Property Occupied : किराएदार का प्रोपर्टी पर कब हो जाता है कब्जा, मकान मालिक जरूर जान लें कानून
Property possession : अगर आपने भी अपना मकान किराए पर दे रखा है तो ये खबर आपके बेहद काम की है। आज हम आपको मकान किराए पर देने से संबंधित कुछ नियमों कानूनों के बारे में बताने वाले है। अगर आप इनके बारे में नही जानते है और मकान किराए पर देने के बाद कुछ ध्यान नही देते है तो कुछ हालातों के चलते आप अपने मकान से हाथ धो बैठेंगे। तो आइए विस्तार से जान लें क्या है इसे लेकर कानूनी प्रावधान...
My job alarm - बड़े शहरों में ज्यादातर लोग मकान किराए पर लेकर ही रहते है क्योंकि काम के लिए आए लोग यहां या तो प्रोपर्टी खरीदेन में सक्षम नही होते है या फिर ट्रांसफर के बारे में सोच कर ही मकान लेने का प्लान कैंसिल कर देते है। ऐसे में इन शहरों के लोग अपनी एक्स्ट्रा पड़ी प्रोपर्टी को रेंट (property rates) पर चढ़ा देते है। वे अपने घर में भी कई बार एक्स्ट्रा फ्लोर को किराए पर दे देते है ताकि खाली पड़ी जगह से रेगुलर इनकम प्राप्त की जा सके। लेकिन घर किराए पर देने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। कही ऐसा न हो कि आप बड़ी मुसीबत में फंस जाए। सबसे पहले तो जब घर किराए पर दिया जाए तो रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) बनवाना कभी न भूलें। यह किसी भी कानूनी विवाद (legal dispute in India) में काम आता है। कल को किराएदार से कोई पचड़ा हो जाए तो ये आपकी काफी सहायता कर सकता है।
इन सब के अलावा, आपको यह भी ध्यान रखना होता है कि आप कितनी अवधि के लिए किराएदार को मकान किराए पर दे रहे हैं। क्योंकि भारत में किराए पर मकान देने के नियमों (Rules for giving house on rent) के अनुसार अगर एक अवधि से ज्यादा किराएदार किसी मकान पर रहता है तो फिर वह उस पर दावा कर सकता है। यानी आपको अपने मकान से हाथ धोना बढ़ सकता है। क्या है इसके लिए नियम? कब कोई किराएदार मकान पर दावा कर सकता है चलिए जान लें विस्तार से...
किरायेदार इतनी अवधि के बाद कर सकता है दावा..
चाहे मकान किराए पर लेना हो या फिर देना हो, दोनों ही स्थिति में भारतीय कानून व्यवस्था (Indian legal system) के द्वारा कानूनी प्रावधान बनाए गए है। किराएदार और मकान मालिक दोनो के ही कुछ खास अधिकार होते है। रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 के तहत जिनका पालन करना होता है। लेकिन अगर किसी मकान में कोई किरायेदार लगातार 12 साल तक रहता है तो इसके बाद वह उसे मकान पर अपना दावा ठोक (possession on property) सकता है।
हालांकि आपको इस बात के बारे में भी पूरी जानकारी होनी चाहिए कि इसके लिए नियम काफी कठिन है। लेकिन अगर ऐसा होता भी है तो फिर आपकी प्रॉपर्टी विवादित (disputed property) हो जाती है। इसे बेचने में भी आपको समस्या झेलनी बढ़ सकती है। प्रॉपर्टी का या कानून आजादी से भी पहले का कानून है।
आज कल आपको बहुत से ऐसे मामले सुनने को मिलते है जिनमें कि बहुत से किराएदार इस कानून का अवैध इस्तेमाल करके प्रॉपर्टी पर कब्जा (possession of property) करने का प्रयास करते हैं। अब उनके द्वारा किया ये जाता है कि वो किराएदार ये साबित करता है की प्रॉपर्टी पर वह लंबे समय से रह रहा है। उसे किसी ने रोका टोका नहीं है। लेकिन ऐसा बिलकुल आसानी से भी नही होता है। दावे को सही साबित करने के लिए प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज बिजली बिल, पानी का बिल, टैक्स रसीद आदि जमा करने होते हैं। इसके साथ ही गवाहों के एफिडेविट (affidavits of witnesses in property dispute) भी लगते हैं। जो इतना आसान काम नहीं हैं। लेकिन फिर भी अधिकारो का गलत इस्तेमाल काफी लोगों के द्वारा आज किया जाने लगा है।
बचाव के लिए करें ये काम
अगर आप एक मकान मालिक है और चाहते है कि आपके साथ ऐसा कुछ न हो तो आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना है। इस तरह की स्थिति से बचने के लिए सबसे पहले तो जिसे भी मकान किराए पर देना है उसके लिए रेंटल एग्रीमेंट (rental agreement) जरूर बनवाएं। ये बेहद जरूरी दस्तावेज है जो कि विवादों को रोकने में काफी सहायता करता है। इतना ही नही, चूंकि ये सिर्फ 11 महीने के लिए बनता है तो आपको रेंटल एग्रीमेंट (rent agreement renew rules) हर साल रिन्यू कराना है। अगर इस बीच आपको लगता है कि आपका किराएदार ठीक नहीं है और उसकी इंटेंशन ठीक नहीं है। तो आप उसे रेंट एग्रीमेंट के सहारे मकान खाली करने को भी कह सकते हैं। समय-समय पर किराएदार बदलते रहना इस समस्या से बचने का सही समाधान है।