My job alarm

Supreme Court: लोन नहीं भरने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका, संपत्ति नीलामी पर दिया अहम फैसला

Supreme Court Decision- आपको बता दें कि यदि कोई व्यक्ति बैंक ये कर्ज लेता हैं तो उसे अपनी कोई संपत्ति गिरवी रखनी पडती हैं। लेकिन यदि कोई व्यक्ति वक्त रहते अपना कर्ज नहीं चुका पाता हैं तो वसूली नियंत्रित करने वाले कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुनाकर कर्जदारों को तगडा झटका दिया हैं। तो आइए जानते हैं इस बारे में पुरी डिटेल...
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Supreme Court: लोन नहीं भरने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका

My job alarm- (home loan borrower) हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित अधिनियम (SARFAESI Act) के प्रावधानों के तहत, एक उधारकर्ता अपनी गिरवी रखी संपत्ति को केवल लेनदार बैंक (home loan recovery) द्वारा नीलामी नोटिस के प्रकाशन तक ही वापस लेने के लिए प्रयास सकता है। सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने फैसला सुनाया है कि जिस दिन बैंक घाटे की वसूली के लिए खुले बाजार में संपत्ति बेचने के लिए नीलामी नोटिस प्रकाशित करता है, उस दिन उधारकर्ता संपत्ति को वापस लेने का अधिकार खो देता है। 

 


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बृहस्पतिवार को अपने फैसले में कहा कि किसी ऋण चूककर्ता को ‘किसी भी समय’ बकाया चुकाकर ऋणदाता वित्तीय संस्थानों द्वारा उसकी गिरवी संपत्ति की नीलामी करने से रोकने की इजाजत नहीं दी जा सकती। यदि उधारकर्ता पुनर्भुगतान में चूक करता है (rights of home loan borrower) तो कानून बैंकों को गिरवी संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल करने में सक्षम बनाता है। यह कानून बैंकों को उनकी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों को कम करने के लिए एक प्रोसेस भी बताता है। 

 


प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने नीलामी प्रक्रिया की शुचिता पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘यह अदालतों का कर्तव्य है कि वे पूर्व में हुई नीलामी की शुचिता का संरक्षण करें। वास्तव में, वर्तमान वैधानिक व्यवस्था के तहत उधारकर्ता को उपलब्ध मोचन का अधिकार काफी हद तक कम कर दिया गया है, और नियम 9 (1) के तहत नोटिस के प्रकाशन की तारीख तक ही उपलब्ध होगा। नीलामी खरीदार के पक्ष में सुरक्षित संपत्ति की बिक्री या हस्तांतरण के पूरा होने तक नहीं,”  शीर्ष अदालत ने सेलिर एलएलपी बनाम बाफना मोटर्स मुंबई और अन्य मामले में अपना आदेश सुनाते हुए कहा। 

 


जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का लिखा फैसला -
अधिनियम की धारा 13(8) में प्रावधान है कि कोई भी कर्जदार सार्वजनिक नीलामी के लिए नोटिस के प्रकाशन की तारीख से पहले या (rights of home loan companies) गिरवी संपत्तियों (How to release mortgaged properties) की पट्टे या बिक्री के माध्यम से हस्तांतरण के लिए निविदा आमंत्रित करने से पहले संपूर्ण देय राशि का भुगतान करके वित्तीय संस्थानों से अपनी गिरवी संपत्ति किसी भी समय वापस मांग सकता है. पीठ की ओर से जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का फैसला लिखा। यह नीलामी के मूल उद्देश्य को विफल कर देगा और इसमें जनता के भरोसे एवं भागीदारी को बाधित करेगा।’ शीर्ष अदालत वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्संरचना और सुरक्षा हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी अधिनियम) के एक प्रावधान से निपट रही थी।

 

गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार हो जाएगा समाप्त ?
उन्होंने इसमें कहा है, ‘हमारा मानना है कि सरफेसी अधिनियम की संशोधित धारा 13(8) के अनुसार, एक बार जब कर्जदार नीलामी नोटिस के प्रकाशन से पहले ऋणदाता को प्रभार और शुल्क के साथ बकाया (right to redeem property) राशि की पूरी राशि देने में विफल रहता है तो 2002 के नियमों के नियम-आठ के अनुसार समाचार पत्र में नीलामी नोटिस के प्रकाशन की तिथि पर उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा.’ यह फैसला (Supreme Court redeem property Decision) बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सेलिर एलएलपी की अपील पर आया. उच्च न्यायालय ने एक अन्य कंपनी बाफना मोटर्स (मुंबई) प्राइवेट लिमिटेड को बैंक को बकाया भुगतान पर अपनी गिरवी रखी संपत्ति छुड़ाने की अनुमति दी थी.

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