Supreme Court : कितने साल रहने पर किराएदार का हो जाएगा प्रोपर्टी पर कब्जा, जानिये सुप्रीम कोर्ट का फैसला
supreme court decision -भारत में प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे के मामले आए दिन ही सुनने को मिलते हैं। कई मामलों में ऐसा सुनने को मिलता है कि कोई किराएदार किसी घर में लंबे समय तक रहा और फिर उसने घर खाली करने से मना कर दिया है। अब सवाल ये उठता है कि क्या किराएदार के पास कानूनी रुप से ऐसा कोई अधिकार है कि जिससे वह उस संपत्ति का मालिक बन जाए। इसी पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (supreme court judgement on tenant adverse possession) ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। आइए नीचे खबर में जानते हैं विस्तार से -
My job alarm (supreme court decision) : जब से रियल एस्टेट में तगड़ा उछाल आया है बड़े-छोटे शहरों में प्रॉपर्टी के रेट आसमार पर जा पहुंचे हैं। ऐसे में प्रॉपर्टी में निवेश करने वालों की संख्या बड़ी है। आज बहुत से लोग स्थाई इनकम के लिए जमीन, मकान या दुकान खरीदकर किराए पर चढ़ा देते हैं। यह पैसे कमाने का सबसे आसान तरीका भी है। हालांकि, पहले निवेश भी करना पड़ता है। कुछ मकान मालिक ऐसे भी हैं, जो कई सालों तक अपने मकान को किराएदार के भरोसे छोड़ भी देते हैं। उनका किराया हर महीने उनके खाते में पहुंच जाता है, लेकिन ऐसा करना मकान मालिक को मुसीबत में डाल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि किराएदार अगर लंबे समय तक प्रॉपर्टी पर रहता है तो वह मालिकाना हक का दावा कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसपर बड़ा फैसला देते हुए किराए पर घर दे रहे मकान मालिकों को तगड़ा झटका दिया है।
मकान मालिक समय पर जरूर कर लें ये काम -
सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार अगर प्रॉपर्टी का असली मालिक अपनी अचल संपत्ति (achal sampatti) को कब्जाधारी से वापस पाने के लिए समयसीमा के अंदर को कदम नहीं उठता है तो संपत्ति से उनका मालिकाना हक ख्त्म हो जाएगा और उस अचल संपत्ति का पर कब्जा करने वाला मालिक बन जाएगा, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजधानी के लोगों ने अपनी- अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। किरायेदारों में खुशी का माहौल है पर मकान मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर दुख जताया है।
सरकार जमीन पर नहीं नहीं माना जाएगा कब्जा -
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट कर दिया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा। यानी, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे (occupation of government land) को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती है।
गोमतीनगर के एक निवासी बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मकान मालिकों (Landlords' rights) को सावधान होने की जरूरत है। फैसले की सीख लेते हुए अपना मकान किराए पर देने से पहले कुछ जरूरी बातों पर गौर करना होगा। चाहे कोई भी है अपना मकान किराए पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट (rent agreement), हाउड रेंट बिल, रेंट जैसी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि उनके मकान में रहने वाला किरायेदार मकान पर कब्जे को लेकर कोई दावा न कर सकें। उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति पर किसी ने कब्जा जमा लिया है तो जल्द से जल्द उसके खिलाफ कार्रवाई करें। ताकि आपको अपनी प्रॉपर्टी से हाथ न धोना पड़े।
सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात -
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) की बेंच ने अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा है कि ‘हमारा फैसला है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी कार्रवाई के वहां से हटा नहीं सकता है। अगर किसी ने प्रॉपर्टी पर 12 साल से अवैध कब्जा कर रखा है तो कानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार भी नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही कानूनी अधिकार, मालिकाना हक मिल जाएगा। हमारे विचार से इसका परिणाम यह होगा कि एक बार अधिकार (राइट), मालिकाना हक (टाइटल) या हिस्सा (इंट्रेस्ट) मिल जाने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में तलवार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, वहीं प्रतिवादी के लिए यह एक सुरक्षा कवच होगा। अगर किसी व्यक्ति ने कानून के तहत अवैध कब्जे (Illegal occupation of property) को भी कानूनी कब्जे में तब्दील कर लिया तो जबर्दस्ती हटाए जाने पर वह कानून की मदद ले सकता है।’