Property Rights : दादा की प्रोपर्टी में पोते का कितना अधिकार, जानिये कानूनी प्रावधान
Ancestral Property Rights : दादा परदादा की प्रोपर्टी में अधिकार को लेकर अगर आपके मन में भी कोई दुविधा है तो आज की हमारी इस खबर से आपके सारे सवाल सुलझने वाले है। अकसर देश में प्रोपर्टी को लेकर बनाए गए कानून के बारे में लोगों को जानकारी ही नही होती है। तो आज हम आपको यही बताने वाले है कि दादा की प्रोपर्टी में पोते का कितना अधिकार होता है या पिता प्रोपर्टी देने से मना कर सकता है।
My job alarm (Property knowledge) : वर्तमान में भारतीय कानून काफी साफ और स्पष्ट है। खासकर प्रोपर्टी के विवादों (property dispute) के काफी केस के चलते भारतीय नियमों और कानूनों को भी काफी स्पष्ट कर दिया गया है ताकि लोगों को इसके बारे में पता चले और लोग अपने अधिकारों के प्रति सचेत (Property Rights) रहे। क्योंकि पहले से ही लोगो को प्रोपर्टी पर अपने अधिकार और दावे को लेकर कानूनी समझ और नियमों की जानकारी नहीं होती है।
यह बेहद जरूरी है कि संपत्ति से जुड़े नियमों और अधिकारों के संबंध में सही जानकारी (property law) हो। इससे जुडे़ तमाम पक्षों के अपने-अपने कानूनी दावे होते हैं। आज हम जिस बारे में बात करने वाले है वो है दादा की संपत्ति पर पोते के क्या अधिकार होते (Ancestral Property) है। हम आपको आज विस्तार से बताएंगे कि अपने दादा की संपत्ति पर पोते के क्या अधिकार (Grandson's rights on grandfather's property) हैं और वह किस संपत्ति पर कानूनन दावा कर सकता है-
दादा की स्वयं अर्जित संपत्ति पर अधिकार है या नही?
अगर बात आए दादा की खुद से कमाई प्रोपर्टी (self owned property) की तो बता दें कि दादाजी की स्वयं अर्जित संपत्ति पर पोते का कानूनी अधिकार नहीं होता। दादा अपनी खुद से अर्जित की गई संपत्ति को जिस भी व्यक्ति को चाहे दे सकता है। वो फिर चाहे अपने बेटे को दे या बेटी को या फिर पोता-पोती को।
लेकिन अगर बिना वसीयत बनवाए ही दादा का देहांत हो जाता है तो उनकी संपत्ति उनके तत्काल या कहें कि प्रथम वरीयता वाले कानूनी वारिसों जैसे पत्नी, पुत्र और बेटी को (property heirs) उस संपत्ति पर कानूनन अधिकार मिल जाएगा। अगर पोते के पिता जीवित हैं तो वह दादा की संपत्ति में किसी भी तरह से हिस्से का दावा नहीं कर सकता। उसका सीधा हक उसके बेटे बेटी और पत्नी को ही मिलेगा।
क्या है पैतृक संपत्ति?
पैतृक संपत्ति वो संपत्ति होती है जो अपने पूर्वजों से विरासत में मिली (property inherited from ancestors) होती हैं। जैसे परदादा से दादा को,दादा से पिता को और फिर पिता से पोते को। इस संपत्ति को लेकर नियम स्वयं अर्जित संपत्ति से अलग होते हैं। एक पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली संपत्ति होती है।
क्या है पैतृक संपत्ति को लेकर कानूनी अधिकार
इस प्रोपर्टी पर अगर पोते के हक की बात की जाए तो पैतृक संपत्ति पर पोते का कानूनी हक होता है। इसको लेकर किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में वह दीवानी न्यायालय में जा सकता है। वह इस संपत्ति का ठीक वैसे ही हकदार होता है जैसे पिता या दादा का अपने पूर्वजों से मिली पैतृक संपत्ति के हकदार (who is entitled to ancestral property) होते हैं। ये हर पीढ़ी को आगे की आगे ट्रांसफर होती रहती है।
दादा की संपत्ति में विवाद पर ऐसे मिल सकता है अपना हक
मान लो कि अगर आपके दादा की प्रोपर्टी में आपके हक को लेकर कुछ विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है तो पोते का पैतृक संपत्ति (ancestral property law) पर अगर कानूनन दावा सही है तो उसे संपत्ति प्राप्त करने के लिए एक पेशेवर वकील की मदद लेना बेहतर होगा। इससे जहां जमीन या संपत्ति विवाद (land or property dispute) से जुड़ी उलझनों में फंसने से बचेंगे वहीं न्यायिक प्रक्रिया की पेचीदगियों से भी बच सकेंगे।