property dispute : पति पत्नी के प्रोपर्टी अधिकार पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बताया- किसका कितना हक
property rights : प्रोपर्टी पर कानूनी अधिकारों को लेकर कई लोग संशय में रहते हैं तो कई को इनके बारे में पता ही नहीं होता। हाईकोर्ट ने प्रोपर्टी पर पति और पत्नी के अधिकारों को लेकर बड़ा निर्णय सुनाया है। इसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया है प्रोपर्टी दोनों यानी पति और पत्नी में से चाहे किसी के भी नाम हो, उस पर हक (property rights of husband wife) किसका कितना रहेगा। जानिये हाई कोर्ट का एक अहम फैसला इस खबर में।
My job alarm - (property rights in law) आजकल प्रोपर्टी विवाद के मामले पति-पत्नी के बीच भी देखे जाते हैं। ऐसे में कोर्ट ने पहले से ही उनको ऐसी प्रोपर्टी के अधिकार प्रदान कर रखे हैं। प्रोपर्टी पर इन अधिकारों को पति व पत्नी दोनों के लिए ही जानना जरूरी है। कोई प्रोपर्टी पति या पत्नी (pati ki property par patni ka hak) दोनों में से चाहे किसी के नाम हो, कोर्ट ने इस पर निर्णय सुनाते हुए साफ कर दिया है कि इस पर किसका हक कितना होगा। एक मामले में हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है।
मद्रास हाई कोर्ट ने की यह टिप्पणी
पति-पत्नी के प्रोपर्टी से जुड़े एक मामले में मद्रास हाई कोर्ट (madras high court) ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि प्रोपर्टी चाहे पति-पत्नी दोनों में से किसी के नाम पर खरीदी गई हो, उसमें पति व पत्नी का बराबर का हक होता है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा है कि गृहस्थी को चलाने में दोनों का ही अहम रोल होता है। पति अगर बाहर कमाने के लिए जाता है तो वह पूरे परिवार को संभालती है। इसलिए पूरे परिवार को चलाने में दोनों का योगदान होता है तो दोनों का प्रोपर्टी में बराबर का हक होता है। यह प्रोपर्टी (pati ki property par patni ka kitna hak hota hai) बेशक उन दोनों में से चाहे किसी के नाम पर भी खरीदी गई हो।
प्रोपर्टी में पत्नी इसलिए होती है बराबर की हकदार
जस्टिस कृष्णन रामासामी ने कहा कि पत्नी के सपोर्ट से ही पति नौकरी करते हुए भी अपना पूरा घर संभाल पाता है। पत्नी के सहयोग बिना वह न तो बाहर नौकरी करके पैसे कमा सकता है न ही घर चलाने के लिए जॉब कर सकता है। पत्नी अपने सास-ससुर सहित पूरे परिवार की संभाल करती है। ऐसे में प्रॉपर्टी (pati ki property me patni ka hak) चाहे पत्नी के नाम पर खरीदी गई हो या पति के नाम पर, उस प्रॉपर्टी पर पति व पत्नी दोनों का ही बराबर का अधिकार रहेगा।
पत्नी भी रहती है परिवार के लिए समर्पित
पत्नी के बचत के सहयोग से ही प्रोपर्टी (property rights news) खरीदा जाना संभव हो पाता है। कोर्ट ने इस बारे में यह तर्क भी दिया है कि अगर महिला पूरे परिवार के लिए समर्पित है और बाद में उसे खाली हाथ छोड़ दिया जाए तो यह सही नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि परिवार में महिलाओं के योगदान को कोर्ट बखूबी समझता है और उनके त्याग का रिवार्ड उनके हक और अधिकारों के रूप में दिया जाना चाहिए।
यह था मामला
मद्रास हाइकोर्ट ने 2016 के एक मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला (madras high court decision on property) दिया है। बता दें कि एक दंपत्ती ने कुछ साल पहले शादी की थी। उनको दो बेटे और एक लड़की के रूप में कुल तीन संतान हुईं। महिला के पति ने 1983 से लेकर करीब 11 साल तक बाहर जॉब की। वापस आने पर उसने अपनी पत्नी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसके पैसे से पत्नी ने अनचाही गैर जरूरी प्रॉपर्टी खरीदी है। इसके अलावा पति ने अपनी पत्नी पर किसी और से एफेयर होने का भी आरोप लगाया था। यह मामला हाई कोर्ट (madras high court decision) में विचाराधीन था।