My job alarm

Supreme Court Decision : सरकारी कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, सैलरी के मामले में सुनाया फैसला

Supreme Court Decision : अगर आप सरकारी कर्मचारी है तो ये खबर आपके लिए राहत भरी है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्तवपूर्ण फैसले में कहा क‍ि क‍िसी कर्मचारी की सैलरी में कटौती नहीं की जा सकती. जो सैलरी एक बार तय कर दी गई, उसमें बदलाव नहीं क‍िया जा सकता है... कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए खबर के साथ अंत तक बने रहे.
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Supreme Court Decision : सरकारी कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, सैलरी के मामले में सुनाया फैसला

My job alarm - सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्तवपूर्ण फैसले में कहा क‍ि क‍िसी कर्मचारी की सैलरी में कटौती नहीं की जा सकती. जो सैलरी एक बार तय कर दी गई, उसमें बदलाव नहीं क‍िया जा सकता है. दरअसल कई बार सरकारें कर्मचार‍ियों की सैलरी यूं ही काट लेती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी चीजों पर नाराजगी जताई है. जिसके चलते कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी सरकारी कर्मचारी के वेतनमान में कटौती और उससे वसूली का कोई भी कदम दंडात्मक कार्रवाई (Punitive Action) के समान होगा, क्योंकि इसके गंभीर परिणाम होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, न तो क‍िसी कर्मचारी की सैलरी को कम किया जा सकता है और न ही ऐसा कोई फैसला सरकार कर सकती है क‍ि सैलरी में पिछले महीने या पिछले साल से कटौती होगी. जस्‍ट‍िस संदीप मेहता और जस्‍ट‍िस आर. महादेवन की पीठ ने एक र‍िटायर्ड कर्मचारी की सैलरी में कटौती संबंधी (Regarding reduction in salary of retired employee) बिहार सरकार के अक्टूबर 2009 के आदेश को रद्द कर दिया. राज्य सरकार ने निर्देश दिया था क‍ि पहले तो सैलरी काट ली जाए, उसके बाद भी पूरा न हो, तो उनसे वसूली की जाए.

रिटायर्ड कर्मचारी ने पटना हाईकोर्ट (Patna High court) के फैसले को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने माना था क‍ि वेतन तय करते समय उनके सैलरी में कटौती की गई. यह फरवरी 1999 में सरकार की ओर से जारी प्रस्‍ताव के मुताबिक थी. ज‍िसमें कहा गया था क‍ि वे ज्‍यादा सैलरी लेने के हकदार नहीं थे. उन्‍हें गलत तरीके से ज्‍यादा सैलरी दी जा रही थी.

इस शख्‍स को 1966 में बिहार सरकार में आपूर्ति निरीक्षक के पद पर नियुक्त (Appointed to the post of Supply Inspector in Bihar Government) किया गया था. 15 साल तक सेवा देने के बाद उन्हें प्रमोशन मिला. लेकिन अप्रैल 1981 से उन्हें जूनियर चयन ग्रेड में रखा गया. 25 साल की सेवा के बाद उन्हें 10 मार्च, 1991 से एसडीओ बना दिया गया. इसके बाद राज्‍य सरकार ने फरवरी 1999 में एक प्रस्‍ताव जारी कर दिया, जिसमें विपणन अधिकारी और एडीएसओ की सैलरी को जनवरी 1996 से संशोध‍ित कर दिया गया. यानी सैलरी बढ़ाने के बजाय घटा दी गई.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जो व्‍यक्‍त‍ि 31 जनवरी, 2001 को एडीएसओ के पद से रिटायर हुआ, उसे अप्रैल 2009 में राज्य सरकार से एक पत्र मिला. बता दिया गया क‍ि उसकी सैलरी तय करने में गलती हुई है, उन्‍हें ज्‍यादा सैलरी दे दी गई है. इसल‍िए उनसे 63,765 रुपये वसूले जाने चाहिए. इसके बाद कर्मचारी ने हाईकोर्ट (Highcourt) का दरवाजा खटखटाया, लेकि‍न हाईकोर्ट ने उसकी बात नहीं सुनी. तब वे सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) पहुंचे.

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