Bank FD vs Bonds: बैंक एफडी या बॉन्ड, जानें कहां से मिलेगा इस नए साल में निवेशकों को शानदार रिटर्न
My job alarm - (Best Investment Option) अगर आप भी नए साल पर किसी बेस्ट इन्वेस्टमेंट ऑप्शन की तलाश में हैं तो ये खबर आपके लिए फायदेमंद है। ऐसे कई लोग हैं जो कम जोखिम के साथ बंपर रिटर्न पाना चाहते हैं। आपको बता दें कि बैंक एफडी (Fixed Deposits) और बॉन्ड (Bonds) दोनों ही निवेश के अच्छे विकल्प माने जाते हैं, लेकिन नए साल की शुरूआत में इन दोनों (Bank FD vs Bonds) में से कौन-सा ऑप्शन आपके लिए ज्यादा फायदेमंद होगा, यह जानना जरूरी है। आइए खबर के माध्यम से जानते हैं।
2025 में कहां इन्वेस्टमेंट हो सकता है फायदेमंद -
अक्सर निवेशकों के मन में यह बात रह जाती है कि उनको सुरक्षित और बंपर रिटर्न पाने के लिए कहां निवेश(Investment Planning in 2025) करना चाहिए। बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट में या फिर बॉन्ड में। आपको बता दें कि बैंक एफडी में वर्तमान समय में निवेशकों को 6-7।50 प्रतिशत तक का रिटर्न (FD pr kitna mil rha hai return)मिल रहा है। जबकि बॉन्ड यील्ड करीब 9 प्रतिशत है जो कि फिलहाल तो एफडी से कहीं बेहतर है। हालांकि बॉन्ड में निवेश करना थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है। बैंक एफडी हो या बॉन्ड में निवेश दोनों में लॉक इन पीरियड रहता है। लेकिन अगर आपने बॉन्ड में निवेश किया है और उसपर आपको जो रिटर्न (Bond pr kitna milega Return) मिलता है। उसपर किसी टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ता है। जबकि एफडी पर मिलने वाले इंटरेस्ट पर टीडीएस कटता है।
बॉन्ड या बैंक एफडी कहां निवेश है बेहतर-
मौजूदा समय में अगर आप बॉन्ड में निवेश करते हैं तो इसपर फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न मिलता है। एफडी पर रिटर्न पहले से तय होता है जिस वजह से इसमें निवेश का कोई रिस्क नहीं होता है। वहीं, दूसरी और कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश पर थोड़े जोखिम लेने पर निवेशकों को ज्यादा रिटर्न (Where is better investment Bond or Bank FD)मिल सकता है। एफडी में निवेश करने पर जो ब्याज से इनकम प्राप्त होता है उसपर टीडीएस कटता है। जबकि कुछ बॉन्ड ऐसे होते हैं जिसमें म्यूनिसिपल बॉन्ड से लेकर एनएचएआई का बॉन्ड(Bond or Bank FD me se kon sa hai investment ke liye best) शामिल है उसपर जो ब्याज मिलता है वह पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है। अगर आप लॉन्ग-टर्म बॉन्ड में निवेश करते हैं तो इसपर आपको इंडेक्सेशन का भी लाभ मिलता है जिससे आपके टैक्स का भार कम होता है।
FD पर कैसे भारी पड़ा बॉन्ड-
वैसे तो दोनों ही ऑप्शन इन्वेस्टमेंट के लिए बेहतर है, लेकिन बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट में लॉक-इन-पीरियड(Lock-in-period in fixed deposits) होता है यानी मैच्योरिटी से पहले एफडी ब्रेक नहीं किया जा सकता है। अगर आप मैच्योरिटी से एफडी ब्रेक करते हैं तो इसपर आपको पेनल्टी का भुगतान करना पड़ता है। वहीं, दूसरी और बॉन्ड की सेकेंडरी मार्केट ट्रेडिंग (Secondary Market Trading of Bonds)होती है।
ऐसे में निवेशकों के पास इन बॉन्ड को भूनाने का विकल्प मौजूद रहता है और उनको रिटर्न भी बंपर मिलता है। अगर आप बॉन्ड में निवेश करते हैं तो आपको बता दें कि इस पर आपको एक अवधि के बाद ब्याज का भुगतान किया जाता है जिससे ये आय(2025 me bumper return ke liye kha kre investment) का बेहतर जरिया साबित हो सकता है जबकि वहीं, अगर आप एफडी में निवेश करते हैं तो इस पर ब्याज का भुगतान मैच्योरिटी पर ही किया जाता है।