My job alarm

Supreme Court ने कहा- जिसका इतने साल से प्रोपर्टी पर कब्जा वही होगा मालिक

Supreme Court Decision : अगर आपके पास कोई प्रॉपर्टी है जो किराए पर दी गई है, या आपकी जमीन या घर में कोई और रह रहा है, तो आपको प्रतिकूल कब्जा (Adverse Possession) के कानून के बारे में जरूर पता होना चाहिए। यह अंग्रेजों के जमाने का एक कानून है, जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी पर कई सालों तक बिना किसी रुकावट के कब्जा बनाए रखता है, और मालिक ने इस दौरान कोई आपत्ति नहीं जताई, तो वह व्यक्ति उस प्रॉपर्टी का मालिकाना हक हासिल कर सकता है। इसलिए अपनी प्रॉपर्टी की देखरेख और कानूनी सावधानियों का ध्यान रखना जरूरी है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। 

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Supreme Court ने कहा- जिसका इतने साल से प्रोपर्टी पर कब्जा वही होगा मालिक

My job alarm - Adverse Possession : घर का किराया एक स्थायी आय का स्रोत है, इसलिए लोग प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं। वे घर, दुकानें, और जमीनें खरीदकर उन्हें किराए पर चढ़ा देते हैं। कई बार ऐसा होता है कि प्रॉपर्टी मालिक अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर देकर उसके बाद उसकी ज्यादा देखभाल नहीं करते। वे विदेश चले जाते हैं या फिर अपने अन्य कामों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि प्रॉपर्टी की सुध लेना भूल जाते हैं। उनका ध्यान सिर्फ किराए पर होता है, जो हर महीने उनके बैंक खाते में जमा हो जाता है।

लेकिन प्रॉपर्टी मालिकों को ध्यान रखना चाहिए कि किराए पर चढ़ाने के बाद भी कुछ बातों का खास ध्यान रखें। नहीं तो उनकी प्रॉपर्टी विवाद (property dispute) में फंस सकती है, और वे अपने ही संपत्ति से हाथ धो सकते हैं। भारत में प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ कानून हैं, जिनके तहत किरायेदार आपकी प्रॉपर्टी पर कब्जे का दावा कर सकता है। यदि आपकी प्रॉपर्टी पर कोई किरायेदार लगातार 12 साल तक बिना किसी रुकावट के कब्जा बनाए रखता है, तो वह उस प्रॉपर्टी पर कानूनी रूप से दावा कर सकता है। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं।

कब किराएदार प्रॉप्रटी पर कब्जे का दावा कर सकता है?

अग्रेजों का बनाया एक कानून है- प्रतिकूल कब्जा। अंग्रेजी में कहें तो adverse Possession। इसके मुताबिक लगातार 12 साल तक रहने के बाद किराएदार उस प्रॉपर्टी पर कब्जे का दावा कर सकता है। लेकिन इसकी कुछ शर्तें भी हैं। जैसे- मकान मालिक ने 12 साल की अवधि में कभी उस कब्जे को लेकर कोई रोक-टोक न की हो। यानी प्रॉपर्टी पर किराएदार का कब्जा लगातार रहा हो। कोई ब्रेक न हो। किराएदार प्रॉपर्टी डीड (Property Deed), पानी बिल, बिजली बिल (electricity bill) जैसी चीजें सबूत के तौर पर पेश कर सकता है।

इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला सुना चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन से जुड़े विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि 12 साल तक जमीन पर जिसका कब्जा होगा, वही अब जमीन का मालिक माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि अगर 12 साल तक उस जमीन पर कोई मालिकाना हक नहीं जताता तो जिसने उस जमीन पर कब्जा किया है, उसे उसका मालिक माना जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला निजी जमीन से जुड़ा है। सरकारी जमीन पर ये फैसला लागू नहीं होगा।

कोर्ट ने 2014 में दिए फैसले को पलट दिया

सुप्रीम कोर्ट ने जमीन को लेकर साल 2014 में दिए अपने ही फैसले को पलट दिया। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने 2014 के फैसले को पलटते हुए कहा कि अगर कोई किसी जमीन पर दावा नहीं करता है और किराएदार 12 साल से लगातार उस जमीन पर रह रहा है तो वो उस जमीन का मालिक बन जाएगा।

आपको बता दें, साल 2014 में कोर्ट ने कहा था कि प्रतिकूल कब्जे वाला व्यक्ति जमीन पर कब्जे (property possession) का दावा नहीं कर सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर जमीन का मालिक कब्जाधारी से जमीन वापस लेना चाहता है तो कब्जाधारी को वो जमीन वापस करनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने जमीन के कब्जे से जुड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को 12 साल तक किसी जमीन पर अपना हक जताने का अधिकार देता है। अगर कोई जमीन विवादित है तो व्यक्ति उस पर अपना अधिकार जताते हुए 12 साल के भीतर मुकदमा दायर कर सकता है और अदालत से उसे वापस पा सकता है। बता दें कि लिमिटेशन एक्ट, 1963 के तहत निजी संपत्ति पर मालिकाना हक (Property Rights) का दावा करने का समय 12 साल है, जबकि सरकारी जमीन पर ये सीमा 30 साल है। जबरन कब्जे की शिकायत 12 साल के अंदर करनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में स्पष्ट किया 12 साल तक जमीन पर कब्जा बरकरार रहने और मालिक की ओर से आपत्ति नहीं जताने की स्थिति में वो संपत्ति कब्जा करने वाले व्यक्ति की हो जाएगी। अगर कब्जेदार को जबरन संपत्ति से बेदखल किया जाता है तो वो 12 साल के भीतर मुकदमा दायर कर सकता है और अपने हितों की रक्षा कर सकता है। सिर्फ वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) से आप किसी संपत्ति के मालिक नहीं बन सकते।

मकान मालिक को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें 

जैसे अपना घर किराए पर देते समय 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट (rent agreement)बनवाएं। हालांकि 11 महीने बाद रिन्यू किया जा सकता है। इससे फायदा ये होगा कि ब्रेक आ आएगा। ब्रेक आ जाने से किराएदार कब्जा का दावा नहीं कर पाएगा।

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