My job alarm

Property : क्या औलाद से प्रोपर्टी वापस ले सकते हैं माता पिता, जानिये हाईकोर्ट का फैसला

Property rules : कई बार देखने को मिलता है कि औलाद अपने माता पिता को बुढ़ापे में अकेला छोड़ देती है। यहां तक की संपत्ति पर अपना अधिकार (property rights) जमाने के बाद मां बाप को ओल्ड एज होम पहुंचा देती है। मां बाप मजबूर होते हैं। हाईकोर्ट का ऐसे ही मामले में बड़ा फैसला आया है। 

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Property rules : क्या औलाद से प्रोपर्टी वापस ले सकते हैं माता पिता, जानिये हाईकोर्ट का फैसला

My job alarm (property rights rules) : मां-बाप की सेवा करना अपनी संस्कृति के अनुसार हर संतान की जिम्मेदारी है। यह एक जीवन का संस्कार माना जाता है। लेकिन कई बार संतान इस संस्कार को दरकिनार कर देती है। इसपर अब कोर्ट का अहम फैसला (high court decision on parents property) आया है। आप सभी को ये जानना जरूरी है। समाज पर इसका गहरा असर पड़ेगा। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला। 


तमिलनाडु के तिरुपुर की शकीरा बेगम (Shakira Begum) की ओर से अपने बेटे मोहम्मद दयान के लिए बनाया गया संपत्ति निपटान पत्र रद्द करने अपील की गई थी। इसी पर महत्वपूर्ण फैसला आया है। बता दें कि शकीरा बेगम ने सब-रजिस्ट्रार को शिकायत दी। जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने बेटे के सही ढंग से भरण-पोषण के वादे पर समझौता पत्र जारी किया था। बेटे ने ऐसा नहीं किया। इसमें वह विफल रहा। इसके बाद ये मां- बेटे का विवाद कोर्ट में पहुंचा। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। 

 

प्रोपर्टी अधिकार पर Madras High Court ने साफ की स्थिति


मद्रास हाईकोर्ट ने मां के पक्ष में फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर बच्चे वायदे के मुताबिक देखभाल करने में असफल रहते हैं तो मां बाप संपत्ति वापस लेने का दावा कर सकते हैं। मद्रास हाई कोर्ट ने माता-पिता की ओर से अपनी संतानों के पक्ष में किए गए संपत्ति निपटान (family property rights) के मामले में यह एक अहम फैसला सुनाया है। इससे साफ होता है कि अगर संतान देखभाल करने में समर्थ नहीं रहती या अनदेखी करती है तो मां बाप अपनी संपत्ति को वापस ले सकते हैं।  

मद्रास हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने बोला कि मां-बाप सहमति पत्र को एकतरफा रद्द कर सकते हैं। यह तब होगा जब एग्रीमेंट में ये लिखा जाए कि संपत्ति उनको स्नेह प्यार में ट्रांसफर (property transfer) की गई है। इसमें मात पिता को पूरा हक है कि वह अपनी ओर से ही इस पत्र को रद्द कर दे। इससे माता पिता को राहत मिली है। माता पिता अपनी संपत्ति पर अपना अधिकार रखकर उसको अपने अनुसार प्रयोग कर सकते हैं। 


जज ने कही बड़ी बात


जज एसएम सुब्रमण्यम ने कहा कि जब मानवीय आचरण बुजुर्ग नागरिकों (senior citizens rights) के प्रति उदासीन हो तो उनकी देखभाल नहीं होती, उनकी गरिमा की रक्षा नहीं की जाती तो माता पिता को पूरा अधिकार है कि वे अपनी संपत्ति को वापस ले लें।  

 

इन कानूनों से करें अपनी रक्षा


माता पिता अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए कानून का सहारा ले सकते हैं। पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजंस मेनटेनेंस एंड वेलफेयर अधिनियम (Parents and Senior Citizens Maintenance and Welfare Act) जैसे कानूनी प्रावधानों पर माता पिता विश्वास रख सकते हैं। वहीं मद्रास हाई कोर्ट का फैसला भी साफ करता है कि अगर बेटा अपने मां बाप के कल्याण में काम नहीं कर रहा है तो वे अपनी संपत्ति को वापस ले सकते हैं।

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