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Property Rule : किरायेदार कितने साल बाद कर सकता है मकान पर कब्जा, जानें क्या कहता है कानून

Property Knowledge : एक्स्ट्रा इनकम के लिए लोग विभिन्न निवेश विकल्पों का सहारा लेते हैं, जैसे कि सेविंग स्कीम, म्यूचुअल फंड और प्रॉपर्टी में निवेश। हाल के वर्षों में, छोटे और बड़े शहरों में घर या फ्लैट किराए पर देने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। यह पैसे कमाने का एक आसान तरीका है। कुछ मकान मालिक अपने मकान को किरायेदार के भरोसे छोड़ देते हैं, और हर महीने उन्हें किराया मिल जाता है। हालांकि, ऐसा करना उन्हें मुश्किल में डाल सकता है, क्योंकि किरायेदार उनकी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर सकता है। आइए जानते हैं कितने साल बाद किरायेदार मकान पर कब्जा कर सकता है- 

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Property Rule : किरायेदार कितने साल बाद कर सकता है मकान पर कब्जा, जानें क्या कहता है कानून 

My job alarm - (tenant and landlord rights) किराए पर घर और दुकान देना देश में लाखों लोगों के लिए अतिरिक्त आय का एक बड़ा स्रोत है। खासकर बड़े शहरों और महानगरों में, किराए पर दी गई संपत्तियों से लोगों की अच्छी आमदनी होती है। हालांकि, किराए के इस खेल में कुछ खतरे भी होते हैं, जिनमें सबसे बड़ा जोखिम संपत्ति पर कब्जा करना है।


कई मकान मालिक किराए (landlord rights) पर दिए गए घरों के बारे में बेफिक्र हो जाते हैं, यह सोचकर कि जब तक उन्हें किराएदार से समय पर रेंट मिलता रहे, तब तक कोई परेशानी नहीं है। लेकिन यह सोच एक बुरी नीयत वाले किरायेदार के मामले में घातक साबित हो सकती है। ऐसे मामलों में, किरायेदार मकान मालिक की संपत्ति पर कब्जा कर सकता है, जिससे मालिक को कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ सकता है।

कई बार कुछ किरायेदार सालों तक किराए पर रहने के बाद मालिक की संपत्ति (Property Rights) पर हक जताने लगते हैं और सीधे तौर पर उस पर कब्जा कर लेते हैं। इस स्थिति में मकान मालिक की छोटी-सी भूल बड़े संकट का कारण बन सकती है। प्रॉपर्टी कानून में ऐसे कुछ प्रावधान हैं, जिनका इस्तेमाल करके किरायेदार मकान मालिक की संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते हैं। 


उदाहरण के लिए, यदि मकान मालिक ने सही तरीके से किराए की अवधि या अनुबंध को प्रबंधित नहीं किया, तो यह किरायेदार के लिए संपत्ति पर कब्जा (possession of property) करने का रास्ता खोल सकता है। इसलिए, सभी मकान मालिकों को इन कानूनों और अधिकारों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। 

किरायेदार के कब्जे पर क्या कहता कानून

किरायेदार के कब्जे पर कानून क्या कहता है, इसे समझना आवश्यक है। प्रॉपर्टी वेबसाइट 99acres की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक किरायेदार लगातार 12 वर्षों तक एक घर में रहने के बाद उस पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। इसे संपत्ति पर "प्रतिकूल कब्जा" कहा जाता है। प्रतिकूल कब्जे की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब संपत्ति पर पट्टा समाप्त हो जाता है या मकान मालिक किराए के समझौते की शर्तों का पालन नहीं करता है।


भारतीय कानून के तहत, लिमिटेशन एक्ट 1963 के अनुसार, निजी संपत्ति के स्वामित्व का दावा करने की समय अवधि 12 वर्ष है। वहीं, यदि बात सार्वजनिक संपत्ति की हो, तो यह अवधि 30 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।

किरायेदार ऐसे उठाते हैं फायदा

किरायेदार कभी-कभी मकान मालिक के खिलाफ कानून का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। ऐसे मामलों में, किरायेदार को यह साबित करना होता है कि उसने लंबे समय तक संपत्ति पर कब्जा किया है। इसके लिए उसे कुछ जरूरी सबूत पेश करने होते हैं।
इन सबूतों में शामिल हैं: संपत्ति पर कब्जे के दौरान किए गए टैक्स (TAX) के भुगतान की रसीदें, बिजली और पानी के बिल, और गवाहों के एफिडेविट। ये सभी दस्तावेज यह प्रमाणित करने में मदद करते हैं कि किरायेदार ने वास्तव में संपत्ति पर लंबे समय तक कब्जा किया है।

मकान मालिक क्या सावधानी बरतें

मकान मालिकों को अपनी संपत्ति को किराए पर देने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी प्रकार की समस्याओं से बचा जा सके। सबसे पहली बात, उन्हें हमेशा एक रेंट एग्रीमेंट या लीज डीड बनवानी चाहिए। इस रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में किराए, सुरक्षा राशि, किरायेदार की जिम्मेदारियां और अन्य आवश्यक जानकारियां शामिल होनी चाहिए।
चूंकि, रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) आमतौर पर 11 महीने के लिए होता है, इसलिए मकान मालिकों को हर साल समय पर इसका नवीनीकरण कराना चाहिए। नवीनीकरण के दौरान किसी भी शर्त को स्पष्ट रूप से समझाना आवश्यक है ताकि भविष्य में किसी भी विवाद से बचा जा सके।

 

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