My job alarm

Supreme Court : इतने साल तक रहने के बाद किराएदार कर सकता है प्रोपर्टी पर कब्जा, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया साफ

Property possession rules : आज कल किराए पर घर या फ्लैट लेकर रहने का चलन काफी बढ़ गया है। अधिकतर लोग दूसरे शहरों में जाकर रहने लगते है। ऐसे में कुछ ही लोग है जो कि अपना घर लेकर रहने में सक्षम है तो ज्यादातर लोग किराए के घर का ही इस्तेमाल करते है। अब यवाल ये है कि क्या किराएदार प्रोपटी पर कब्जा (sampatti par kabja) कर सकता है अगर हां तो ऐसी स्थिति कब उत्पन्न हो सकती है। कब किराएदार मकान पर अपने कब्जे का ऐलान कर सकता है। आइए जान लें इसे लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला....
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Supreme Court : इतने साल तक रहने के बाद किराएदार कर सकता है प्रोपर्टी पर कब्जा, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया साफ  

My job alarm - (Supreme court on property possession) सुप्रीम कोर्ट ने किराए पर घर देने पर हाल ही में एक जरूरी फैसला सुना दिया है। देश के बड़े-बड़े शहरों में मकान किराए पर देकर उसे आमदनी का सहारा बनाया जाता है। इन बड़े शहरों में कुछ घर ऐसे भी होते है जिन्हे कि मालिक किराए (landlord rights) पर देकर खुद कहीं दूर रहते है। अब अगर कोई संभालने वाला ही नही है तो इस स्थति में कई बार किराएदार के द्वारा उस मकान पर कब्जे का दावा भी कर दिया जाता (kiraedar kb kar skta hai property pr kabja) है।  ऐसे ही कुछ लोगों के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक चौका देने वाला फैसला सुना दिया है। 


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision) के फैसले के मुताबिक अगर आपकी वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए समयसीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक (how to get legal ownership of property) दे दिया जाएगा।

 
लोगों ने व्यक्त की अपनी प्रतिक्रिया


हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजधानी दिल्ली के लोगों ने अपनी- अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। किरायेदारों में तो खुशी है पर मकान मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) के इस फैसले पर दुख जताया है।


हालांकि, उच्च न्यायलय ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट कर दिया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा। यानी, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे (illegal occupation of government land) को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती है।


सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले के बाद अब से मकान मालिकों को सतर्क होना पड़ेगा। कोर्ट के इस फैसले से सीख लेते हुए अपना मकान किराए पर देने से पहले मकान मालिक को रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) , हाउड रेंट बिल, रेंट जैसी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि उनके मकान में रहने वाला किरायेदार मकान पर कब्जे (tenant occupacy in house) को लेकर कोई दावा न कर सकें। उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति पर किसी ने कब्जा जमा लिया है तो उसे वहां से हटाने में लेट लतीफी नहीं करें।


सर्वोच्च न्यायालय ने कही ये बात


प्रोपर्टी पोजेस्शन के इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच का ये कहना है कि , ‘हमारा फैसला है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा (property possession law) है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के वहां से हटा नहीं सकता है। अगर किसी ने 12 साल से अवैध कब्जा कर रखा है तो कानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार भी नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही कानूनी अधिकार (legal rights) , मालिकाना हक मिल जाएगा। 


अब इन सब से परिणाम यह होगा कि एक बार अधिकार , मालिकाना हक या हिस्सा मिल जाने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में तलवार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, वहीं प्रतिवादी के लिए यह एक सुरक्षा कवच होगा। अगर किसी व्यक्ति ने कानून के तहत अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे (legal possession of land or house) में तब्दील कर लिया तो जबर्दस्ती हटाए जाने पर वह कानून की मदद ले सकता है।’

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