Income Tax छापे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात, टैक्सपेयर्स जान लें जरूरी अपडेट
My job alarm - (Supreme court on Income tax Raid) हर टैक्सपेयर को आयकर विभाग के नियमों के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। वैसे अगर हम आयकर विभाग के रेड की बात करें तो आयकर विभाग के छापे की खबर सुनते ही हवाला कारोबारियों, दुकानदारों, बेईमान नेताओं, घूसखोर अफसरों और अन्य तरीकों से काला धन कमाने वालों की हालत टाइट हो जाती है। इनकम टैक्स विभाग (Income tax department) के छापे अक्सर उन्ही लोगों के यहाँ पड़ते है जिनके पास उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति होती है।
सबसे पहले तो वित्त मंत्रालय द्वारा यह पता लगाया जाता है कि किन लोगों ने अपनी आय के हिसाब से आयकर दाखिल नही किया है। जानकारी के लिए बता दें कि इसकी जांच का काम वित्त मंत्रालय का ‘जाँच विभाग’ करता है। इसके बाद यदि जाँच में कुछ गड़बड़ मिलता है तो आयकर विभाग उस व्यक्ति के ऑफिस, घर, दुकान, शोरूम इत्यादि पर छापा डालता है। इसे ही इनकम टैक्स की छापा या रेड कहते (what is income tax raid) हैं।
ऐसेस में अगर आयकर विभाग को किसी भेदिये के द्वारा यह पता चल जाता है कि किसी व्यक्ति ने बहुत बड़ी मात्रा में आयकर रिटर्न में गड़बड़ी की है या अवैध तरीके से पैसा कमाया (earned money illegally) गया है तो आयकर विभाग उस आरोपी के यहाँ छापा मार सकता है।
आयकर विभाग की गाइडलाइन
ऐसे ही एक मामले पर इनकम टैक्स को लेकर छापेमारी पर गाइडलाइन (Guidelines on raids regarding income tax) बनाने की गुहार लगाने के लिए दाखिल याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के रिश्तेदारों और खास लोगों की जांच सही है। कोर्ट ने कहा कि उनके यहां छापा मारने या जांच करने में कोई कानूनी स्वामी (legal formalities of raid) नहीं है।
जानिए क्या कहता है कोर्ट
इनकम टैक्स रेड (income tax raid) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने फैसले में इनकम टैक्स नियमों में संशोधनों (amendments in income tax rules) को जायज और न्याय संगत बताया है। जस्टिस की पीठ ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जांच के शाब्दिक अर्थ को काफी सीमित कर दिया था जबकि इसका अर्थ काफी व्यापक है। इसमें ये बता दें कि सीमित अर्थ से तो टैक्स चोर आसानी से बच निकलते हैं, लेकिन विधायिका यानी संसद ने 2015 में जिस नजरिए और मकसद से आयकर अधिनियम (income tax act) के 153C में इन संशोधनों को अपनी मंजूरी दी थी वो काफी सशक्त और सख्त हैं।
संसद ने किया संशोधन
कोर्ट ने फैसला किया है कि टैक्स चोरी (tax evasion cases) करने वाला कोई भी बचना नहीं चाहिए क्योंकि संसद ने संशोधन करते हुए नियम में लिखित आरोपी से संबंध रखने वाला की जगह 'आरोपी से जुड़ा हुआ है या जुड़ता है ' को मंजूरी दी। बता दें कि कोर्ट (supreme court decision) ने अपने फैसले में ये कहा है कि एक्ट की धारा-153 सी के तहत जो बदलाव हुआ है वह बदलाव की तारीख से पहले के मामले में भी लागू होगा यानी बदला हुआ कानून पहले के सर्च के मामले में भी प्रभावकारी होगा।
जानिए क्या है कानून प्रावधान
इनकम टैक्स एक्ट की धारा-153C में ये प्रावधान है कि आय कर विभाग (income tax department rules) उस व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है जिसके बारे में खोजबीन के दौरान जानकारी मिली है। यानी जिसके खिलाफ सर्च ऑपरेशन चल रहा है और उस दौरान कुछ जानकारी तीसरे व्यक्ति के बारे में मिले तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई का रेवेन्यू डिपार्टमेंट को अधिकार होगा। इस बदलाव के बाद विभाग को यह अधिकार (IT department rights in raid) मिल गया है कि वह ऐसे तीसरे व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है अगर सर्च में मिले मैटेरियल में उसका नाम आया है।