My job alarm

tenant rights : 1 साल में इससे ज्यादा किराया नहीं बढ़ा सकता मकान मालिक, अब कानूनी के दायरे में होंगे सारे काम

rights for tenant : किसी व्यक्ति को जब कारोबार या नौकरी के लिए दूसरे शहर में रहना पड़ता है तो अधिकतर के पास किराये का मकान ही आसान विकल्प होता है। अनेक लोग विभिन्न शहरों में रह भी रहे हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि किरायेदार को मकान मालिक की ओर से सबसे ज्यादा समस्या किराये में बढ़ोतरी को लेकर आती है। ऐसे में अक्सर विवाद भी बढ़ जाता है। इन समस्याओं को देखते हुए सरकार ने किरायेदार व मकान मालिक के लिए कानून (landlord tenant new law) में जरूरी प्रावधान किए हैं। अब किरायेदार पर मकान मालिक की मनमानी नहीं चलेगी, आइये जानते हैं इन कानूनी प्रावधानों के बारे में इस खबर में विस्तार से।

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tenant rights : 1 साल में इससे ज्यादा किराया नहीं बढ़ा सकता मकान मालिक, अब कानूनी के दायरे में होंगे सारे काम

My job alarm (tenant rights in law) : गांवों से शहरों की ओर प्रस्थान करना शहरीकरण का उदाहरण है। पिछले कुछ सालों में इसमें बढ़ोतरी हुई है। शहरों की ओर प्रस्थान करने के पीछे कई कारण हैं। कोई व्यापार के सिलसिले में शहर में रहता है तो किसी को नौकरी की वजह से शहर में (New rules for tenant)रहना पड़ता है। ऐसे में हर किसी के पास अपना मकान लेकर रहने का बजट नहीं होता। तब स्वाभाविक है कि वह किराये पर मकान या दुकान लेकर अपना गुजर बसर करेगा। पिछले एक दशक में अनेक लोगों ने शहरों में अपने ठिकाने बनाए हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर के पास अपने खुद के मकान नहीं हैं, बल्कि किराये पर ही अधिकतर लोगों को रहना पड़ा है। 

 

 

किरायेदारों को होती थी दिक्कतें

ऐसी स्थिति में समय-समय पर कई किरायेदारों को मकान मालिक की मनमानी या जबरन समय से पहले किराया बढ़ाने जैसी कई तरह की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। इस बारे में कई विवाद भी सामने आए हैं। ऐसे में सरकार ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए कानून में किरायेदार व मकान मालिक को लेकर नियम व प्रावधान (New rules for Tenant and landlord)तय किए हैं। आपके लिए भी इन प्रावधानों के बारे में जानना जरूरी है। खासकर महाराष्ट्र, दिल्ली व यूपी में अनेक लोग किराये पर रहते हैं। इन राज्यों में किरायेदारों व मकान मालिकों के लिए कानून में खासतौर से प्रावधान है। यहां इन कानूनी प्रावधानों के बारे में बताते हैं आपको डिटेल से।

महाराष्ट्र में किरायेदारी कानून 


महाराष्ट्र में 24-25 साल पहले से ही  महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम लागू है। 31 मार्च, 2000 को लागू किए गए इस कानून के अनुसार मकान मालिक (rules for landlord) हर साल 4% की बढ़ोतरी किराये में कर सकता है। बीच में अगर मकान मालिक अपने मकान की मरम्मत करवाता है, जिसमें किरायेदार को दिया गया हिस्सा भी शामिल हो तो भी वह किराये में बढ़ोतरी कर सकता है। यहां इस बात का किरायेदार को ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्थिति में अगर मकान मालिक किराया बढ़ाता है तो वह निर्माण या मरम्मत कार्य की लागत का 15% तक ही अधिक किराया बढ़ा सकता है। इनकम फ्रॉम होम टैक्स (Income from house property) में बढ़ोतरी होने पर मकान मालिक (landlord tenant law)को उसके भुगतान के लिए साल में किराया बढ़ा सकता है। ऐसी स्थिति में बढ़े हुए कर की राशि से अधिक किराये की बढ़ोतरी नहीं की जा सकती। 


जानिये दिल्‍ली का किरायेदारी कानून


दिल्ली में भी किराया बढ़ोतरी को लेकर कानून में प्रावधान किया गया है। दिल्ली में तो 2009 का रेंट कंट्रोल एक्ट लागू है। इसमें साफ तौर पर बताया गया है कि अगर किरायेदार (kirayedaar ke liye nye niyam)लगातार उसी जगह रह रहा है तो मकान मालिक सालाना सात फीसदी से अधिक किराया नहीं बढ़ा सकता। अगर किरायेदार जगह खाली कर देता है और उसके बाद तुरंत कोई दूसरा आता है तो नए किरायेदार (New rules of landlord and tenant)से किराया पहले वाले किरायेदार से ज्यादा ले सकता है। देश की राजधानी दिल्ली में छात्रावास, बेडिंग स्‍पेस या बोर्डिंग हाउस की श्रेणी वाली संपत्तियों का वर्ष में केवल एक बार किराया बढ़ाया जा सकता है।


उत्तर प्रदेश में यह है किराएदारी कानून


उत्तर प्रदेश में किरायेदार के लिए संपत्ति उपयोग को लेकर नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश-2021 लागू किया गया है। इस कानून के अनुसार मकान मालिक (makan malik ke liye nye niyam)आवासीय भवनों के किराये में हर साल पांच और गैर आवासीय भवनों के किराये में 7 प्रतिशत किराया बढ़ा सकता है। इसमें चक्रवृद्धि आधार पर किराये की बढ़ोतरी काउंट की जाती है। अगर किरायेदार दो माह तक किराया देने में असमर्थ है तो किरायेदार उसे बाहर कर सकता है।

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