CIBIL Score के अलावा सिबिल रिपोर्ट में होती है ये अहम जानकारी, 90 प्रतिशत लोग हैं अनजान
CIBIL Score Vs CIBIL Report : किसी भी तरह का लोन देने से पहले ग्राहक के सिबिल स्कोर को बैंक सबसे पहले चेक करते हैं। सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। कई बार लोन की ब्याज दरें भी सिबिल स्कोर देखकर ही तय की जाती हैं। अधिकतर लोग सिबिल स्कोर और सिबिल रिपोर्ट (cibil report kya hoti hai)को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। करीब 90 प्रतिशत लोग इनके बीच अंतर को लेकर भी अनजान हैं। वास्तव में सिबिल स्कोर सिबिल रिपोर्ट में ही दशार्या होता है। इसके अलावा भी सिबिल रिपोर्ट (what is cibil report) में काफी कुछ होता है। आइये जानते हैं इस खबर में विस्तार से।
My job alarm - (Cibil report) क्रेडिट इंफर्मेशन कंपनियां समय-समय पर अपने नियमों में बदलाव करती रहती हैं। अक्सर लोगों को लगता है कि वे क्रडिट रिपोर्ट की मदद से सिर्फ क्रेडिट स्कोर (what is credit score) को ही चेक किया जा सकता है। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अधिकतर लोग इस बात से अनजान होते हैं कि वे क्रेडिट रिपोर्ट (cibil report or cibil score me antar) की मदद से क्रेडिट स्कोर सहित क्रेडिट हिस्ट्री (credit history) से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अलावा भी क्रेडिट रिपोर्ट के लिए आपको कई अधिकार भी दिये गए हैं। बैंक भी सिबिल रिपोर्ट के जरिये ग्राहक के वित्तीय लेन-देन की पूरी स्थिति का पता कर सकते हैं व लोन देते समय सही आकलन करने में भी यह सिबिल रिपोर्ट सहायक होती है। इसमें सिबिल स्कोर (cibil score rules) के अलावा कई डिटेल समाहित होती हैं।
इन चीजों की भी मिलेगी जानकारी
बैंकों और NBFC (non banking financial companies) समेत तमाम संस्थानों द्वारा क्रेडिट इंफर्मेशन कंपनियों को आपके लोन और क्रेडिट कार्ड के मासिक रिकॉर्ड दिए जाते हैं। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान मासिक आधार पर क्रेडिट इंफर्मेशन कंपनियों (Credit Information companies) को ग्राहक के लोन और क्रेडिट कार्ड (credit card)से जुड़ा डाटा यानी तमाम जानकारी जमा करते हैं। इन रिकॉर्ड्स के आधार पर ये कंपनियां सिबिल रिपोर्ट तैयार करती हैं। ऐसे में बैंक और ग्राहक क्रेडिट रिपोर्ट के माध्यम से ही पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
व्यक्तिगत जानकारी भी होती है सिबिल रिपोर्ट में
सिबिल रिपोर्ट में तमाम व्यक्तिगत जानकारियां भी होती हैं। क्रेडिट स्कोर (credit score kitna hona chahiye) के अलावा व्यक्ति को क्रेडिट रिपोर्ट में जन्म तिथि, पैन, मोबाइल नंबर, पता आदि की भी पूरी जानकारी मिल जाती है। वहीं जानकारी को CIR के पहले भाग में ही दे दिया जाता है। आपके मौजूदा लोन से लेकर पिछले लोन और क्रेडिट कार्ड, आपकी बकाया राशि, लोन चुकाने का तरीका व स्थिति, लोन राशि, क्रेडिट कार्ड लिमिट (credit card limit) आदि की जानकारी होती है।
क्रेडिट से जुड़ी सभी जानकारी कर सकते हैं चेक
सिबिल रिपोर्ट में क्रेडिट से जुड़ी जानकारी भी होती है। आपको आपके क्रेडिट में आपकी सभी क्रेडिट से जुड़ी जानकारी प्राप्त हो सकती है। ऐसे में जब भी आप क्रेडिट कार्ड या लोन (loan lene ka process) के लिए आवेदन करते हैं, तो लोन देने वाले संस्थान को आपकी क्रेडिट रिपोर्ट की कॉपी क्रेडिट इंफर्मेशन कंपनी तक पहुंचानी होती है। अगर संस्थान ऐसा नहीं करता है तो इसमें बैंक को मुश्किलें हो सकती हैं। वहीं लोन देने वाले संस्थान द्वारा किए गए इस तरह के कार्य की इनक्वायरी की जा सकती है। ऐसे में आपको इस इन्क्वायरी का जिक्र भी क्रेडिट रिपोर्ट (kredit report me kya kya hota hai) के अंदर मिल जाता है।
मुआवजे की भी कर सकते हैं मांग
बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों के द्वारा लोन की बकाया राशि से जुड़ी गलत जानकारी दिये जाने पर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट (credit report details)पर फर्क पड़ सकता है। आप इस परेशानी से बचने के लिए इस मामले की शिकायत बैंक में जाकर कर सकते हैं। ऐसे में अगर बैंक द्वारा इस गलती को 30 दिनों के अंदर सही नहीं किया जाता है तो आपको डेली के हिसाब से 100 रुपए प्रतिदिन का मुआवजा मिलेगा। इसका मतलब है कि आपकी इस परेशानी का जितने दिनों में निपटारा होगा, उतना ज्यादा जुर्माना बैंक आपको देगा। यह नियम बैंक व नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनीज (NBFC) पर भी लागू होता है।
शिकायत के इतने दिनों के बाद बैंक को लेना होगा निर्णय
सिबिल रिपोर्ट या क्रेडिट रिपोर्ट (credit report kya hai) में की गई लोन बकाया की गलती की शिकायत मिलने पर 21 दिन के अंदर लोन देने वाली संस्था को क्रेडिट ब्यूरो तक जानकारी पहुंचानी होती है। वहीं 9 दिनों के अंदर क्रेडिट ब्यूरो (credit Bureau) के पास अपनी इस गलती को सुधारने का मौका होता है। ऐसे में 21 दिन के अंदर बैंक या लोन देने वाली वित्तीय संस्था ने क्रेडिट ब्यूरो को इस बात की जानकारी (cibil score importance) नहीं दी है तो आप बैंक में जाकर इसकी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अगर आपने इस बात की सूचना बैंक को समय पर दे दी है लेकिन 9 दिन बाद भी शिकायत का निपटारा नहीं किया जाता है तो क्रेडिट ब्यूरो को इसका हर्जाना चुकाना पड़ सकता है। यह आपको मुआवजे के रूप में मिलता है।