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Bank News - RBI ने बैंकों को दिए सख्त निर्देश, इन डिफॉल्टर्स पर मत करें रहम

Bank News - हाल ही में आए एक ताजा अपडेट के मुताबिक आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने बैंकों की उस मांग को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कर्ज नहीं चुकाने वालों को विलफुल डिफॉल्टर्स (Willful Defaulters) की श्रेणी में डालने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा था-

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Bank News - RBI ने बैंकों को दिए सख्त निर्देश, इन डिफॉल्टर्स पर मत करें रहम

My job alarm - (Willful Defaulters) भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने बैंकों की उस मांग को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कर्ज नहीं चुकाने वालों को विलफुल डिफॉल्टर्स (Willful Defaulters) की श्रेणी में डालने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा था। RBI ने स्पष्ट कर दिया है कि बैंक ऐसे व्यक्तियों को जो जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाते, छह महीने के भीतर विलफुल डिफॉल्टर्स घोषित (declared wilful defaulters) करने की प्रक्रिया को पूरा करें। इससे पहले, RBI ने इस प्रक्रिया की समय सीमा छह महीने कर दी थी। इस निर्णय के कारण बैंकों में निराशा देखी गई है। (Banking Sector)

 इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI New Guidelines) ने बैंकों को निर्देश दिया है कि कर्ज लेने वाले किसी व्यक्ति को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने की प्रक्रिया छह महीने के भीतर पूरी किया जाए। आरबीआई के मुताबिक, कर्ज लेकर चुकता नहीं करने वालों को विलफुल डिफॉल्टर के रूप में पहचानने में देरी से एसेट्स की वैल्यू में गिरावट (Decrease in the value of assets) आती है। इस निर्णय का उद्देश्य एसेट्स के मूल्य को स्थिर रखना है। इस कदम से बैंकों को कर्ज डूबने के जोखिम से बचने में मदद मिलेगी और इससे वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में सहारा मिलेगा। 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI Update) ने बैंकों के लिए कर्ज लेने वालों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने का खाका तैयार किया है। इस नीति के तहत, यदि कोई व्यक्ति 90 दिनों से अधिक समय तक मूलधन और ब्याज का भुगतान नहीं करता है, तो उसका लोन अकाउंट गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित किया जाता है। इसके बाद, बैंक उस कर्जदार को अंदरूनी तौर पर विलफुल-डिफॉल्टर के रूप में अलर्ट करते हैं। कर्ज लेने वाले को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दिया जाता है। हालांकि, कई बार कर्ज लेने वाला व्यक्ति इस समय का उपयोग प्रक्रिया में देरी करने या उसे बाधित करने के लिए करता है, जिससे बैंकों के लिए यह प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो जाती है। (RBI latest update)

आरबीआई (RBI) का मानना है कि विलफुल डिफॉल्टर की पहचान करना एक संवेदनशील मामला है और इसे जल्दी निपटाना जरूरी है। ऐसे मामलों में राजनीतिकरण की संभावना (possibility of politicization) होती है, इसलिए बैंकों को इस प्रक्रिया में अधिक समय नहीं लगाना चाहिए। यदि कर्ज लिया हुआ व्यक्ति सार्वजनिक तौर पर विलफुल डिफॉल्टर घोषित होता है, तो वह भविष्य में लोन के लिए अयोग्य हो जाता है, जिससे उसकी आर्थिक गतिविधियों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, उसे समाज में भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, आरबीआई चाहता है कि कार्रवाई तेजी से हो, ताकि वे देश छोड़कर न भाग सकें।

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