Supreme Court : 5 जजों वाली बेंच का फैसला मान्य होगा या 4:3 वाली बेच का, सुप्रीम कोर्ट ने किया क्लियर
My job alarm (supreme court) - हमारे देश में एक ही उच्चतम न्यायालय अस्तित्व में आया है। पूरे देश के एक ही सर्वोच्च न्यायलय के प्रावधान का जिक्र संविधान में किया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 में कहा गया है कि “भारत का एक उच्चतम न्यायालय (what is supreme court) होगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 26 जनवरी 1950 को संविधान (Indian Constitution) के लागू होने के साथ ही उच्चतम न्यायालय यानि कि सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया। जानकारी के अनुसार भारत का उच्चतम न्यायालय 1958 में तिलक मार्ग, नई दिल्ली में स्थित (where is supreme court) वर्तमान भवन में स्थानांतरित होने से पहले पुराने संसद भवन में था। बता दें कि यह भवन 22 एकड़ ज़मीन पर बना है।
अब बात करते है यहां के फैसलों के बारे में कि वो किस आधार पर किस बेंच के द्वारा लिए जाते है तो आपको आज इस खबर के माध्यम से हम यही बताने वाले है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट (Supreme court judgement) को लेकर सबसे बड़ी दुविधा दूर कर दी है। देश की सबसे बड़ी अदालत यानि कि उच्च्तम न्यायलय ने अपने फैसले में कहा है कि हमेशा बड़ी बेंच का फैसला मान्य होगा। इसे सरल शब्दों में समझिए तो अगर किसी मामले में 5 जजों की बेंच ने कोई फैसला दिया है और उसी मामले में 7 जजों की बड़ी बेंच ने 4:3 के अनुपात से फैसला दिया है तो बहुमत से 7 जजों की बड़ी बेंच का फैसला ही मान्य होगा।
इसका अर्थ यह हुआ कि 5 जजों की बेंच (decision of bench of 5 judges) पर 7 जजों का फैसला प्रबल माना जाएगा और वही मान्य होगा।
अगर एक मामले के उदाहरण से समझाए तो सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने यह फैसला सुनाया। जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच ने एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और दिल्ली सरकार के बाद में उठे इस सवाल के जवाब में उक्त फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने कहा कि अनुच्छेद-145 (5) के अनुसार बड़ी बेंच का फैसला ही मान्य होगा।
किस बेंच का फैसला होगा आखिरी फैसला
जो सावाल आज उजागर हो रहा है सुप्रीम कोर्ट (supreme court news in hindi) के सामने ये 2017 में आया था। तब जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने यह सवाल रेफर किया था। सवाल यह था कि अगर 5 जजों की बेंच ने एक मत से कोई फैसला दिया है और मान लों कि वो फैसला 7 जजों द्वारा खारिज कर दिया जाता है और 7 जजों की बेंच में 4 जज एक मत से 5 जज के फैसले को खारिज करते हैं जबकि 3 जज अलग मत रखते हैं। तो क्या 5 जज के फैसले को 4 बनाम 3 के बहुमत से खारिज किया जा सकता (rules of court decision) है? यह एक ऐसा सवाल है जिस पर उत्तर की जरूरत है। और सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस निपटारा भी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का जवाब
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिए फैसले में उक्त सवाल का जवाब दिया। सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) ने कहा कि अगर 7 जजों की बेंच बहुमत से फैसला देते हैं और वह फैसला 4 बनाम 3 के बहुमत से दिया जाता है तो वह फैसला पांच जजों की बेंच पर प्रबल (supreme court decision) होगा।