supreme court : पैतृक संपत्ति में बेटियों के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, जारी किया नोटिस
My job alarm - (Property Rights of Daughters) देश में कानूनों और नियमों की जानकारी का शुरू से ही अभाव है जिसके चलते शुरू से ही बेटियों को उनके अधिकारों (rights) से वंचित ही रखा जाता है। खुद बेटियां ही अपने अधिकारों के प्रति सचेत नही है उनके अधिकारों के बारे में लड़ेगा कौन। पहले खुद उनको अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होना बहद जरूरी है। भारत में कानून व्यव्स्था (law and order in india) साफ बताती है कि कहां किस चीज में किसका कितना अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने भोजा नोटिस
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार को नोटिस भेजकर लिंग के आधार पर भेदभाव (gender discrimination in india) करने वाले कानूनों को हटाए जाने पर जवाब की मांग की है। इस मामले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर एक बेटी की याचिका और एक अन्य मामला जिसमें विधवा महिला ने ससुराल की संपत्ति में हिस्सेदारी (Widow woman shares in in-laws' property) का दावा किया है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में 3 सदस्यीय समिति ने यह नोटिस जारी किया है।
जान लें पिता की संपत्ति पर बेटियों का कितना होता है अधिकार?
ये तो आप जानते ही है कि हमारे देश में शुरू से ही बेटियों को संपत्ति में उनका हिस्सा देने में हिचकिचाहट दिखाई जाती रही है। ऐसा इसलिए भी होता था क्योंकि पहले इस पर कोई स्पष्ट कानून नहीं था। हालांकि, अब बेटियों को संपत्ति में उनका अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाए गए हैं। 1956 में लागू किया गया हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) में 2005 में संशोधन करके बेटियों को पैतृक संपत्ति (ancestral property rights) में बेटों के समान अधिकार दिए गए हैं।
बता दें कि यह कानून 1956 में विशेष रूप से संपत्ति पर दावा और अधिकारों के लिए बनाया गया था। इसके तहत, बेटी को अपने पिता की संपत्ति पर वही अधिकार (property rights in India) प्राप्त हैं जो एक बेटे को होते हैं। 2005 में भारतीय संसद (Indian Parliament) ने इस अधिनियम में संशोधन करके बेटी के अधिकारों को और भी पुख्ता कर दिया, जिससे पिता की संपत्ति (rights on father's property) पर उनके अधिकार को लेकर किसी प्रकार का संदेह न रह सके।
क्या बहू का होता है संपत्ति पर हक
आपके लिए ये बात जान लेनी बेहद जरूरी है कि बहू के पास अपने पति की पैतृक संपत्ति में एक अधिकार (rights in ancestral property) होता है। बहू को अपने पति की संपत्ति में हिस्सेदारी के जरिए परिवार की संपत्ति पर अधिकार मिलता है। ऐसा या तो पति द्वारा अधिकार ट्रांसफर करने या उसके निधन के बाद हो सकता है।
एक परिवार की बेटी शादी के बाद दूसरे परिवार की बहू बन जाती है। पर शादी के बाद भी उसे अपने पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार है लेकिन ससुराल की संपत्ति में कोई अधिकार (right in in-laws' property) नहीं है, सिवाय पति के जरिए, जिसका उल्लेख कर दिया गया है।
पति के देहांत पर क्या होगा
पति की मृत्यु के बाद, उसकी विधवा का अपने पति की छोड़ी गई संपत्ति पर अधिकार (property rights news) होता है। यह संपत्ति पैतृक या स्वयं अर्जित हो सकती है। मृत पति की विधवा होने के नाते उसे यह अधिकार प्राप्त है।
क्या है संपत्ति का ये मामला जिस पर कोर्ट हुआ सख्त
इसमें एक मामला यूपी से जुड़ा हुआ है। श्वेता गुप्ता ने अपने काउंसिल के। सी। जैन के जरिए पीआईएल फाइल की है। उन्होंने अपील में कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) में लैंगिक आधार पर भेदभाव के प्रावधानों का हवाला देते हुए इस संबंध में राहत दिए जाने की मांग की।
मामले की जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता ने यूपी रेवेन्यू कोड (UP Revenue Code) 2006 के सेक्शन 109 का हवाला दिया, जिसमें किसी महिला को उसके पिता से विरासत में संपत्ति मिलती है। जब महिला की मृत्यु होती है तो उस संपत्ति के हिस्सेदार पति के वारिस होते हैं, ना कि उसके खुद के वारिस।
इसी तरह से एक बेटी को शादी हो जाने के बाद पिता से मिले जमीन पर मालिकाने हक की बात कही गई है। उसी प्रावधान में यह भी कहा गया है कि अगर कोई विधवा महिला पुनर्विवाह (widow woman remarriage rights) करती है तो फिर मृत पति की तरफ से मिले प्रॉपर्टी पर अधिकार समाप्त हो जाएगा।