Supreme Court ने किया क्लियर, जिसका प्रोपर्टी पर इतने साल से कब्जा वही होगा उसका मालिक
Supreme Court decision on property possession : प्रोपर्टी पर कब्जा होने के बारे में आपने बहुत सुना होगा लेकिन क्या आपको इससे संबंधित नियमों के बारे में पता है। किस प्रोपर्टी पर और कब कब्जा कर आप उसके मालिक बन सकते है या अपनी प्रोपर्टी से कब आप हाथ धो बैठेंगे इसी से संबंधित मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुना दिया है। आइए आप भी जान लें क्या है इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला...
My job alarm - प्रोपर्टी पर कब्जा होना, ये बात आपने बहुत बार सुनी होगी। क्या होगा अगर ऐसा आपके साथ भी हो जाए। अकसर लोगों की लापरवाही के चलते ऐसी नौबत आ जाती है। मान लो कि अगर आपकी किसी अचल संपत्ति (Immovable property) पर किसी ने कब्जा (possession on property) जमा लिया है तब ऐसी स्थिति में उसे वहां से हटाने में लेट लतीफी नहीं करें। यहां आपकी की गई लापरवाही आपको बहुत भारी पड़ सकती है। अपनी संपत्ति पर दूसरे के अवैध कब्जे (illegal occupation of another's property) को चुनौती देने में देर की तो संभव है कि वह आपके हाथ से हमेशा के लिए निकल जाए। हम ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) ने इस संबंध में एक बड़ा फैसला दिया है।
12 साल के अंदर-अंदर उठाना होगा ये कदम, वरना...
प्रोपर्टी पर कब्जे (possession of property) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अगर वास्तविक या उस प्रोपर्टी का वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए समयसीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाया तो उनका मालिकाना हक (ownership rights of property) उस संपत्ति से समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर उस प्रोपर्टी का मालिकाना हक दे दिया जाएगा।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण (encroachment on government land) को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा। यानी, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे (illegal occupation of government land) को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती है।
3 जजों ने की कानून के प्रावधानों की व्याख्या
कब्जे पर बने कानूनों के अनुसार लिमिटेशन ऐक्ट 1963 (Limitation Act 1963) के तहत निजी अचल संपत्ति पर लिमिटेशन (delimitation) की वैधानिक अवधि 12 साल जबकि सरकारी अचल संपत्ति के मामले में 30 वर्ष है। यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है। सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस कानून के प्रावधानों की व्याख्या (Interpretation of provisions of law) करते हुए कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने अचल संपत्ति पर 12 वर्षों से अधिक से कब्जा कर रखा है। अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया तो उसके पास संपत्ति पर दोबारा अधिकार पाने के लिए कानून की शरण में जाने का अधिकार (property rights in India) है।
Supreme Court ने कही ये बात..
संपत्ति पर कब्जे की बात (possession of property) पर बेंच ने कहा, 'हमारा फैसला है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के वहां से हटा नहीं सकता है। अगर किसी ने 12 साल से अवैध कब्जा कर रखा है तो कानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार भी नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे (illegal occupation) वाले को ही कानूनी अधिकार, मालिकाना हक मिल जाएगा।
बेंच ने कहा कि हमारे विचार से इसका परिणाम यह होगा कि एक बार अधिकार (rights), मालिकाना हक (property title) या हिस्सा (इंट्रेस्ट) मिल जाने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के (articles of law) दायरे में तलवार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, वहीं प्रतिवादी के लिए यह एक सुरक्षा कवच होगा। अगर किसी व्यक्ति ने कानून के तहत अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे में तब्दील (Converting illegal possession into legal possession) कर लिया तो जबर्दस्ती हटाए जाने पर वह कानून की मदद ले सकता है।'
इतने साल लावारिस पड़ रहने पर नही रहेगा प्रोपर्टी पर कोई हक...
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के द्वारा अपने फैसले में ये स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी ने 12 वर्ष तक अवैध कब्जा जारी रखा और उसके बाद उसने कानून के तहत मालिकाना हक प्राप्त कर लिया तो उसे उस जमीन का असली मालिक भी नहीं हटा सकता है। अगर उससे जबरदस्ती कब्जा हटवाया (forcibly removed the encroachment) गया तो वह असली मालिक के खिलाफ भी केस कर सकता है और उसे वापस पाने का दावा कर सकता है क्योंकि असली मालिक 12 वर्ष के बाद अपना मालिकाना हक (ownership rights in India) खो चुका होता है।