My job alarm

supreme court ने बताया- प्रोपर्टी पर जिसका इतने साल से कब्जा उसी का होगा कानूनी तौर पर मालिकाना हक

Illegal occupation of property :अगर आपकी अचल संपत्ति पर किसी ने कब्जा कर लिया है, तो उसे हटाने में देरी न करें। अपनी संपत्ति पर अवैध कब्जे को चुनौती नहीं देते हैं, तो कब्जाधारी व्यक्ति कानूनी रूप से उस संपत्ति का मालिक बन सकता है। इसका मतलब है कि अगर समय पर कदम नहीं उठाया, तो संपत्ति हमेशा के लिए आपके हाथ से निकल सकती है। हालांकि, यह नियम सरकारी संपत्तियों पर लागू नहीं होता है, जहां अवैध कब्जे को कभी कानूनी मान्यता नहीं मिलती। हाल ही में एक ऐसे ही मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। 

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supreme court ने बताया- प्रोपर्टी पर जिसका इतने साल से कब्जा उसी का होगा मालिकाना हक​​​​​​​

My job alarm - सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें यह कहा गया है कि अगर किसी अचल संपत्ति के वास्तविक मालिक ने 12 साल के भीतर अपनी संपत्ति को वापस पाने के लिए कोई कानूनी कदम नहीं उठाया, तो उसका मालिकाना हक खत्म हो जाएगा। इस स्थिति में, जिस व्यक्ति ने 12 साल से ज्यादा समय तक उस संपत्ति पर कब्जा (property possession) बनाए रखा है, उसे कानूनी तौर पर उस संपत्ति का मालिक माना जाएगा।


यह फैसला लिमिटेशन एक्ट, 1963 के तहत आता है, जिसमें निजी अचल संपत्ति के मामलों में 12 साल की मियाद दी गई है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति किसी निजी संपत्ति पर लगातार 12 साल तक बिना किसी बाधा के कब्जा बनाए रखता है, तो उसे उस संपत्ति का मालिकाना हक मिल सकता है। हालांकि, यह नियम सरकारी जमीन (Illegal occupation of government land) पर लागू नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किसी भी सूरत में कानूनी नहीं माना जाएगा। सरकारी संपत्तियों पर इस तरह का कब्जा गैरकानूनी है और उस पर कोई भी कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने हाल ही में अपने एक फैसले में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति किसी जमीन या संपत्ति पर 12 साल या उससे अधिक समय तक बिना किसी रुकावट के कब्जा बनाए रखता है, तो वह उस संपत्ति का कानूनी अधिकार प्राप्त कर सकता है। इसका मतलब है कि लंबे समय तक संपत्ति पर कब्जा बनाए रखने वाले व्यक्ति के पास इसे अपने नाम पर करने का कानूनी दावा हो सकता है। अदालत ने यह भी कहा है कि यदि ऐसे व्यक्ति को इस संपत्ति से बेदखल किया जा रहा है, तो वह कानूनी सहायता भी ले सकता है।

 

यह व्यवस्था लिमिटेशन एक्ट, 1963 के तहत लागू होती है। इसके अनुसार, निजी अचल संपत्ति पर अधिकार का दावा करने की वैधानिक अवधि 12 साल है, जबकि सरकारी अचल संपत्ति के मामलों में यह मियाद 30 साल की होती है। यह अवधि उस दिन से शुरू होती है जब कब्जा किया गया होता है, यानी जब से संपत्ति पर उस व्यक्ति का अधिकार बनता है।

 

सुप्रीम कोर्ट के जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra), जस्टिस एस। अब्दुल नजीर और जस्टिस एम। आर। शाह शामिल थे, ने इस कानून की व्याख्या करते हुए बताया कि यह कानून उस व्यक्ति के पक्ष में है जिसने 12 साल से अधिक समय तक संपत्ति पर कब्जा रखा है। अगर 12 साल बाद उसे वहां से हटाने की कोशिश की जाती है, तो उसके पास यह अधिकार होगा कि वह कानूनी तौर पर उस संपत्ति पर अपना दावा पेश कर सके।

 

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह फैसला


गौरतलब है कि इससे पहले 2014 में उच्चतम न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने फैसला दिया था कि एडवर्स कब्जाधारी व्यक्ति जमीन का अधिकार नहीं ले सकता है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर मालिक जमीन मांग रहा है तो उसे यह वापस करनी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने इस फैसले में यह भी कहा था कि सरकार एडवर्स पजेशन के कानून की समीक्षा करे और इसे समाप्त करने पर विचार करे।

फैसला संविधान पीठ को रेफर


हालांकि, नया फैसला देनेवाले जजों की बेंच ने इस बारे में विभिन्न उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत की पीठ के अलग-अलग दिये गए फैसलों को देखते हुए इस मुद्दे को अंतिम रूप से निर्णित करने के लिए बड़ी बेंच (संविधान पीठ) को रेफर कर दिया।

मालिक के पास कब्जाधारी को हटाने का हक नहीं


तीन सदस्यीयपीठ ने कहा- हमारा फैसला है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के वहां से हटा नहीं सकता है। अगर किसी ने 12 साल से अवैध कब्जा कर रखा है तो कानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार भी नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही कानूनी अधिकार, मालिकाना हक मिल जाएगा। हमारे विचार से इसका परिणाम यह होगा कि एक बार अधिकार (राइट), मालिकाना हक (title) या हिस्सा (इंट्रेस्ट) मिल जाने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में तलवार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, वहीं प्रतिवादी के लिए यह एक सुरक्षा कवच होगा। अगर किसी व्यक्ति ने कानून के तहत अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे में तब्दील कर लिया, तो जबर्दस्ती हटाये जाने पर वह कानून की मदद ले सकता है।

कब्जे की भूमि का अधिकार


पीठ ने लिमिटेशन एक्ट (Limitation Act), 1963 की धारा 65 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें यह कहीं नहीं कहा गया है कि एडवर्स कब्जाधारी व्यक्ति अपनी भूमि को बचाने के लिए मुकदमा दायर नहीं कर सकता है। ऐसा व्यक्ति कब्जा बचाने के लिए मुकदमा दायर कर सकता है और एडवर्स कब्जे की भूमि का अधिकार घोषित करने का दावा भी कर सकता है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने गुरुद्वारा साहिब बनाम ग्राम पंचायत श्रीथला(2014), उत्तराखंड बनाम मंदिर श्रीलक्षमी सिद्ध महाराज (2017) और धर्मपाल बनाम पंजाब वक्फ बोर्ड (2018) में दिए गए फैसलों को निरस्त कर दिया।
 

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