property rights : पति और ससुर की प्रोपर्टी में पत्नी का कितना अधिकार, जान लें क्या कहता है देश का कानून
property rights decision : एक शादीशुदा महिला की सामाजिक रूप से कई जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। वह अपनी ससुराल में सास-ससुर की सेवा करते हुए पति के कार्यों में भी हाथ बंटाती है। इसके बावजूद सबसे अनसुलझा सवाल तो यह है कि ससुराल यानी सास-ससुर व पति की प्रोपर्टी (High court decision on property rights) में कानूनी रूप से उसका कितना अधिकार है। हाई कोर्ट ने एक मामले में बड़ा फैसला दिया है, जिसमें आपको इस सवाल का जवाब मिल जाएगा। आइये जानते हैं विस्तार से इस खबर में।
My job alarm - (property knowledge) आमतौर पर यही समझा जाता है कि शादी के बाद महिला का उसकी ससुराल में प्रोपर्टी में भी पूरा हक हो जाता है। पति की तरह ही उसका भी संपत्ति पर पूरा या आंशिक अधिकार (Wife's Rights on Property) होता है। यहां पर इस पहलू पर कानूनी रूप से विस्तार से जानेंगे कि क्या वास्तव में ऐसा है या फिर कानूनी तौर पर कोई और प्रावधान है। नीचे खबर में जानिये एक बहू का उसकी ससुराल में पति या सास-ससुर की प्रोपर्टी में कितना हक होता है।
यह है कानून में प्रावधान
किसी भी प्रोपर्टी पर अधिकार या हक को लेकर भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (Succession Act) और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ अहम हैं। इनके आधार पर ही देखा जाता है किस तरह की संपत्ति में किसका कितना हक या अधिकार है। उत्तराधिकारी इन कानूनों के अनुसार तय होता है। सिर्फ शादी होने से यह मतलब नहीं होता कि महिला को शादी के बाद पति या ससुराल की संपत्ति पर हक (sasural ki property me bahu ka hak) मिल जाएगा। कानून के अनुसार इसमें कई बातों को देखा जाता है।
पत्नी कब कर सकती है अपने हिस्से का दावा
पति या ससुराल की संपत्ति में बहू विशेष स्थिति में ही अपने हिस्से की मांग कर सकती है। कानून के अनुसार पति के जीवित रहते उसे पति की कमाई से हासिल प्रोपर्टी (Self Acquired Property)में हक मांगने का अधिकार नहीं है। न ही वह दावा कर सकती है या चुनौती दे सकती है। यही प्रावधान सास-ससुर की कमाई की प्रोपर्टी को लेकर है। यहां पर यह भी स्पष्ट कर दें कि पति की मौत के बाद भी पत्नी का प्रोपर्टी में तभी हक (sasural ki property me bahu ka kitna hak hota hai) होगा,
जब पति ने मरने से पहले कोई वसीयत न लिखी हो। अगर पति ने किसी और के नाम वसीयत लिखी होगी तो भी पत्नी को वह प्रोपर्टी नहीं मिलेगी। हालांकि तलाक होने पर या पति से अलग रहने की स्थिति में महिला पति की ओर से गुजारा-भत्ता दिलाए जाने का दावा कोर्ट में कर सकती है, पति की संपत्ति (Husband's Property) में हक फिर भी नहीं जता सकती।
ससुराल की प्रोपर्टी में बहू का कितना अधिकार
अगर भारतीय हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 में दिए गए प्रावधान की बात करें तो पति व सास-ससुर के जिंदा रहने तक किसी बहू का ससुराल की पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में अधिकार या हक नहीं होता। पति की मौत के बाद उसे वह ससुराल की पैतृक संपत्ति में पति के हक की संपत्ति का हक जता सकती है। सास-ससुर की कमाई गई प्रोपर्टी में उसका हक फिर भी नहीं होता।
इस तरह की संपत्ति नहीं होती बेनामी
कई बार पति अपनी कमाई से खरीदी गई प्रोपर्टी को अपनी पत्नी के नाम (pati ki property me patni ka hak)करवा देता है। ऐसे में यह बेनामी संपत्ति नहीं कही जा सकती, क्योंकि हाई कोर्ट का कहना है कि एक पति को कानूनी तौर पर यह अधिकार होता है कि वह अपनी आय के ज्ञात स्रोत से पत्नी के नाम अचल संपत्ति (Immovable Property) खरीद सकता है। यह बेनामी (Benami Property kon si hoti hai) संपत्ति की श्रेणी में नहीं आती। इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि पत्नी के नाम खरीदी प्रोपर्टी का मालिक कौन होगा। पत्नी के नाम खरीदी प्रोपर्टी पर अधिकार में मामले में कोर्ट ने उपयुक्त टिप्पणी की है।
यह कहना है हाई कोर्ट का
पति की कमाई से खरीदी गई प्रोपर्टी को पत्नी के नाम कराने के बाद उसका असली मालिक कौन होगा? यह भी एक बड़ा व पेचीदा सवाल है। इस पर हाई कोर्ट (high court news) ने कहा है कि ऐसी संपत्ति का मालिक अपनी कमाई से प्रोपर्टी खरीदने वाला ही होता है। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी के नाम पर प्रोपर्टी खरीदे जाने से उसकी नहीं हो जाती, वह उसी की होगी जिसने अपने कमाई के ज्ञात स्रोत से प्रोपर्टी को खरीदा है।
अपील पर हाई कोर्ट ने की यह टिप्पणी
प्रोपर्टी से जुड़े एक मामले में जस्टिस वाल्मीकि जे. मेहता की बेंच ने एक व्यक्ति की अपील पर यह टिप्पणी की है। साथ ही जस्टिस ने ट्रायल कोर्ट का वह आदेश निरस्त कर दिया जिसमें अपीलकर्ता से ऐसी दो संपत्तियों पर अधिकार होने से मना कर दिया था, जो उसने अपनी कमाई से पत्नी के नाम पर खरीदी थी। अपीलकर्ता ने हाई कोर्ट से मांग की थी उसे उसके ज्ञात स्रोतों की कमाई से खरीदी इन संपत्तियों पर मालिकाना हक (Property Ownership and rights) दिया जाए। इस पर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया ।