RBI ने लोन के नियमों में किए बड़े बदलाव, अब बैंक का पैसा नहीं खा सकेगा कोई
My job alarm- LOC against defaulters: विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारी सरकारी बैंकों को अरबों रुपये की चपत लगाकर विदेशों में बैठे हैं। भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सरकारी बैंकों को लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी करने का कानूनी अधिकार दिया जा सकता है। सरकारी (project finance loan) बैंकों के पास डिफॉल्टर्स के खिलाफ एलओसी जारी करने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश करने या अनुरोध करने का अधिकार नहीं है।
दरअसल, इस फैसले के पीछे का कारण यह हैं कि अब कोई विजय माल्या, नीरव मोदी की तरह बैंकों का पैसा लेकर नहीं भाग सकेगा। इसी के चलते बैंक द्वारा ज्यादा कर्ज देने पर आरबीआई (What is LOC against defaulters) रोक लगाना चाह रहा हैं। आरबीआई अपने नियमों में (rbi project finance loan) बदलाव इसलिए कर रहा हैं ताकि कोई भी ज्यादा से ज्यादा लोन लेकर डिफॉल्ट न करें। इसलिए एक सीमित दायरें में भी बैंको को लोन बांटने को कहा गया है।
हालांकि बैंकों के सामने लोन देने की समस्या बेहद गंभीर हैं। लेकिन इस समस्या से लडने के लिए केंद्रीय बैंक (news about reserve bank of india) ने एक उपाय निकाला है। दरअसल बैंकों और एनबीएफसी को प्रोजेक्ट फाइनेंस लोन के लिए अधिक परसेंटेज अलॉट करने की जरूरत हो सकती है। जिसके कारण बैंकों को होने वाले नुक्सान के लिए रिजर्व में अलग से निकाल कर पैसा रखना होता हैं। जिससे कि निवेशकों को कम लाभांश और भविष्य के निवेश के लिए कम पूंजी उपलब्ध हो सकती है।
क्या है नियम -
बैंक ग्राहको को उनके हिसाब से लोन देता है। छोटे ग्राहकों को रिटेल लोन दिए जाते हैं. घर या अन्य संपत्ति को (non-banking financial companies) सिक्योरिटी के तौर पर रखा जाता है. अकाउंट में लोन आने के साथ ही ईएमआई शुरू हो जाती है। वहीं बड़े कर्जों करोड़ रुपये में होते है. बड़े कर्जों में को सड़क, पुल आदि योजनाओं के लिए दिया जा सकता है.वैसे कर्जों को किमत के आधार पर दिया जाता है.
मुनाफे का सारा हिस्सा एक साथ खर्च नहीं -
आपको बता दें कि कोई भी बैंक अपने मुनाफे का सारा हिस्सा एक साथ खर्च नहीं करते हैं। क्योंकि अपने मुनाफे का एक हिस्सा भविष्य में यदि कोई संभावित नुक्सान हो तो उसकी भरपाई के लिए रखा जाता हैं। आरबीआई ने कुछ (List of bank defaulters) नियम बनाए हैं कि जिसके चलते बड़े कर्जों के लिए बैंक (RBI New Rules) आमतौर पर अपनी ओर से किए गए कर्जों का 0.4 फीसदी प्रोवीजन रखते हैं। लेकिन RBI उसे बढ़ा कर 5 फीसदी तक करना चाहता हैं। इन्हीं चीजों के चलते RBI समय समय पर बदलाव करते रहते हैं।
आरबीआई द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार कई सरकारी और निजी बैंक शेयरों में 9 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। ऐसे में बैंक बढ़े हुए प्रोविजन की भरपाई के लिए अलग तरीकों की भी तलाश कर सकते हैं। इससे बैंकों पर लाभ (Govt banks news) कमाने या अपने कर्ज को बढ़ाने का दबाव पड़ सकता है। ऐसा न करने पर शेयरहोल्डर नाराज हो सकते हैं।