property rights : क्या दूसरी पत्नी मांग सकती है प्रोपर्टी में हिस्सा, जानिये प्रोपर्टी से जुड़ा कानून
property knowledge : पति-पत्नी के बीच प्रोपर्टी के विवाद सामने आते ही रहते हैं, लेकिन कई बार ऐसे मामले भी होते हैं जो पति व उसकी दो पत्नियों के बीच होते हैं। ऐसे में यह सवाल भी मन में आता है कि दूसरी पत्नी का पति की प्रोपर्टी में कितना हक (dusri patni ka pati ki property par kah) होता है और वह अपने हक का दावा जता सकती है या नहीं? इस बारे में कानून में खासतौर से प्रावधान किया गया है। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से इस खबर में।

My job alarm - (property rights in law): पति व दो पत्नियों के बीच संपत्ति का मामला आपको पेचीदा जरूर लगता होगा, पर कानून में इस बारे में स्पष्ट रूप से प्रावधान है। पति की संपत्ति पर जब दूसरी पत्नी के अधिकार की बात आती है तो इसके लिए कुछ शर्तें व नियम (Second wife's right on husband's property) भी देखे जाते हैं। पति की प्रोपर्टी पर दूसरी पत्नी भी पहली पत्नी की तरह अपना हक जताते हुए दावा भी कर सकती है, लेकिन इसमें कई पेच आते हैं, जिन्हें साबित करना जरूरी होता है। उसके बाद ही कानूनी रूप से फैसला लिया जाता है।
प्रोपर्टी में हिस्से के लिए ये हैं दो मुख्य शर्तें-
दूसरी पत्नी का पति की प्रोपर्टी पर अधिकार तो होता है, लेकिन दो जरूरी शर्तें इसके लिए रखी गई हैं। उसके बाद ही दूसरी पत्नी को पहली पत्नी के बराबर पति की प्रोपर्टी में हक (Wife's right on husband's ancestral property) दिया जा सकता है। कानूनी रूप से देखें तो पहली शर्त वैध विवाह की होती है और दूसरी शर्त यह कि पति उसे पहली पत्नी के बराबर दर्जा देता हुए उसे अपनी प्रोपर्टी ()में हिस्से का अधिकार देता है या नहीं। इन दोनों बातों के पुख्ता होने के बाद ही दूसरी पत्नी को पति की प्रोपर्टी में हिस्सेदार माना जा सकता है। इसके अलावा यह पति की मर्जी व वसीयत पर भी निर्भर करता है। ये अधिकार स्वअर्जित (self-acquired property) व पैतृक संपत्ति को लेकर स्थिति अनुसार अलग-अलग भी हो सकते हैं।
दो शादी होने पर ऐसे होता है प्रोपर्टी का बंटवारा-
अगर किसी व्यक्ति की दो पत्नियां हैं यानी किसी व्यक्ति द्वारा दो शादी करने पर संपत्ति में बंटवारे की यह शर्त है कि दूसरी शादी कानूनी तौर से वैध हो। शादी की वैधता में धार्मिक आधार पर लागू होने वाले नियम-कानून भी शामिल हैं। ऐसे में दूसरी बीवी और उसके बच्चों को पति की पैतृक और अन्य संपत्तियों में भी अधिकार (Wife's right on husband's self-acquired property) मिलता है।
जानिये किस स्थिति में होती है दूसरी शादी वैध-
दूसरी पत्नी तभी अपनी पति की संपत्ति में हिस्सा मांग सकती है, जब उसका विवाह कानूनी रूप से वैध हो।हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955) के अनुसार दूसरी शादी तब तक वैध नहीं मानी जाती जब तक पहले पति या पत्नी जीवित हों या उनका तलाक न हुआ हो।अगर इनमें से कोई एक स्थिति पूरी हो जाती है, तभी दूसरी शादी को कानूनी रूप से स्वीकार किया जाता है। भारत में उत्तराधिकार कानून के अनुसार, जब विवाह कानूनी हो तो दूसरी पत्नी को पहली पत्नी के समान अधिकार मिलता है और उसे भी पति की प्रोपर्टी में हिस्सा (pati ki property me patni ka hak) पाने हक होता है। यह प्रावधान कानून में भी साफ तौर से दिया गया है।
पति ने लिखी है वसीयत तो जानिये किसको मिलेगा अधिकार-
दूसरी पत्नी को उसकी पैतृक संपत्ति(ancestral property)पर तब तक कोई अधिकार नहीं होगा, जब तक उसकी शादी को कानूनी तौर पर वैध नहीं मान लिया जाता। हालांकि, यदि पति की खुद की कमाई से संपत्ति खरीदता है, तो वह प्रोपर्टी अपनी इच्छा के मुताबिक दोनों पत्नियों को, उनमें से किसी एक को या किसी थर्ड पर्सन को भी दे सकता है। अगर पति ने अपनी प्रोपर्टी में किसी के अधिकार (Wife's right on husband's property in law)को लेकर वसीयत लिखी है तो उस प्रोपर्टी पर उसी का हक होगा, जैसा वसीयत में लिखा है। यदि वह बिना वसीयत लिखे मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो उसकी संपत्ति उसके कानूनी वारिसों के बीच बांटी जाएगी। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उत्तराधिकार कानूनों के तहत कौन-कौन उसे प्राप्त करने के हकदार हैं।