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tenant rights : किराएदारों को मिले 5 अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमर्जी

किराए पर मकान लेने वाले है या किराए पर पहले से रह रहे लोगों के लिए जरूरी खबर है। अगर आप किराए पर रहते है तो आपको अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। कई बार मकान मालिक किराएदार (tenant rights) पर अपनी मनमर्जी चलाने लगते है जिससे कि एक तरह से किराएदारों का शोषण ही हो रहा होता है। तो अब आप किराए पर घर लेने से पहले आपने अधिकार जरूर जान लें...

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tenant rights : किराएदारों को मिले 5 अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमर्जी

My job alarm - (Tenant and landlord rights) बड़े शहरों में अकसर लोग अपनी नौकरी की तलाश में जाते है और फिर यही बस जाते है। ऐसे में शुरूआत में ही अपना घर लेकर रहना तो मुश्किल है इसलिए लोग किराए के घरों की ओर रूख करते है। किराए पर अगर आप घर लेकर रहते है तो आपको कुछ चीजों के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। खास कर किराएदार के तौर पर आपके क्या अधिकार है इसके बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए ताकि आपके साथ कुछ गलत न हो। बता दें कि अगर आप किराए के मकान (tenant's rights) पर रहते है। तो आपको बतौर किराएदार कुछ प्रमुख अधिकार मिलते हैं। जिन को जानना बहुत जरूरी है। जिससे की आपका मकान मालिक आपका शोषण न कर सके। आइए विस्तार से जानते हैं एक किराएदार को कितने तरीके के अधिकार मिलते हैं।

1. एकान्तता का अधिकार 

सबसे जरूरी चीज होती है आपकी प्राइवेसी, इसके लिए आपको बता दें कि एक बार मकान के किराए का समझौता हो जाने पर मकान मालिक किराएदार को उसके कमरे में घुस कर परेशान नहीं कर सकता है या आसान शब्दों में हम कहें कि मकान मालिक किराएदार को डिस्टर्ब नहीं कर सकता। अगर मकान मालिक को किराएदार (Tenant and landlord rights) के कमरे में जाना है तो उसे पहले परमिशन लेनी होगी। वो बिना किसी काम और इजाजत कमरे में नही आ सकता है। 

2. मकान मालिक बेवजह नहीं कर सकता आपको बाहर

ऐसा नही होता है कि आपको किराए के मकान से बिना किसी नोटिस के बाहर निकाल दिया जाए। मतलब, अगर आपने किराए का कमरा लिया हुआ है और अचानक से मकान मालिक आता है और अनुचित ढ़ंग से आपको कमरे से बेदखल कर देता है तो यह कानूनी रूप से गलत है। बिना किसी ठोस कारण के वो आपको बेदखल नही कर सकता है। लेकिन अगर आपने पिछले 2 महीनों से किराया, उसकी प्रॉपर्टी में कमर्शियल (Commercial Property) या गैर कानूनी काम, उसके संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे की स्थिति में वह आपको कमरे से बाहर निकाल सकता है। मकान मालिक को किराएदार को घर से बाहर निकालने के लिए 15 दिन का नोटिस पीरियड देना पड़ता है।

3. किराया की सीमा 

अब ऐसा नही है कि आपका किराया मकान मालिक (House Rent Tips) अपनी मर्जी से कुछ भी चार्ज कर सकता है। आपको ये पता होना चाहिए कि आपके मकान मालिक अपने किराएदार से मनमाना किराया वसूल नहीं कर सकता अगर किसी मकान मालिक को अपने किराएदार से किराया वसूल करना है तो उसे किराया वसूल करने के 3 महीने पहले एक नोटिस देना होगा इसके अतिरिक्त मकान मालिक को बाजार की जो दरें चल रही हो साथ ही संपत्ति के मूल्य ह्रास को जोड़कर किराया लेना चाहिए। वो अपन मर्जी से ज्यादा किराश नही ले सकता है। 

4. किराया नियंत्रण अधिनियम

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सन् 1948 में एक केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम पारित किया गया था जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि ना तो जमींदार और ना ही किराएदार के अधिकारों का एक दूसरे के द्वारा शोषण किया जा सकता है। इतना ही नही, यह अधिनियम इसके अतिरिक्त संपत्ति को किराए पर देने की नियमों (Rules for renting out property) को बताता है। इसमें खासकर ये ध्यान रहे कि हर राज्य का अपना किराया नियंत्रण अधिनियम अलग अलग होता है। यह अंतर कोई खास अधिक नहीं होता है। किराए पर कमरा लेते समय अपने मकान मालिक से एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करके ही ले ताकि किसी तरीके की विवाद की स्थिति में शिकायत किया जा सके। 


5. जरूरी सेवाएं 

किराए पर घर लेने से पहने आपको कुछ जरूरी चीजों के बोर में जरूर बात खोल लेनी चाहिए।  आपने किराए का कमरा लिया है तो आपको अपने मकान मालिक से बिजली का कनेक्शन पीने का साफ पानी पार्किंग जैसी साधारण सुविधा मांगना चाहिए कोई भी मकान मालिक इन सब चीजों के लिए मना नहीं कर सकता। इन सब चीजों को देने से मना करने पर संबंधित प्राधिकारी उस पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

रखरखाव और सिक्योरिटी जमा 

इसके बारे में आप जरूर जान लें कि कमरे के रखरखाव के लिए मकान मालिक (Landlord's rights) को स्वयं ही लागत खर्च उठाना पड़ता है। इतना ही नही, मकान के किराए में बिजली और पानी किस शुल्क का वर्णन किया गया हो इसके अतिरिक्त मकान मालिक किराएदार उसे सिक्योरिटी मनी भी जमा कराते हैं जिसको किराएदार द्वारा घर छोड़े जाने के एक महीने बाद तक दे देना चाहिए या फिर पहले के बकाया में एडजस्ट कर देना चाहिए।

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