Property Rights : पिता ने बेटे के नाम कर दी पूरी संपत्ति तो क्या बेटी कर सकती है दावा, जानिये क्या कहता है कानून
Daughters Property Rights : हजारों सालों से हमारा देश पुरुष प्रधान रहा है। हालांकि देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कानूनी प्रावधान किए गए हैं। परंतु अधिकत्तर महिलाओं को यह पता ही नहीं होता कि उसके संविधानसम्मत या कानूनसम्मत कुछ अधिकार भी हैं। अधिकारों के मामले में घर के पुरुषों द्वारा जो बता दिया जाता, जो दे दिया जाता, वो उसे स्वीकार कर लेती हैं। पिता की प्रोपर्टी (father's property) में बेटियों को क्या हैं? इसको लेकर लोग कंफ्यूज रहते हैं। अक्सर लोगों का सवाल रहता है कि क्या पिता की संपत्ति पर बेटियों का बराबर का हक होता है। हम आपको बता दें कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन करके बेटियों को भी प्रॉपर्टी (daughter's property rights) में बराबरी का अधिकार दिया है। पिता की संपत्ति में बेटा बेटी का बराबर का हिस्सा है। लेकिन, यहां सवाल उठता है कि अगर पिता अपनी सारी संपत्ति बेटे के नाम कर दे तो क्या बेटी प्रोपर्टी पर अपना हक जता सकती है। आईये नीचे जानते हैं इसका जवाब...
My job alarm (ब्यूरो)। आमतौर पर संपत्ति के विवाद का कारण यह भी होता है कि लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि कानूनी रूप से किस संपत्ति पर किसका कितना हक होता है। ऐसे में सब अपना-अपना दावा जताते हैं। बात जब कानून (Ancestral Property Rights in law) तक पहुंचती है तो झगड़ा हद से ज्यादा बढ़ चुका होता है। कई बार यह भी देखा गया है कि पिता की संपत्ति को उसकी मौत के बाद बेटे अपनी बहनों को इग्नोर करते हुए केवल अपने बेटों के नाम करवा देते हैं। ऐसे में मृतक की बेटी दावा कर सकती है या नहीं। इसी पहलू का कानूनी पक्ष (Ancestral Property Rights) इस खबर में सवाल व जवाब के माध्यम से जानेंगे। इसमें वसीयत को लेकर कानून क्या कहता है, इस बारे में भी आपको जानकारी मिलेगी।
सवाल- अगर बेटा अपने पिता की संपत्ति को सीधा अपने बेटों के नाम ट्रांसफर करा दे तो क्या मृतक की बेटी इस मामले में संपत्ति के हक का दावा कर सकती है?
जवाब- कानून के अनुसार किसी पिता की संपत्ति में बेटियों का बेटों के बराबर ही अधिकार होता है। अगर पिता ने जीते जी अपनी स्वअर्जित संपत्ति को अपने बेटे के बच्चों यानी पोतों के नाम ट्रांसफर किया है तब बेटियां इस पर कोई दावा नहीं जता सकती, न ही कोर्ट में चुनौती दे सकती। इसके अलावा अगर बिना वसीयत लिखे ही पिता का निधन हुआ है तो मृतक की संपत्ति में बेटियों का समान अधिकार (Ancestral Property Rights for Daughter) रह जाता है और वे इसे कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं। अगर पिता की मौत हो चुकी है और संपत्ति का ट्रांसफर वसीयत के जरिए हो तब बेटी उस वसीयत को अदालत में चुनौती दे सकती है, लेकिन इसका जायज आधार बताना होगा।
इन सवालों व जवाब से समझें कानूनी नियम
सवाल- अगर पति-पत्नी के चार बच्चे यानी दो बेटे व दो बेटी हैं अर्थात बेटा सी और डी तथा बेटियां ई और एफ। ऐसे में अगर पति के पास अपने नाम से किसी आवासीय संपत्ति का गिफ्ट डीड हो और बिना वसीयत लिखे उसकी मौत हो जाए जबकि पत्नी जिंदा हो तो क्या पत्नी उस संपत्ति के उत्तराधिकार (Daughter rights in property) के लिए वसीयत लिख सकती है? चूंकि पति की मौत बिना कोई वसीयत लिखे हुई है तो क्या बेटियां संपत्ति में हिस्सेदारी मांग सकती हैं। भले ही वह मृतक की पैतृक संपत्ति न हो?
