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लोन नहीं भरने वालों के 6 कानूनी अधिकार, जानिए RBI की गाइडलाइन

RBI - अगर आप भी समय पर अपना लोन नहीं भर पा रहे है तो इस खबर को एक बार जरूर पढ़ लें। दरअसल, लोन नहीं भरने वालों के लिए आरबीआई ने (Reserve Bank Of India) गाइडलाइन जारी की है...
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लोन नहीं भरने वालों के 6 कानूनी अधिकार, जानिए RBI की गाइडलाइन

My job alarm - आमतौर पर लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों से कर्ज लेते हैं पर कई बार किस्त चुकाने में असफल हो जाते हैं। किस्त चुकाने में विफल रहने पर बैंक के रिकवरी एजेंट (Recovery Agent) द्वारा दुर्व्यवहार की घटनाएं देखने को मिलती है। इसकी बड़ी वजह लोगों में नियमों की जानकारी नहीं होना है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक धमका या फिर जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता है. आइए नीचे खबर में जान लेते है विस्तार-

 ग्राहक के साथ बैंक नहीं कर सकते जोर जबरदस्ती-

बता दें कि लोन नहीं चुकाने पर बैंक धमका या फिर जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता है. हालंकि बैंक इस काम के लिए रिकवरी एजेंटों (Recovery Agent) की सेवाएं ले सकता है. लेकिन ये एजेंट भी अपनी हद पार नहीं कर सकते हैं. अगर कोई ग्राहक बैंक के पैसे नहीं चुका रहा है, तो उनसे थर्ड पार्टी एजेंट मिल जरूर सकते हैं. लेकिन कभी भी वे ग्राहक को धमका या जोर जबरदस्ती नहीं कर सकते. कानूनन उन्हें ये अधिकार नहीं है.

बगैर नोटिस के बैंक नहीं वसूल सकते लोन -

अपने लोन की वसूली के लिए लोन देने वालों बैंक और कंपनियों को वैलिड प्रोसेस अपनाना जरूरी है. सिक्योर्ड लोन (secured loan) के मामले में उन्हें गिरवी रखे गए एसेट को कानूनन जब्त करने का हक है. हालांकि, नोटिस दिए बगैर बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं. 

बैंक की शिकायत कर सकते है ग्राहक-

अगर एजेंट ग्राहक से मिलने भी जाता है तो वो किसी भी समय उसके घर नहीं जा सकता. ग्राहक के घर एजेंट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही जा सकता है. अगर एजेंट घर पर जाकर दुर्व्यवहार करता है तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में कर सकता है. अगर बैंक सुनवाई नहीं करता है तो फिर ग्राहक बैंकिंग ओंबड्समैन (Banking Ombudsman) का दरवाजा खटखटा सकता है.

जान लें कानूनी अधिकार-

  • बैंक कर्ज की वसूली के लिए गिरवी रखे गए एसेट को कानूनन जब्त कर सकता है. हालांकि उन्हें इससे पहले ग्राहक को नोटिस देना होता है. लेनदार के खाते को तब नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) में डाला जाता है जब 90 दिनों तक वह बैंक को किस्त का भुगतान नहीं करता है. इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफॉल्टर (Defaulter) को 60 दिन का नोटिस जारी करना पड़ता है.
  • बैंक अगर आपको डिफॉल्टर घोषित करता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि आपके अधीकार छीन लिए जाते हैं या आप अपराधी बन जाते हैं. बैंकों को एक निर्धारित प्रोसेस का पालन कर अपनी बकाया रकम की वसूली के लिए आपकी संपत्ति पर कब्जा करने से पहले आपको लोन चुकाने का समय देना होता है.
  • लेनदार के खाते को तब नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) में डाला जाता है जब 90 दिनों तक वह बैंक को किस्त का भुगतान नहीं करता है. इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना पड़ता है.
  • अगर नोटिस पीरियड (notice period) में बॉरोअर भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक एसेट की बिक्री के लिए आगे बढ़ सकते हैं. हालांकि, एसेट की बिक्री के लिए बैंक को 30 दिन और का पब्लिक नोटिस (public notice) जारी करना पड़ता है. इसमें बिक्री के ब्योरे की जानकारी देनी पड़ती है.

 

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