Loan Default Rules : लोन नहीं भरने पर बैंक कब करता है प्रोपर्टी की नीलामी, जान लें क्या है नियम
Bank property auction rules :अकसर लोग लोन लेकर अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा तो कर लेते है लेकिन कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि वो लोन को चूका पाने में असमर्थ हो जाते है। ऐसे में लगातार 3 किश्तों के चूक जाने और बैंक की चेतावनी के बाद भी जब लोनधारक लोन नही चुकाता है तो बैंक द्वारा उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है। ऐसे में कब प्रोपर्टी की नीलामी की नौबत आती है, क्या आप अपनी प्रोपर्टी को नीलाम (property auction by bank) होने से बचा सकते है? आइए जान लें लोन डिफॉल्ट होने पर क्या है नियम...
My job alarm - (Loan Default rules in India) घर बनाने का सपना पूरा करने के लिए अकसर लोग लोन का सहारा लेते है। ये बेस्ट विकल्प होता है। इसके जरिए आप अपनी पैसों की जरूरत को पूरा कर सकते है। और होम लोन की अवधि लंबी होती है तो आपको एकदम से पैसे लौटाने की भी चिंता नही रहती है। अब यहां मेन बात ये है कि लोन तो ले लिया लेकिन उसकी ईएमआई (loan emi) समय से चुकाना भी काफी महत्वपूर्ण है। कई लोगों को अपनी आर्थिक स्थिति के चलते लोन की ईएमआई भरने मे काफी समस्या आती है। अब ऐसे में आपने जिस बैंक से लोन लिया है उसके पास लोन की राशि को रिकवर (loan recovery) करने के लिए कई अधिकार हैं।
अगर कोई ईएमआई बाउंस (EMI Bounce) करता है तो ऐसे में बैंक या वित्तीय संस्थाएं उसकी प्रॉपर्टी नीलाम कर सकती है। हालांकि इसके लिए कुछ नियम है और बैंक को कुछ प्रोसेस फॉलो करते होते हैं। इसी से जुड़ा एक्ट है SARFAESI Act जो प्रॉपर्टी को नीलाम करने से संबधित (loan defaulter) है।
सबसे पहले जान लें क्या है SARFAESI Act?
प्रॉपर्टी को नीलाम करने से संबंधित एक्ट यानि कि SARFAESI Act 2002 में पारित हुआ था। जब लोन लेने वाला ,बकाया पैसा चुकाने में नाकाम होता है तो उस स्थिति में ये बैंक और वित्तीय संस्थाओं (Bank and NBFC's) को लोन लेने वाले की संपत्ति बेचकर अपना पैसा वसूल करने का अधिकार देता है। इसी के लिए SARFAESI Act पारित किया गया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके लिए उसे कोर्ट की मंजूरी नहीं लेनी पड़ती है। हालांकि, SARFAESI Act में यह बताया गया है कि ऐसा करने के लिए बैंक को किस तरह की प्रक्रिया का पालन करना होगा। इस एक्ट को लेकर किसी तरह का विवाद पैदा होने पर उसकी सुनवाई डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल (DRT) में होती है। देश में 39 DRT हैं और पांच डेट रिकवरी एपेलेट ट्राइब्यूनल (DRATs) हैं।
जान लें क्या है बैंक द्वारा नीलामी का प्रोसेस ?
लोन ले लिया और ईएमआई (Home Loan emi) चुका रहे है तब तक तो ठीक है। लेकिन अगर कोई ग्राहक EMI चुकाना बंद कर देता है तो बैंक द्वारा चेतावनी देने के बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। अगर ईएमआई 30 दिन से ज्यादा समय तक नहीं चुकाई जाती है तो इसे ‘स्पेशल मेंशन अकाउंट’ (Special Mention Account) 1 कहा जाता है। अगर 60 दिन से ज्यादा समय तक पेमेंट नहीं होता है तो इसे SMA 2 कहा जाता है। 90 दिन से ज्यादा समय तक पेमेंट नहीं होने पर अकाउंट को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (Non-Performing Asset) मान लिया जाता है।
इसके बाद आपको बता दें कि जब बैंक किसी अकाउंट को एसएमए या एनपीए में डालता है तो इसकी जानकारी Experian, CRIF और CIBIL जैसी क्रेडिट ब्यूरो कंपनियों (credit bureau companies) को भेज दी जाती है। इससे ग्राहक और लोन के गांरटर के क्रेडिट स्कोर पर खराब असर पड़ सकता है।
क्या लोनधारक को मिल सकता है और समय?
ये उस स्थिति पर निर्भर करता है जिस वजह से लोनधारक (loan holders news) लोन नही चुका पा रहा है। मान लों कि लोन न चुका पाने की वजह ऐसी है जो कि लोनधारक के नियंत्रण में ही नही है तो ऐसे में बैंक उसे लोन चुकाने के लिए अतिरिक्त समय (how to get additional time for loan repayment) दे सकता है। लेकिन, लीगल नोटिस के बाद भी ग्राहक के बैंक का पैसा नहीं चुकाने पर बैंक लोन के लिए गिरवी रखी गई संपत्ति अपने कब्जे में ले सकता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत SARFAESI Act के सेक्शन 13 (2) के तहत की जाती है। उसके बाद सेक्शन 13 (4) के तहत कोर्ट के जरिए संपत्ति कब्जे (property possession by bank) में ले ली जाती है।