tenant and landlord rights : किरायेदार और मकान मालिकों को कानून ने दिये ये अधिकार, अब नहीं चलेगी मनमानी
My job alarm - (tenant Rights in hindi) अक्सर किरायेदारों और मकान मालिक के बीच में कई तरह के विवाद देखने को मिल जाते हैं। अधिकतर समय पर इन विवादों के होने की वजह कानूनी नियमों के बारे में जानकारी न होना है। भारतीय कानून में किरायेदार और मकान मालिक (legal rights of landlord and tenant) दोनों के लिए नियम बनाए गए हैं। जिसका पालन न करने पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप कोई भी घर किराये पर ले रहे हैं या फिर अपना घर किराये पर दे रहे हैं तो आपको इन नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि आपको आगे चलकर कोई परेशानी न हो।
किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत बनाए गए हैं ये नियम-
मकान मालिक और किरायेदार (tenant Rights) दोनों के लिए ही कानून में कुछ नियम बनाएं गाए है। कानून किराया नियंत्रण अधिनियम (Rent Control Act) के तहत इन नियमों को नियंतत्र किया जाता है। सन् 1948 का अधिनियम किरायेदारों पर लागू किया गया था जिसके बाद इसे 1992 में संशोधित कर दिया गया था। इस अधिनियम का मकसद मकान मालिक और किराएदार (kiraydar ke adhikar) दोनों के ही अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है।
किराया नियंत्रण अधिनियम का मकसद-
किराया नियंत्रण अधिनियम का मकसद मकान मालिकों और किरायेदारों दोनों के ही अधिकारों (landlord Rights in law)को सुरक्षित रखना है। किरायेदारों को बिना किसी खास वजह के कोई भी मकान मालिक बेदखल नहीं कर सकता है। ना ही उनसे कोई एक्स्ट्रा किराया लिया जा सकता है। इस अधिनियम के मुताबिक किरायेदार को इसका अधिकार मिलता है।
कब मकान खाली करा सकता है मकान मालिक-
मकान मालिक और किरायेदार (tenant and landlord rights in law) के बीच किसी भी विवाद की वजह से मकान को बिना नोटिस दिये खाली नहीं करया जा सकता है। लेकिन अगर किरायेदार पूरा किराया देने में असमर्थ है या फिल मकान में किसी तरह की कोई गैर कानूनी एक्टिविटी चल रही है और एग्रीमेंट की लिखी गई किसी भी शर्त का उल्लंघन हो रहा है तो मकान मालिक प्रॉपर्टी को खाली करा सकता है। लेकिन इसके लिए भी मकान मालिक (mkan malik ke kanooni adhikar) को मकान खाली करने के लिए किरायेदार को समय देना होगा।
किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत मिलेंगे कई फायदे-
-इसकी वजह से किराएदार को उचित किराया (Rent limit kaise tay hoti hai) पेमेंट करने का अधिकार दिया जाता है। जिसका बलतब है कि उस घर का किराया बाजार मूल्य के हिसाब से ही होना चाहिए।
-किरायेदार को घर में मौजूद सभी संपत्ति की सुविधाओं (Features of the property) का यूज करने का अधिकार होता है। इस सुविधाओं में बिजली, पानी, गैस और पार्किंग की जगहों को शामिल किया गया है।
-किराएदार की ये जिम्मेदारी होती है कि वो जिस घर में रह रहे हैं तो उस संपत्ति को वे सुरक्षित रखें। इसके अलावा उसमें आग, चोरी (makan main chori hone par kiski jimmedari hoti hai) और अन्य आपात स्थितियों की सुरक्षा करना किरायेदारों की ही जिम्मेदारी होती है।
-किराएदार के पास ये अधिकार होता है कि मकान मालिक बिना अनुमति के उनके घर में नहीं आ सकते हैं।
-किराएदार के पास ये अधिकार होता है कि उन्हें बिना कोई उचित कारण दिये बेदखल नहीं किया जा सकता है।
-किराएदार के पास सिक्योरिटी डिपॉजिट को वापिस लेने का पूरा अधिकार है। सिक्योरिटी डिपॉजिट को वापिस पाना किरायेदार का हक होता है। हांलाकि अगर किरायेदार घर में मौजूद किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो ऐसे में उचित राशि को मकान मालिक द्वारा रखा जा सकता है।
-किरायेदारों के अधिकारों को मध्यनजर रचते हुए कई कानून बनाएं गए हैं। इन कानूनों में मकान मालिक और किरायेदार अधिनियम (Landlord and Tenant Act 1988) और किरायेदार के अधिकार अधिनियम (1974) को शामिल किया गया है।
किरायेदारों के पास होते हैं ये अधिकार-
-गलत तरीके से नहीं किया जा सकता बेदखल
-रेंट एग्रीमेंट के हिसाब से ही किराया देने का अधिकार
-सुविधाओं का पूरी तरह से लाभ उठाने का अधिकार
मकान मालिकों के पास होते हैं ये अधिकार-
-उचित कारण के साथ मकान खाली कराने का अधिकार।
-किराया नियंत्रण बोर्ड के नियमों के सही ढंग से इस्तेमाल होने का अधिकार।
-किराया नियंत्रण अधिनियम का विरोध होने पर कानून से दंड की मांग करने का अधिकार।