Toll Tax Rule : कितनी लंबी लाइन होने पर नहीं देना पड़ेगा टोल टैक्स, NHAI ने बताए नियम
toll plaza : भारत में लाखों लोग रोज़ाना नैशनल और स्टेट हाइवे से सफर करते हैं, और इसके लिए उन्हें टोल टैक्स चुकाना पड़ता है। यह शुल्क सड़कों की मरम्मत और रखरखाव के लिए लिया जाता है, और इसके लिए टोल प्लाजा कई किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किए गए हैं। हालांकि, हर एक्सप्रेसवे या हाइवे का टोल शुल्क अलग होता है। लेकिन अगर आप टोल प्लाजा से जुड़े उन नियमों के बारे में जानते हैं जिनकी वजह से आपका पूरा टोल टैक्स (toll tax) फ्री हो सकता है। आइए नीचे खबर में जानते हैं -
My job alarm - भारत में सड़क परिवहन को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए नए-नए हाईवे और एक्सप्रेसवे (Highway and Expressway) का निर्माण तेजी से हो रहा है। ये सड़कें न केवल यात्रा के समय को कम करती हैं, बल्कि आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नए हाईवे का निर्माण होने से यात्रा की गति बढ़ती है और इससे लोगों को आसानी से अपनी मंजिल तक पहुँचने में मदद मिलती है। लेकिन, इसके साथ ही टोल टैक्स (toll tax) का मुद्दा भी बढ़ता जा रहा है। जब लोग इन टोल बूथों पर पहुँचते हैं, तो अक्सर वे टोल टैक्स भरने से बचने की कोशिश करते हैं।
टोल टैक्स: क्या है?
टोल टैक्स (toll tax Rule) वह राशि है जो किसी विशेष सड़क, खासकर हाईवे या एक्सप्रेसवे पर यात्रा करने के लिए ली जाती है। यह राशि उस सड़क का निर्माण और रखरखाव करने वाली कंपनी या एनएचएआई (NHAI) द्वारा वसूली जाती है। टोल टैक्स का मुख्य उद्देश्य इन सड़कों के संचालन और रखरखाव के लिए आवश्यक धन जुटाना है।
टोल टैक्स से बचने के तरीके
कई बार लोग यह सोचते हैं कि वे टोल टैक्स भरे बिना टोल बूथ पार कर सकते हैं। हालांकि, यह संभव है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें हैं। एनएचआई (NHAI ) के एक पुराने ट्वीट के अनुसार, यदि टोल बूथ पर वाहनों की लाइन 100 मीटर तक लंबी हो जाती है, तो उन वाहनों को टोल टैक्स के बिना निकाला जा सकता है। इससे न केवल ट्रैफिक को नियंत्रित किया जाता है, बल्कि यात्रियों को भी सुविधा मिलती है।
एनएचआई की टोल वसूली नीति
एनएचआई (NHAI Toll Rules) ने 2021 में एक ट्वीट में बताया था कि टोल भुगतान के लिए अधिकतम समय 10 सेकंड (Toll 10 Second Rule) निर्धारित किया गया है। इसका मतलब है कि यदि टोल बूथ पर भुगतान लेने में 10 सेकंड से अधिक समय लगता है, तो टोल बूथ से वाहनों को निकाला जा सकता है। यह नियम विशेष रूप से पीक आवर्स के दौरान लागू होता है। टोल लेन में 100 मीटर की दूरी पर एक पीली पट्टी खींची जाती है, ताकि जब गाड़ियों की लाइन इस रेखा से बाहर निकलने लगे, तो टोल को मुफ्त कर दिया जाए। जब गाड़ियों की लाइन फिर से 100 मीटर के अंदर आती है, तब टोल टैक्स दोबारा वसूला जाने लगता है।
60 किलोमीटर रूल
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का कहना है कि फी रूल 2008 के अनुसार, किसी भी हाईवे (highway) पर दो टोल प्लाजा के बीच का अंतर 60 किलोमीटर होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात की पुष्टि की है। उनका लक्ष्य यह है कि 60 किलोमीटर के अंदर हाईवे पर केवल एक ही टोल प्लाजा होना चाहिए। हालांकि, मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि जगह की कमी, ट्रैफिक, और कंजेशन के कारण कभी-कभी 60 किलोमीटर के दायरे में दो टोल प्लाजा हो सकते हैं।
टोल टैक्स और रोड टैक्स में अंतर
टोल टैक्स और रोड टैक्स (road tax ) में काफी अंतर होता है। रोड टैक्स वह राशि है जो वाहन चालक द्वारा आरटीओ (राज्य सड़क परिवहन कार्यालय) को चुकाई जाती है। यह राशि राज्य के अंदर की विभिन्न सड़कों के उपयोग के लिए होती है। जबकि, टोल टैक्स विशेष रूप से हाईवे या एक्सप्रेसवे पर वसूली जाती है। यह राशि किसी एक राज्य की सरकार को नहीं जाती, बल्कि यह उस हाईवे का निर्माण करने वाली कंपनी या एनएचएआई द्वारा एकत्र की जाती है।