Property Rights : दादा के बाद पोते-पोती को कैसे मिलेगा प्रोपर्टी में हिस्सा, जानिये कानूनी प्रावधान
Property rights in India : देश में प्रोपर्टी के हक को लेकर लोगों में जागरूक्ता ही नही है। वैसे भी देश में स्पष्ट कानून नही दिखते है न ही उनके बारे में किसी को जानकारी होती है। फिर इन्ही मामलों पर घरों में विवाद शुरू हो जाते है। ऐसे में आज हम इस खबर के माध्यम से आपकी ये दुविधा दूर करने वाले है कि आखिर दादा की संपत्ति में पोते का हक (grandfather's property rights) होता भी है या नही। अगर होता है तो कितना हिस्सा पोते के पास जाता है? आइए नीचे खबर में जान लें कि इसे लेकर हमारे देश में क्या है कानूनी प्रावधान...
My job alarm (ब्यूरो) - घरों में संपत्ति को लेकर लड़ाई न हो ऐसा तो हो ही नही सकता है। खासकर वर्तमान समय में ये भारत के लगभग हर घर का मुद्दा है। प्रोपर्टी को लेकर विवाद (property dispute) चलना आम बात है क्योंकि यहां के लोगों को अपने अधिकारों और संपत्ति के नियमों (property rights in India) के बारे में जानकारी ही नही होती है।
भारत देश में जमीन, जायदाद और संपत्ति को लेकर कहीं न कहीं विवाद छिड़ा ही रहता है। इसको लेकर भारत में स्पष्ट कानून ना होने के चलते कोर्ट और कचहरियों में संपत्ति बंटवारे (property division) से जुड़े हजारों-लाखों केस सालों से पेंडिंग पड़े हुए हैं। आज हम आपके लिए संपत्ति से जुड़े ऐसे ही जटिल सवालों के जवाब लेकी आए है ताकि आपको भी इसके बारे में सही और स्टीक जानकारी हासिल हो। जैसे एक सवाल अक्सर उठता है कि दादा की संपत्ति में पोते का हक (Grandson's right in grandfather's property) होता है या नहीं। तो चलिए आज इस जटिल सवाल के जवाब के बारे में आपको बताते हैं।
दादा की वसीयत ना हो तो ऐसे किया जाएगा बंटवारा (Property Division)
दादा की प्रोपर्टी पर हक के मामले पर बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Industrial Development Authority) के ओएसडी डॉ. लालकृष्ण ने बताया कि देखा जाए तो दादा की संपत्ति में पोते का सीधा अधिकार नहीं होता (Grandson has no direct right in grandfather's property) है। ये तो शायद सब जानते ही होंगे कि अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसकी कोई वसीयत नहीं है तो उस पर पहला अधिकार उसके बेटे और बेटी का होता है।
लेकिन, अगर उनकी भी मृत्यु हो जाए तो संपत्ति पोते या पोती को मिल जाती (property law in India) है। बता दें कि इसके लिए एसडीएम कोर्ट में एक एप्लीकेशन देनी होती है। सभी दस्तावेजों की जांच के बाद दाखिल खारिज कराया जा सकता है। जानकारी के अनुसार यूपी में पारिवारिक बंदोबस्त के प्रावधान के तहत बंटवारा कराया जा सकता (law for property division) है।
दादा की संपत्ति पर पोते का कितना होता है अधिकार?
इसके अलावा एक और बात ये भी है कि भारतीय कानूनी नियमों (Indian legal rules) के अनुसार मान लो कि अगर कोई बच्चा अपने माता-पिता की इज्जत नहीं करता, उनका ख्याल नहीं रखता या अन्य कोई ऐसा कारण होता है तो माता-पिता उस बच्चे को अपनी संपत्ति से बेदखल (evicted from property) कर सकते हैं।
लेकिन, यहां ये बात जान लेनी बेहद जरूरी है कि यह काम वह सिर्फ अपनी स्व अर्जित संपत्ति के लिए ही कर सकते हैं। दादा या अन्य किसी पूर्वज की संपत्ति से पोते को बेदखल नहीं किया जा सकता है। पुश्तैनी संपत्ति पर उसका अधिकार (rights on ancestral property) ज्यो का त्यो बना रहेगा। उससे उसको बेदल या वंचित नही किया जा सकता है।
पिता की संपत्ति में बेटा बेटी का अधिकार
वैसे तो पिता की संपत्ति में बेटा बेटी का बराबर का अधिकार होता है लेकिन ये अधिकार सिर्फ पैतृक संपत्ति (ancestral property) का ही है। पैतृक संपत्ति का मतलब जो पूर्वजों से मिली है। जहां तक पिता की खुद बनाई संपत्ति (self acquired property) का सवाल है तो ऐसे में वो अपनी जमीन को बेचने, दान देने, उसके अंतरण संबंधी किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इसका उल्लेख भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, संपत्ति अंतरण अधिनियम में है। पिता द्वारा स्वयं अर्जित की गई प्रोपर्टी से संबंधित उनके फैसले को कोई भी न तो प्रभावित कर सकता है और न ही कोई फैसला बदलने के लिए बाध्य कर सकता है। ऐसे में अगर इस जमीन पर अधिकार के कानूनी पक्ष को देखें तो हम पाते हैं कि पता द्वारा खुद बनाई संपत्ति पर किसी भी निर्णय को लेकर सिर्फ उनका ही अधिकार है।
पिता अगर अपनी स्वअर्जित जमीन की वसीयत तैयार करता है और जिस किसी को भी उसका मालिकाना हक देना चाहता है तो इस जमीन पर उसी का अधिकार होगा। संबंधित व्यक्ति के बच्चे अगर इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में ले जाए तो तो वसीयत पूरी तरह से वैध होने की स्थिति में यह संभावना है कि इस मामले में कोर्ट पिता के पक्ष में ही फैसला सुनाएगा।