Rent Agreement New Rules : सिर्फ 11 महीने का ही क्यों होता है रेंट एग्रीमेंट, किराएदार और मकान मालिक जान लें नियम
Rent Agreement Rules : किराए पर जब भी आप घर लेने जाते है तो आपको मकानमालिक के द्वारा रेंट एग्रीमेंट दिया जाता है। ये किराएदार और मकानमालिक के बीच एक साझा दस्तावेज होता है। अब आपके मन में ये सवाल भी उठ रहे होंगे कि आखिर ये रेंट एग्रीमेंट सिर्फ 11 महीने का ही क्यों होता है । इसके पीछे क्या कारण हो सकता है। अगर नही जानते है तो आइए नीचे खबर में विस्तार से जान लें रेंट एग्रीमेंट को लेकर ये सारे नियम...
My job alarm - आजकल अगर कोई बिजनेस करने के बारे में आप सोच भी रहे है तो आप अपने घर बैँठे ही नियमित आय का इंतजाम कर सकते है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि कैसे? हम बात कर रहे है रेंट पर घर देने (give house on rent) की जो कि आय का एक परमानेंट स्त्रोत है। ऐसा हम इसलिए भी कह रहे है क्योंकि लोग आजकल नौकरी और अपने किसी भी काम के चलते एक शहर से दूसरे शहर शिफ्ट हो जाते हैं। वैसे तो भारत में हर इंसान का सपना अपने खुद के घर का होता है, लेकिन सभी की आर्थिक स्थिति (financial condition) ऐसी नहीं होती कि वो अपना खुद का घर ले पाए या फिर बनवा सके। इसलिए देश में रेंट पर घर या फ्लैट लेने की परंपरा तेजी से बढ़ रही है। खासकर बड़े शहरों में तो इसका चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है।
अब बात करते है किराए पर मकान की तो जब भी कोई किराएदार किराए पर घर लेने जाता है तो मकान मालिक उसे रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) के लिए बोलता है और बिना रेंट एग्रीमेंट के अपना घर किराए पर नहीं देता। आपको बता दें कि रेंट एग्रीमेंट एक आधिकारिक दस्तावेज (Rent Agreement an official document) होता है, जिसका मतलब यह है कि आप उस घर में किराएदार के हैसियत से रह रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी भी इस बात पर गौर किया है कि रेंट एग्रीमेंट हमेशा 11 महीने के लिए ही क्यों बनता है और इसका क्या कारण हो सकता (Rent Agreement tenure) है?
जानिए 11 महीने के रेंट एग्रीमेंट के पीछे की कहानी
रेंट पर कभी घर लिया है तो आप रेंट एग्रीमेंट से तो जरूर वाकिफ होंगे ही। भारत में रेंट एग्रीमेंट के लिए कानून (Law for rent agreement) में बकायदा नियम बनाया गया है। भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 (डी) के तहत रेंट एग्रीमेंट बनवाना जरूरी होता है। हालांकि, यह एग्रीमेंट कम से कम एक साल के लिए बनवाना होता है और एक साल से कम अवधि के लिए रेंट एग्रीमेंट या लीज एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन (Registration of rent agreement or lease agreement) करवाना जरूरी नहीं है। या फिर आसान भाषा में कहें तो आपका मकान मालिक 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट बनवा सकता है।
अब इस पर विशेष राय देते हुए कानून के जानकारों का ये मानना हैं कि देश में कानून पेचीदा हैं और ज्यादातर कानून किराएदार के पक्ष में बनाए गए हैं। देखा गया है कि किराएदार का अकसर मकान मालिक से विवाद (dispute with landlord) हो जाता है और उसके बाद जब मकान मालिक अपना घर खाली करवाना चाहता है तो कानूनी प्रक्रियाओं में वर्षों तक फंस जाता है। इसलिए 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) बनवाया जाता है।
मालिक और किराएदार में विवाद होने पर कोर्ट करता है कार्रवाई
कानून भी कुछ सोच समझकर ही बनाए गए है। रेंट टेनेंसी एक्ट (Rent Tenancy Act) के अनुसार अगर किराए को लेकर मकान मालिक और किराएदार में कोई विवाद होता है, जिसके बाद अगर मामला कोर्ट में पहुंचता है तो कोर्ट को यह अधिकार है कि वह किराए को तय कर दे, ताकि मकान मालिक अधिक किराया न ले पाए।
इसके अलावा, अगर कोई मकान मालिक 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट करता है तो उसे स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं देनी पड़ती, क्योंकि उस पर देय स्टाम्प चार्ज (stamp charges) अनिवार्य नहीं होता है और इससे मकान मालिक का खर्च भी बचता है।
आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि कानून में 11 महीने का नोटरी रेंट एग्रीमेंट वैध (Notarized rent agreement valid) है। अगर कोई विवाद होता है तो इन एग्रीमेंट को सबूत के रूप में पेश (present the agreement as evidence in court) किया जा सकता है। ऐसे ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए 100 रुपये या 200 रुपये के स्टाम्प पेपर का इस्तेमाल करते हैं।