Supreme Court Decision : बिना शादी के पैदा हुए बच्चे को प्रोपर्टी में हक मिलेगा या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये अहम जजमेंट
Supreme Court Judgment : कई बार प्रोपर्टी के मामले इतने पेचीदा होते हैं कि वे आम आदमी की समझ से बाहर तो होते ही हैं, कानून को भी उन्हें सुलझाने में लंबा समय लग जाता है। इसी तरह से एक पेचीदा मामला यह भी है कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को प्रोपर्टी में हक मिलेगा या नहीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम व्यवस्था करते हुए बड़ा फैसला दिया है। आइये जानते हैं इस बारे में खबर में।
My job alarm (Supreme court) : पिता की प्रोपर्टी व पैतृक संपति में हक के मामले आए दिन कोर्ट कचहरियों में आते ही रहते हैं। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जो अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के हक (Rights in property invalid marriage born child) से जुड़े होते हैं। ऐसे बच्चों का प्रोपर्टी में हक होगा या नहीं और अगर होगा तो कितना होगा, इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट के अनुसार अमान्य या अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी माता-पिता की स्वअर्जित व पैतृक संपत्ति (ancestral property) में हक मिलेगा। कोर्ट का यह भी कहना है कि ऐसे बच्चे अपने माता-पिता के अलावा किसी अन्य तरह की संपत्ति में किसी तरह से हकदार नहीं होंगे।
अमान्य विवाद से पैदा हुए बच्चे को मिलेगा हक
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कुछ दिन पहले अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे का पैतृक संपत्ति में हक को लेकर बड़ा फैसला दिया था। इसमें कोर्ट ने कहा था कि अमान्य या शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चे माता-पिता की पैतृक संपत्ति (Parents’ Share In Hindu Joint Family Property) में पूरी हिस्सेदारी रखने के हकदार हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नई व्यवस्था यह दी कि ऐसे बच्चों को वैध तौर से कानूनी वारिसों के साथ हिस्सा दिया जाएगा। बता दें कि इस फैसले से हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 16(3) का दायरा भी बढ़ गया है। यह फैसला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud), जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनाया।
हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्तियों पर लागू होगा निर्णय
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अमान्य विवाह से पैदा बच्चे अपने माता-पिता के अलावा किसी अन्य तरह की में हिस्सेदार होने के हकदार नहीं हैं। इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि यह निर्णय व व्यवस्था हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्तियों पर लागू (Rights of a child born invalid marriage on father's property) है। यह मामला 2011 में सुप्रीम कोर्ट में आया था। इस पर सुनवाई करने के दौरान फैसला सुनाया गया। बता दें कि कोर्ट के अनुसार हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 16 में इस बारे में एक्प्लेनेशन है। इसके अनुसार अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को उनके पिता की संपत्ति व पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा।
अन्य संपत्तियों में नहीं होगा ऐसे बच्चों का हक
इसके अलावा इससे अलग विस्तृत दायरे में देखें तो धारा 16(3) में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसे बच्चे केवल अपने माता-पिता की संपत्ति (Son's right in father's property) के हकदार हैं, अन्य सहदायिक शेयरों पर हक नहीं है। इसमें सबसे अहम सवाल तो यह था कि हिंदू मिताक्षरा कानून द्वारा शासित हिंदू अविभाजित परिवार (hindu undivided family) में किसी संपत्ति को माता-पिता की संपत्ति कब माना जाए? कोर्ट ने इस पर अपना स्पष्ट जवाब रखा है तथा इस अहम फैसले में यह स्पष्ट किया है कि अमान्य विवाह से पैदा बच्चे ऐसी संपत्ति के हकदार हैं, जो उनके माता-पिता की मृत्यु पर काल्पनिक विभाजन पर दी जाएगी।