1 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों के 18 महीने के बकाया DA एरियर पर लेटेस्ट अपडेट, क्या है क्या है 34402 करोड़ रुपये का राज
DA Hike Latest Update : हाल ही में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत का इजाफा किया है। महंगाई भत्ता बढ़ने से केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में भी इजाफा हो गया। अगर किसी कर्मचारी की मासिक सैलरी 50 हजार रुपये है तो महंगाई भत्ते (DA Hike) में 3 फीसदी की बढ़ोतरी होने पर उसे 1500 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। डीए वृद्धि की घोषणा अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI) के आधार पर होती है, जो विभिन्न क्षेत्रों में खुदरा कीमतों में बदलाव को मापता है। आमतौर पर, कर्मचारियों के DA में दो बार, जनवरी और जुलाई में डीए में संशोधन होता है। इसकी आधिकारिक घोषणा आमतौर पर बाद में की जाती है।
My job alarm - केंद्र सरकार के एक करोड़ से अधिक कर्मचारी और पेंशनर लंबे समय से महंगाई भत्ता (DA Hike) और महंगाई राहत (DR) में वृद्धि का इंतजार कर रहे थे। सरकार ने हाल ही में उनके महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर इसे 53 प्रतिशत कर दिया है। यह निर्णय कैबिनेट बैठक में लिया गया और इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। हालांकि, सरकार ने कोरोनाकाल के दौरान रोके गए 18 महीने के डीए के एरियर (Arrear Latest Update) पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया।
महंगाई भत्ते का फ्रीज होना
2020 में जब कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ा, तब आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए केंद्र सरकार ने जनवरी 2020 से जून 2021 तक 18 महीने के डीए और डीआर की तीन किस्तों का भुगतान रोक दिया था। उस समय सरकार ने कहा था कि देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और इस वजह से यह कदम उठाना पड़ा।
यह कदम केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ, क्योंकि उनकी महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी को रोक दिया गया था। इस निर्णय से सरकार ने 34,402.32 करोड़ रुपये की बचत की थी।
Arrear की मांग
कर्मचारी संगठनों ने लगातार सरकार से इस मुद्दे पर ध्यान देने और 18 महीने के एरियर (Arrear) का भुगतान करने की मांग की। राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने भी यह मुद्दा उठाया। उन्होंने डीए एरियर को कर्मियों और पेंशनरों का हक बताते हुए सरकार से इसका भुगतान करने का अनुरोध किया। इसके अलावा, 'भारत पेंशनर समाज' के महासचिव एससी महेश्वरी और कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने भी डीए एरियर की मांग को लेकर कई बार आवाज उठाई।
सुप्रीम कोर्ट का हवाला
सी. श्रीकुमार ने बताया कि केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले का भी हवाला दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलों में जहां डीए का भुगतान रोका जाता है, कर्मचारी को छह प्रतिशत ब्याज के साथ उसका भुगतान करना होता है। इसके बावजूद, सरकार ने इस पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी और बजट सत्र में कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में डीए के एरियर का भुगतान करना व्यावहारिक नहीं है।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने बजट (Budget) सत्र के दौरान यह बात मानी थी कि डीए के बकाया को लेकर कई कर्मचारी संगठनों ने आवेदन दिए हैं। लेकिन वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए डीए एरियर का भुगतान संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का राजकोषीय घाटा अभी भी एफआरबीएम अधिनियम के अनुसार निर्धारित सीमा से दोगुना है। ऐसे में डीए एरियर का भुगतान करना व्यावहारिक नहीं है।
एरियर के मुद्दे पर कर्मचारी संगठनों की राय
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार ने कोविड की आड़ में डीए का भुगतान रोककर कर्मचारियों के हक को छीन लिया। राष्ट्रीय परिषद (JCM) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने इस मुद्दे को कैबिनेट सचिव के सामने उठाया था और कहा था कि कर्मचारियों को उनके 18 महीने के डीए एरियर (18 months DA arrears) का भुगतान मिलना चाहिए। सरकार को इस बकाया राशि का एकमुश्त भुगतान करने का सुझाव भी दिया गया था, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
केंद्र सरकार की घोषणा
कोरोनाकाल के बाद, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने घोषणा की थी कि कर्मचारियों को 28 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने उस समय एरियर के बारे में कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया। इस घोषणा का मतलब था कि एक जुलाई 2021 से डीए (DA Hike) की दरें बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दी जाएंगी, लेकिन 18 महीने के डीए एरियर पर कोई चर्चा नहीं हुई।
DA/DR में वृद्धि और वर्तमान स्थिति
अब, डीए और डीआर में तीन प्रतिशत की वृद्धि के बाद महंगाई भत्ता 53 प्रतिशत हो गया है। लेकिन 18 महीने के डीए एरियर (18 months DA arrears Update) का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार को कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर विचार करना चाहिए और बकाया राशि का भुगतान करना चाहिए।