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पत्नी की प्रोपर्टी में पति के हक को लेकर Supreme Court ने दिया ऐतिहासिक फैसला

Rights In Wife's Property : आजकल अदालतों में घरेलू विवादों के केस आम हो गए हैं। इनमें से अधिकतर मामले पति-पत्नी के बीच विवाद के देखने को मिलते हैं और पत्नी की प्रॉपर्टी में पति अपना हक जताते हैं। लेकिन अधिकतर लोगों को ऐसे विवादों में कानूनी प्रावधानों (property law) की जानकारी ही नहीं है। इस कारण विवाद ज्यादा बढ़ जाते हैं। पति-पत्नी के बीच विवाद के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला (property dispute in husband and wife) सुनाया है। आइये खबर में विस्तार से जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में पत्नी की प्रॉपर्टी पर पति के हक को लेकर क्या टिप्पणी की है।

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पत्नी की प्रोपर्टी में पति के हक को लेकर Supreme Court ने दिया ऐतिहासिक फैसला

My job alarm (Supreme Court decision) : सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच विवाद के एक केस में केरल हाईकोर्ट के फैसले को नकारते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्त्रीधन महिला की पूर्ण संपत्ति है, जिसे वो अपनी (husband's property in wife's property) मनमर्जी से खर्च कर सकती है। पत्नी की प्रॉपर्टी में पति का कोई हक नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार पति संकट काल में पत्नी की इस प्रॉपर्टी का उपयोग कर सकता है, लेकिन उसे इसका मूल्य भी लौटाना होगा। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 (wife's property) के तहत पति को अपनी पत्नी के जेवरात छीनने पर 25 लाख रुपये की आर्थिक भरपाई करने का आदेश दिया है।


हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद


इस समय पर महिला की उम्र करीब 50 वर्ष है, उसकी शादी 21 साल पहले हुई थी। बढ़ती महंगाई से जीवन यापन के लिए बढ़े खर्चों व हित को ध्यान में रखकर महिला को क्षतिपूर्ति किए जाने का आदेश दिया। शुरू में यह मामला फैमिली कोर्ट पहुंचा था और उसके बाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision ) पहुंचा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के 2022 में दिए गए उस फैसले को भी सिरे से रद्द कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने तलाक मंजूर करते हुए पति और सास से महिला को  सोने की कीमत के रूप में करीब 9 लाख रुपये वसूलने के फैमिली कोर्ट के एक आदेश को रद्द कर दिया था।


हाईकोर्ट के इस तर्क को भी सुप्रीम कोर्ट ने नकारा


इस मामले में केरल हाईकोर्ट (High Court) का तर्क था कि यह विश्वसनीय ही नहीं है कि एक नवविवाहित महिला से शादी की पहली रात ही सोने के सभी आभूषण छीने जा सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court)ने कहा कि लालच मनुष्यों को घृणित अपराध करने के लिए भी प्रेरित करता है। इसलिए लगाए गए आरोप के अनुसार यह नहीं कहा जा सकता कि शादी की पहली रात गहने छीनना विश्वसनीय नहीं है।


यह किया था पत्नी ने दावा


इस मामले के अनुसार पत्नी ने दावा किया था कि 2003 में शादी की पहली रात पति ने उसके गहने ले लिए थे। इन सभी गहनों को सुरक्षित रखने की बात कहकर पति ने अपनी मां को रखने के लिए दे दिए। पति-पत्नी का आपसी रिश्ता शादी के तीन साल बाद ही खत्म हो गया था। इस मामले में केरल हाईकोर्ट(Kerala high court)ने वर्ष 2009 में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए महिला की ओर से सद्भावना की कमी को जिम्मेदार ठहराया गया था। वहीं इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए पत्नी  को आर्थिक क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।

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