जवाब- बिना वसीयत लिखे ही व्यक्ति की मौत हो जाए और गिफ्ट डीड प्रॉपर्टी उनकी अपनी संपत्ति थी तो पत्नी उस प्रॉपर्टी के लिए वसीयत नहीं लिख सकती। अगर उनकी मौत बिना वसीयत (Daughter rights in Ancestral property) लिखे हुई है तो हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के तहत क्लास 1 के सभी उत्तराधिकारियों की संपत्ति में एक समान हिस्सेदारी मिलेगी। क्लास 1 उत्तराधिकारी में पत्नी, बच्चे और मृतक की मां शामिल होंगी।
सवाल- मेरा पत्नी के साथ जॉइंट डीमैट अकाउंट हैं, जिसमें वह सेकंड मालिक हैं। बिना वसीयत लिखे ही मेरी मौत हो जाए तो हमें क्या कदम उठाने चाहिए ताकि शेयर या म्यूचुअल फंड यूनिट्स की ओनरशिप या तो मेरी पत्नी के नाम हो या फिर मेरी पत्नी और बेटी के संयुक्त नाम पर हो? क्या ओनरशिप (Daughter rights in father's property)को मेरे परिवार के सदस्यों के नाम ट्रांसफर करने के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र यानी सक्सेजन सर्टिफिकेट की जरूरत भी पड़ेगी?
जवाब- इस स्थिति में आपके अधिकार सेकंड होल्डर यानी सेकंड ऑनर आपकी पत्नी को ट्रांसफर हो जाएंगे। इसके लिए टी-2 फॉर्म (ट्रांसमिशन रिक्वेस्ट फॉर्म) भरकर और फर्स्ट होल्डर के नोटराइज्ड डेथ सर्टिफिकेट के साथ जमा करना होगा। इसके अलावा आपकी मौत के बाद आपकी बेटी (Pita ki sampatti me beti ka adhikar) को अगर अपने नाम शेयर/म्यूचुअल फंड ट्रांसफर कराना है तो उसे सक्सेजन सर्टिफिकेट यानी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र हर हाल में जमा कराना होगा।
सवाल - मेरी पत्नी और मेरी खुद की जॉइंट वसीयत है। हमारे तीन बच्चे हैं। एक बच्चे को कुछ नहीं मिल रहा। दूसरे को चल संपत्ति (property rights) मिल रही है और तीसरे को अचल संपत्ति। हमने वसीयत में एक अलग से क्लॉज रखा है कि हम भविष्य में जो कुछ भी कमाएंगे वह सेकंड बेनिफिशरी को मिलेगा। क्या यह कानूनन सही है?
जवाब- कोई व्यक्ति वसीयत के जरिए अपनी बची हुई या फ्यूचर संपत्ति किसी भी लाभार्थी को दे सकता है और यह कानूनी तौर पर वैध भी है। वसीयत के जरिए किसी उत्तराधिकारी (Daughter's right in father's property) को संपत्ति देने से मना भी कर सकते हैं। जबकि वसीयत नहीं होने की स्थिति में वह कानूनी रूप से उत्तराधिकार के नाते संपत्ति का हकदार होगा। वसीयत के जरिए अगर किसी वैध उत्तराधिकारी को संपत्ति से वंचित किया जाता है तो वह नॉन-बेनिफिशरी हो जाता है। हालांकि इसके लिए आपको वसीयत में उसे संपत्ति से वंचित करने का ठोस कारण बताना होगा। यहां पर यह भी बता दें कि ये सवाल-जवाब सिमित तथ्यों पर आधारित हैं। इस बारे में विशेषज्ञ से राय जरूर कर लें।