सरकारी और पंचायती जमीन पर कब्जे के मामले में Supreme Court का बड़ा निर्णय
Supreme Court Decision : सरकार की संपत्ति या पंचायती जमीन पर कब्जा करने के कई मामले सामने आते रहते हैं। कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि लोग सरकारी या पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे (sarkari jameen par kabja) को नियमित करने का दावा करते हैं। इसे लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।
My job alarm - (law for Govt. property) किसी सरकारी या फिर पंचायती जमीन पर घर बनाया या किसी अन्य तरह का निर्माण करना लोगों को भारी पड़ सकता है। ऐसी जमीन पर अवैध कब्जा होने का दावा नहीं किया जा सकता। कानून में इस बारे में अलग से प्रावधान है। कानून में प्राइवेट प्रोपर्टी व सरकारी प्रोपर्टी (kya sarkari jameen par kabja ho skta hai) को लेकर अलग-अलग नियम व प्रावधान हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सरकारी या पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे को नियमित करने का दावा कोई नहीं कर सकता।
इस मामले में की सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने इस बारे में टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि सरकारी या पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे को नियमित करने के मामले में किसी राज्य की सरकार की नीति (haryana govt policy on govt land) और नियमों में निर्धारित शर्तों का अनुपालन जरूरी है। यह टिप्पणी कोर्ट ने हरियाणा के सोनीपत जिले में गोहाना तहसील के सरसाद गांव के लोगों द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए की है। यहां कुछ लोगों ने पंचायती जमीन पर अवैध कब्जा (illegal occupation of panchayat land) करके घर बना लिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सरकारी या पंचायती जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले लोग इसे नियमित करने का दावा नहीं कर सकते।
हरियाणा सरकार ने बनाई थी यह नीति
इस संबंध में हरियाणा सरकार ने 2000 में विशेष तौर पर नीति भी बनाई हुई है। इस नीति को बनाते समय हरियाणा सरकार ने पंजाब विलेज कॉमन लैंड्स (रेगुलेशन) रूल्स, 1964 (Punjab Village Common Lands rules) में भी संशोधन किया और उसके बाद 2008 में इस बारे में एक नोटिफिकेशन भी जारी किया। बता दें कि इस संबंध में कुछ ऐसा प्रावधान किया गया जो ग्राम पंचायत को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं। पंचायत अपनी खेती न करने योग्य जमीन को गांव के उन लोगों को बेच सकती है जिन्होंने 31 मार्च, 2000 से पहले ऐसी भूमि पर अपने घर बना लिए थे। प्रदेश सरकार की यह नीति अबादी देह यानी गांव की आबादी से दूर की जगह के लिए पंचायती जमीन की बिक्री (Rule of buying Panchayati land) के संदर्भ में बनाई गई थी। इसे एक राजस्व संपत्ति का आवासीय क्षेत्र माना गया व पंचायत को नियम अनुसार अधिकार दिए गए।
हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया
सोनीपत जिले के गांव सरसाद में ऐसे ही एक मामले में पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा (Illegal possession) करने वाले लोगों ने ही याचिका लगाई थी। उपायुक्त ने रिकॉर्ड और साइट की रिपोर्ट के आधार पर यह आवेदन सिरे से खारिज कर दिया था। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि याचिकाकर्ताओं यानी आवेदकों ने रहने के लिए जरूरी 200 वर्ग गज क्षेत्र से अधिक पर अवैध कब्जा किया है जो गलत है। वे कानून में निर्धारित नियम 12 (4) का लाभ नहीं ले सकते।
इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐसी याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें प्राधिकरण द्वारा पारित किए गए आदेश को चुनौती दी गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने हाई कोर्ट के इस फैसले को जायज ठहराया और हाई कोर्ट के फैसले पर ही सहमति जताते हुए अंतिम निर्णय सुनाकर मुहर लगा दी।