अलावा एक दिन के कर्ज के लिए MCLR 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 8.30 फीसदी कर दी है।
MCLR तय करने का यह है तरीका
MCLR (Margin Cost of Funds Based Lending Rates) तय करते समय कई बातों को ध्यान में रखा जाता है। इसमें डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्स रेशो को बनाए रखने की कॉस्ट भी शामिल हैं। रेपो रेट में बदलाव होने पर एमसीएलआर रेट भी बदलते हैं। एमसीएलआर में बदलाव का असर फिर हर तरह के लोन की ब्याज दर पर पड़ता है। इसके बाद बैंक से लोन लेने वालों को ज्यादा ईएमआई चुकानी पड़ती है।
अब इतनी होगी लोन की ईएमआई
MCLR में बढ़ोतरी होने से अब लोन की EMI बढ़ जाएगी। यह असर ऑटो लोन, पर्सनल लोन, होम लोन सहित सभी तरह के लोन की ब्याज दरों पर पड़ेगा। हालांकि इसमें यह व्यवस्था है कि पुराने ग्राहकों को पहले से कुछ ज्यादा EMI चुकनी होगी लेकिन नया लोन लेने वाले ग्राहकों को महंगी ब्याज दरों पर लोन मिलेगा।