Supreme Court ने दिया फैसला, नेशनल हाईवे के लिए जमीन देने वालों को मिलेगा ये लाभ
My job alarm (ब्यूरो)। नेशनल हाइवे के लिए भूमि देने वाले मालिकों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि नेशनल हाईवे के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि पर भी भूमि अधिग्रहण कानून लागू (land acquisition law) होगा। इसका मतलब यह है कि भूमि मालिकों को उनकी ज़मीन के अधिग्रहण के लिए उचित मुआवजा और ब्याज (NHAI land Acquisition compensation) का भुगतान भी किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने नेशनल हाईवे एक्ट की धारा 3 जे को असंवैधानिक घोषित किया। इस धारा के तहत यह प्रावधान था कि नेशनल हाईवे के लिए अधिग्रहित भूमि पर भूमि अधिग्रहण कानून (land acquisition law in India) लागू नहीं होगा। यह निर्णय केंद्र सरकार द्वारा किए गए एक संशोधन का प्रतिकूल प्रभाव है, जो 1997 में NHAI एक्ट में जोड़ा गया था। इससे पहले, नेशनल हाईवे के लिए ली गई ज़मीन भी भूमि अधिग्रहण कानून के दायरे में आती थी।
हाईकोर्ट का आदेश
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब एक व्यक्ति ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उसने अपनी ज़मीन के अधिग्रहण के लिए मिले भुगतान से असंतोष व्यक्त किया था। हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि भूमि मालिक को भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार मुआवजा (Compensation for land Acquisition for National Highway) और ब्याज का भुगतान किया जाना चाहिए। यह आदेश भूमि मालिकों के हक में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
केंद्र सरकार ने दी चुनौती
इस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उसने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी। सरकार का तर्क था कि नेशनल हाईवे के अधिग्रहण (national highway land acquisition rule) के लिए बनाए गए विशेष प्रावधानों के कारण भूमि अधिग्रहण कानून लागू नहीं होना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा।
भूमि मालिकों की जीत
इस फैसले के बाद, अब यह स्पष्ट हो गया है कि नेशनल हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण करने के मामले में भूमि मालिकों को उनकी ज़मीन की उचित कीमत और मुआवजा (Latest Supreme Court judgement on Land Acquisition on NHAI) मिलेगा। यह न केवल भूमि मालिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि सरकार भूमि अधिग्रहण के दौरान पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करे।
यह फैसला न केवल एक न्यायिक जीत है, बल्कि यह सभी भूमि मालिकों के लिए एक नई उम्मीद की किरण भी है। अब उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है और अगर वे अपने मुआवजे को लेकर असंतुष्ट हैं, तो उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाने से नहीं हिचकिचाना चाहिए।