property dispute: देखभाल नहीं करने पर माता पिता बच्चों से प्रोपर्टी वापस ले सकते हैं या नहीं, हाईकोर्ट ने दिया अहम फैसला
Property Rules by High Court: माता-पिता के बाद के संपत्ति का वारिस उनका बेटा होता हैं। लेकिन कईं बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती हैं कि संपत्ति के मालिक बनने के बाद औलाद मां-बाप की देखभाल नहीं (ancestral property rule) कर पाते। अब सवाल यह उठता हैं कि क्या अभिभावक औलाद के नाम की गई संपत्ति से अपने बच्चों को बेदखल कर सकते हैं या नहीं? इसी मामले पर हाल ही में हाई कोर्ट ने एक सुनवाई की हैं आइए जानते हैं इसके फैसले को विस्तार से...

My job alarm - (Property Rules) : कोर्ट में हर दिन प्रॉपर्टी को लेकर झगडे चलते रहते हैं। लेकिन कईं बार ऐसे भी मामले सामने आते हैं कि औलाद अपने नाम प्रॉपर्टी करवाने के बाद अपने माता-पिता का ध्यान नहीं रखते हैं लेकिन बता दें कि इस स्थिति में माता-पिता के पास भी हक होते हैं।
मद्रास हाई कोर्ट ने माता-पिता (property reclaim rules for parents) द्वारा अपने बच्चों के पक्ष में किए गए संपत्ति निपटान के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर बच्चे संपत्ति के मालिक बनने के बाद वादे के मुताबिक अभिभावकों की देखभाल करने में विफल रहते हैं तो माता-पिता बच्चों को दी गई अपनी संपत्ति वापस ले सकते हैं।
लेकिन कानून के मुताबिक आप अपनी कमाई संपत्ति से बहुत आसानी से संतान को बेदखल कर सकते हैं। इस बात को विस्तार से बता दें कि 18 वर्ष की आयु के बाद आपकी संतान आपके साथ और आपके (ancestral property be gifted to son) सहारे पर रहती है। यदि वह इसके बाद आपका ढंग से ध्यान नहीं रख पाते और आपको यातना देती है और आपकी नजर में वह किसी काम की नहीं है। ऐसे में आप अपनी संतान को गैरजिम्मेदार कहकर कुछ कागजी कार्रवाइयों के बाद उसे संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं।
मद्रास हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने कहा कि माता-पिता एग्रीमेंट लेटर को एकतरफा रद्द कर सकते हैं यदि इसमें केवल यह उल्लेख हो कि यह उन्हें प्यार और स्नेह के कारण दिया जा रहा हैं। न्यायमूर्ति (owner of ancestral property) ने फैसला सुनाते हुए इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता को समझौता पत्र को एकतरफा रद्द करने का अधिकार है, यदि यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संपत्ति उनके बच्चों के लिए प्यार और स्नेह के कारण हस्तांतरित की जा रही है।
क्या होती है पैतृक संपत्ति -
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, बेटे और बेटी दोनों को पैतृक संपत्ति पर समान अधिकार है। एक बात यहां ध्यान देने वाली है कि अगर चार पीढ़ियों से चली आ रही संपत्ति में कहीं भी बंटवारा हुआ तो उससे पैतृक (rule of ancestral property) संपत्ति का दर्जा हट जाएगा और वह फिर स्व-अर्जित संपत्ति हो जाएगी। इस स्थिति में माता-पिता अपने बच्चों को बेदखल कर सकते हैं। 1956 का हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, विशेष रूप से धारा 4, 8, और 19, पैतृक संपत्ति से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है।
बता दें कि इस मामले पर कानूनी आदेश तमिलनाडु के तिरुपुर की शकीरा बेगम द्वारा अपने बेटे मोहम्मद दयान के पक्ष में संपत्ति निपटान पत्र को रद्द करने के मामले में दिया गया। इस केस में शकीरा बेगम ने सब-रजिस्ट्रार (property reclaim) से शिकायत की थी कि उन्होंने अपने बेटे के उचित भरण-पोषण के वादे के आधार पर समझौता पत्र जारी किया था, जिसे करने में वह विफल रहा है। मां- बेटे के बीच का यह मामला कोर्ट पहुंचा, जिसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने मां शकीरा बेगम के पक्ष में आदेश जारी किया है।
मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले से साफ हो जाता हैं कि यदि बच्चे देखभाल और समर्थन के अपने वादों को पूरा करने में विफल रहते हैं तो माता-पिता (ancestral property meaning) अपने कल्याण और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजंस मेनटेनेंस एंड वेलफेयर अधिनियम के कानूनी प्रावधानों पर भरोसा कर सकते हैं।