My job alarm

Supreme Court ने कर दिया क्लियर, परिवार का ये सदस्य बिना किसी से पूछे बेच सकता है सारी प्रोपर्टी

Supreme Court update : आम तौर पर एक परिवार में सभी सदस्य मिल जुलकर रहते हैं और सभी फैसलों पर सहमत नजर आते हैं, लेकिन कई बार स्थिति ऐसी आ जाती है कि परिवार की आपस में नहीं बनती। जब छोटी छोटी बातों पर नहीं बनती तो बात प्रोपर्टी (property rights) तक भी पहुंच जाती है। लेकिन प्रॉपर्टी को लेकर कई कानून और नियम बने हुए हैं। प्रॉपर्टी के विवादों का हल प्रोपर्टी से जुड़े कानूनों के हिसाब से ही होता है। 

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Supreme Court update : सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया क्लियर, परिवार का ये सदस्य बिना किसी से पूछे बेच सकता है सारी प्रोपर्टी

My job alarm (supreme court decision on property) :  अकसर देखने को मिलता है कि प्रॉपर्टी को लेकर घर में विवाद हो जाता है। वो विवाद देखते ही देखते कोर्ट में पहुंच जाता है और उसपर वर्षों बाद ऐसा फैसला आता है कि उसका रेफरेंस दूसरे केसेज में भी चलता है। घर की साझी संपत्ति (joint property rights) को लेकर भी अकसर विवाद देखने को मिल सकता है। 
घर में संपत्ति को बेचने, गिरवी रखने या फिर उसे किसी और तरीके से इस्तेमाल करने पर उस संपत्ति पर किसका अधिकार है। इससे जुड़ा सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) का एक फैसला आया है। इस फैसले में क्लीयर किया गया है कि प्रॉपर्टी को घर में कौन बेच सकता है। 

 

सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल ही में ज्वाइंट फैमिली में संपत्ति को लेकर ये बड़ा फैसला आया है। कौन चाहे तो पूरी संपत्ति को बेच सकता है, पूरी संपत्ति को गिरवी रख सकता है। ये अधिकार घर में किसको है। उन्हें क्या किसी की परमिशन लेने की जरूरत है। ये सब इस फैसले से क्लीयर हो रहा है। 

 

दरअसल कुछ कानून पुरानी रीति रिवाजों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। गैर-विभाजित हिंदू परिवार के लिए प्रॉपर्टी को लेकर कुछ कानून अलग हैं। जिनमें ये बताया गया है कि प्रॉपर्टी पर किसका अधिकार होगा, कौन अपनी प्रॉपर्टी को बेच सकेगा। कितना हिस्सा बेच सकेगा। पुस्तैनी प्रॉपर्टी (ancestral property rules) पर किसका अधिकार होगा। 

 

Supreme Court ने फैसले में कही ये बात


प्रॉपर्टी के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने बताया है कि परिवार का कर्ता चाहे तो वह ज्वाइंट फैमिली में ज्वाइंट प्रॉपर्टी को बेच सकता है या गिरवी रख सकता है। इसके लिए उसको किसी की आज्ञा की आवश्यकता नहीं होगी। अदालत ने कहा कि प्रॉपर्टी (Supreme Court on property rights) में हिस्सेदार कोई नाबालिग है तो भी उस प्रॉपर्टी पर अधिकार कर्ता का होगा। अब सवाल आता है कि ये कर्ता कौन होता है। 

ज्वाइंट हिंदू फैमिली में कर्ता का खास रोल होता है। कर्ता के पास पारिवारिक संपत्ति (household wealth) से जुड़े अहम फैसले लेने का पूरा अधिकार होता है। उसको घर के अन्य लोगों से पूछने की जरूरत नहीं है। वह चाहे तो उसे बेच सकता है चाहे उसे गिरवी रख सकता है, बस कुछ भी गैर कानूनी ना हो।  

 

अब जानिए घर में कौन है वो अहम सदस्य जिसको हर अधिकार


कर्ता को संपत्ति पर पूरा अधिकार होता है। हिंदू ज्वाइंट फैमिली (joint hindu family property rules) में कर्ता को ये अधिकार दिए गए। यह अधिकार कर्ता को जन्म से मिलता है। परिवार में सबसे बड़ा पुरुष कर्ता होता है। सबसे बड़े की मौत हो जाती है तो उससे छोटे को ये कर्ता माना जाता है। वहीं कुछ अन्य मामलों में वसीयत से भी कर्ता बनाया जा सकता है। 
 

 

इस व्यक्ति को मिलते हैं खास अधिकार


कर्ता को घर में फैसले लेने के अधिकार होते हैं। यहां तक की प्रोपर्टी (hindu family property rights) को बेचने तक का अधिकार कर्ता के पास होता है। लेकिन कुछ मामलों में ये अधिकार नहीं मिलते। कर्ता अपनी जगह किसी को नोमिनी बना दे तो ये अधिकार भी उसी को चले जाते हैं।  वसीयत से वह ऐसा कर सकता है। परिवार की सहमति से भी कोई एक कर्ता बन सकता है। हिंदू कानून के आधार पर कई बार कोर्ट से भी कर्ता डिक्लेयर हो सकता है, लेकिन ऐसा बहुत कम ही होता है। 

अब जानिए किस मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला 


कोर्ट में जो मामला आया था उसमें 31 जुलाई 2023 को मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court on property rights) ने पहले ही फैसला दे दिया था। 1996 में ये मामला शुरू हुआ था। इसमें याची ने कहा था कि पिता ने एक ज्वाइंट फैमिली की प्रॉपर्टी (joint family property rights) गिरवी रख दी है। याची ने ये भी बताया था कि उनके पिता घर के कर्ता थे। 


इस पर मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि कानून के तहत कर्ता प्रॉपर्टी पर फैसले ले सकता है। कर्ता को किसी से पूछने की आवश्यकता नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) भी मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से सहमत रहा। 
अदालत ने बोला कि कोपर्सिनर (Coopersiner) यानी समान उत्तराधिकारी या घर का  सदस्य केवल गैर कानूनी होने पर ही दावा कर सकता है। अदालत ने कहा कि इस मामले में कुछ गैर कानूनी (family property rights) नहीं दिखाई दे रहा। बता दें कि परिवार में बाप, बेटा, बहन, मां सब शामिल होते हैं। जबकि कोपर्सिनर में केवल पुरुष सदस्यों को ही गिना जाता है। इसमें दादा, पिता, परदादा, बेटा, भाई आदि शामिल होते हैं। ऐसे में परिवार दो प्रकार से होता है।

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