supreme court decision : सरकारी कर्मचारी के बाद घर के किस सदस्य को नहीं मिलेगी पेंशन, जानिये सुप्रीम कोर्ट का फैसला

My job alarm - (Court Judgement on Pension) हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी के बाद मिलने वाली पेंशन के हकदार को लेकर एक अहम फैसला सुनाया (supreme court decision) है। ज्यादातर लोग अब सरकारी नौकरी को ही तवज्जो देते है। ये एक तरह की सुरक्षित जॉब होती है। इससे आपके वर्तमान के साथ ही आपका भविष्य भी सुरक्षित हो जाता है। एक सरकारी नौकरी (government job rules) आपके बाद भी आपके घरवालों का भरण पोषण करने में सक्षम होती है। इसी से संबंधित एक मामला भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। जिसमें कि सरकारी कर्मचारी की विधवा (rights of widow of government employee) द्वारा अपने पति के निधन के बाद गोद लिया गया बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं होगा। एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी की है।
जानकारी के अनुसार जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने मामले में 30 नवंबर, 2015 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 (सीसीएस (पेंशन) के नियम 54 (14) (बी) के तहत गोद लिया बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार (who is not entitled to pension of employee) नहीं होगा।
क्या है पूरा मामला?
अगर इस मामले की बात करें तो पूरा मामला ये है कि श्रीधर चिमुरकर नागपुर में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन में अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे। 1993 में वे सेवानिवृत्त हो गए थे। इसके बाद1994 में उनकी मृत्यु हो गई। श्रीधर चिमुरकर की मौत के बाद उनकी पत्नी माया मोतघरे ने अपीलकर्ता श्री राम श्रीधर चिमुरकर को 6 अप्रैल 1996 को गोद ले लिया । श्रीधर चिमुरकर की मृत्यु के बाद माया मोतघरे के दत्तक पुत्र के मूल पिता प्रकाश मोतघरे के घर में माया और श्री राम श्रीधर चिमुरकर में रह रहे (supreme court news) थे।
इस मामले के अनुसार अप्रैल 1998 में, माया मोतघरे ने विधुर चंद्र प्रकाश से शादी कर ली और नई दिल्ली में उनके साथ रहने लगी। इस पर दत्तक पुत्र राम श्रीधर ने मृत सरकारी कर्मचारी श्रीधर चिमुरकर के परिवार को केंद्र से देय पारिवारिक पेंशन पर अपना दावा किया। जिसे सरकार ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि सरकार की मृत्यु के बाद एक सरकारी कर्मचारी की विधवा द्वारा गोद लिया गया बच्चा सीसीएस (CCS pension ) के नियम 54 (14) (बी) के अनुसार परिवार पेंशन प्राप्त करने का हकदार नहीं होगा।
इसके बाद श्री राम श्रीधर चिमुरकर ने परिवारिक पेंशन पर विचार करने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग के साथ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Central Administrative Tribunal) मुंबई पहुंचा। न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में उनकी याचिका स्वीकार कर ली और सरकार से कहा कि वह परिवार पेंशन देने के लिए उस पर विचार करे। इसके बाद केंद्र ने अधिकरण के आदेश को बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष चुनौती दी थी। इस मामले में पीठ (justice bench orders on pension case) ने यह आदेश दिया है।
हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम के अंर्तगत आती है ये व्यवस्था
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम (Hindu Adoption and Maintenance Act), 1956 की धारा 8 और 12 एक हिंदू महिला को इस बात की अनुमति देती है कि वह अपने अधिकार में एक बेटा या बेटी को गोद ले सकती है। हालांकि गोद लेने वाली संतान (child adoption rules) नाबालिग या मानसिक रूप से अस्वस्थ नहीं है।
साथ ही इसमें ये कहा गया है कि हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम (HAMA) के लिए जरूरी है कि एक हिंदू महिला जो अपने पति के साथ रहती है, वह अपने पति की इच्छा और पूर्ण सहमति के बिना किसी भी बच्चे को गोद नहीं ले सकती है। हालांकि, हिंदू विधवा (hindu widow rights) के संबंध में ऐसी कोई पूर्व शर्त लागू नहीं होती है। एक तलाकशुदा महिला हिंदू या एक विधवा हिंदू महिला या सक्षम अधिकार क्षेत्र वाले न्यायालय द्वारा महिला के पति को मानसिक रूप से विक्षिप्त घोषित किया गया हो, वह अपनी इच्छा से किसी को गोद ले सकती है।
जस्टिस की पीठ ने कर दी ये विषेष टिप्पणी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीठ ने कहा कि यह प्रावधान अपीलकर्ता (श्री राम श्रीधर चिमुरकर) के वकील के सुझाव के अनुसार विस्तृत नहीं हो सकता है। यह आवश्यक है कि परिवार पेंशन के लाभ का दायरा कानूनी रूप से गोद लिए गए पुत्रों या पुत्रियों तक ही सीमित हो। सरकारी कर्मचारी अपने जीवनकाल के दौरान सीसीएस (पेंशन) नियमों के तहत पारिवारिक पेंशन' की पात्रता (Eligibility for 'Family Pension') के विशिष्ट संदर्भ में और सरकारी कर्मचारी के संबंध में 'परिवार' की परिभाषा संकीर्ण है।
ccs नियमावली में 'दत्तक ग्रहण' शब्द की यह की गई है व्याख्या
ccs नियमावली में कहा गया है कि इसके नियम 54(14)(बी)(ii) में 'दत्तक ग्रहण' शब्द, परिवार पेंशन के अनुदान के संदर्भ में एक सरकारी कर्मचारी द्वारा उसके कार्यकाल के दौरान गोद लेने तक ही सीमित होना चाहिए। उसके जीवनकाल और उसकी मृत्यु के बाद सरकारी कर्मचारी के जीवित पति या पत्नी द्वारा किए गए गोद लेने के मामले में 'दत्तक ग्रहण' शब्द की व्याख्या नहीं की जानी (Adoption rules for widow) चाहिए।
इसी के चलते न्यायधीश की पीठ ने दत्तक पुत्र चिमुरकर की अपील को खारिज करते हुए कहा कि यह घिसी-पिटी बात है कि एक क़ानून में एक शब्द का अर्थ लगाते समय उस शब्द या अवधारणा से जुड़े अर्थ को अपनाने में सावधानी बरतनी पड़ती (supreme court decision) है।