My job alarm

Supreme Court ने बताया, कब्जा करने वाले से बिना कोर्ट जाए छुड़वा सकते हैं अपनी प्रोपर्टी

Possession of Property : आज के समय में अक्सर देखने को मिलता हैं कि जमीन जायदाद को लेकर हर घर में झगडे देखने को मिलते हैं। इसी के चलते कईं जगह ऐसा देखने को मिलता हैं कि जमीन (Supreme Court) पर किसी के द्वारा कब्जा कर लिया जाता हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद फायदेमंद हैं। बता दें कि अब बिना कोर्ट जाए भी आप अपनी जमीन पर से कब्जा छुडवा सकते हैं...
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Supreme Court ने बताया, कब्जा करने वाले से बिना कोर्ट जाए छुड़वा सकते हैं अपनी प्रोपर्टी

My job alarm - (Supreme Court Decision) : अगर किसी ने आपकी संपत्ति यानी घर या जमीन पर कब्जा कर लिया है तो आप बिना कोर्ट गए उसे खाली करा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक अहम फैसला सुनाया है। पूनाराम बनाम मोती राम मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे की संपत्ति पर अवैध कब्जा नहीं कर सकता। यदि कोई किसी दूसरे की संपत्ति पर अतिक्रमण करता है तो संपत्ति मालिक को बलपूर्वक कब्जा खाली कराने का अधिकार है। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि आप उस संपत्ति के मालिक हों और वह आपके नाम पर हो यानी उस संपत्ति का मालिकाना हक आपके पास होना चाहिए।

इस तरह आप अपनी संपत्ति करा सकते हैं खाली:

देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर आपके पास संपत्ति का मालिकाना हक है तो आप 12 साल बाद भी जबरन अपनी संपत्ति से कब्जा खाली करा सकते हैं. इसके लिए कोर्ट में केस दायर करने की भी जरूरत नहीं है। लकिन यदि आपके पास संपत्ति का मालिकाना हक नहीं है और उक्त व्यक्ति को कब्जा किए हुए 12 साल हो गए हैं, तो इस स्थिति में आपको अदालत में मामला दायर करना होगा। ऐसे मामलों में कानूनी कार्यवाही के लिए विशिष्ट राहत अधिनियम 1963 (Specific Relief Act 1963) बनाया गया है।

किसी अन्य के अवैध कब्जे से संपत्ति खाली कराने के लिए विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा 5 के तहत प्रावधान किया गया है। हालाँकि, संपत्ति विवाद में सबसे पहले स्टे लेना चाहिए, ताकि कब्जा करने वाला (Property Knowledge) व्यक्ति उस संपत्ति पर कोई निर्माण न कर सके और न ही उसे किसी और को बेच सके। विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा 5 के तहत, यदि कोई संपत्ति आपके नाम पर है यानी उस संपत्ति का मालिकाना हक आपके पास है और किसी ने उस संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, तो उसे खाली कराने के लिए आप नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। उसके अनुसार मुकदमा दर्ज करना होगा।'

जानिए संपत्ति विवाद में कौन सी धारा होती है लागू -

धारा 406 (Legal Section 406) : अक्सर आपने देखा होगा कि लोग उन पर किए गए भरोसे का गलत फायदा उठाते हैं।  वे उन पर किए गए विश्वास और भरोसे का फायदा उठाकर जमीन या अन्य प्रोपर्टी पर अपना कब्जा (Possession of Property) कर लेते हैं। इस धारा के तहत पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत पुलिस में दे सकता है। 

धारा 467 (Legal Section 467) : इस कानून के मुताबिक, अगर फर्जी दस्तावेज (fake documents) बनाकर किसी की जमीन या अन्य संपत्ति हड़प ली जाती है और कब्जा स्थापित हो जाता है, तो ऐसे मामले में पीड़ित धारा 467 के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है। इस तरह से जमीन या संपत्ति पर कब्जा करने के कितने (Property Transfer Rules) मामले हैं बहुत अधिक है। इस तरह के मामले एक संज्ञेय अपराध होते हैं और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के द्वारा इन पर विचार किया जाता है। ये अपराध समझौता करने योग्य नहीं है। 

धारा 420 (Legal Section 420) : अलग-अलग तरह के धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े जैसे मामलों से ये धारा संबंधित है। इस धारा के तहत प्रोपर्टी से जुड़े विवादों में भी पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। 

प्रोपर्टी के मालिकाना हक पर बड़ा फैसला -

सुप्रीम कोर्ट ने प्रोपर्टी के मालिकाना हक पर भी अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अचल संपत्ति (Immovable property) के मालिकाना हक का ट्रांसफर बिना रजिस्टर्ड दस्तावेज के आधार पर नहीं हो सकता।  कोर्ट ने कहा है कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (Transfer of Property Act) के तहत रजिस्टर्ड दस्तावेज के आधार पर ही प्रोपर्टी का ट्रांसफर हो सकता है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत यह प्रावधान है कि प्रोपर्टी का मालिकाना हक (Property Ownership) तभी हो सकता है जब दस्तावेज रजिस्टर्ड हो।


सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि वो प्रोपर्टी का मालिक है और उसे यह संपत्ति उसके भाई ने गिफ्ट डीड के तौर पर दी थी और इस तरह यह संपत्ति उसकी है और संपत्ति पर उसका ही कब्जा है। वहीं प्रतिवादी  ने प्रोपर्टी के लिए दावा पेश करते हुए कोर्ट से कहा कि उसके पक्ष में पावर ऑफ अटॉर्नी, हलफनामा और एग्रीमेंट टु सेल है। इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना था कि प्रतिवादी का दावा सही नहीं है क्योंकि जिन दस्तावेज (Property Document) के आधार पर उन्होंने दावा फाइल किया है वह डॉक्यूमेंट मान्य नहीं है। साथ ही याची ने कहा कि गिफ्ट डीड से संबंधित उनके पास साक्ष्य हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के सामने यह तथ्य भी रखा गया कि बिना पंजीकृत दस्तावेज के किसी भी अचल संपत्ति का मालिकाना हक (real estate ownership) नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित कानूनी व्यवस्था है कि अचल संपत्ति का स्वामित्व बिना पंजीकृत दस्तावेज के हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। इन सिद्धांतों के तहत प्रतिवादी का सूट (Property Claim) नहीं टिकता है और उक्त आधार पर इसे खारिज किया जाता है और याचिकाकर्ता की अपील स्वीकार किया जाता है।

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