Indian Railways: ट्रेन के डिब्बों पर क्यों होते हैं गोल ढक्कन, 90 प्रतिशत लोगों को नहीं है जानकारी

My job alarm - (Indian Railway Fact) भारतीय रेल का इतिहास काफी पुराना है। आप इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ होगें कि रेलवे भारत देश की रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया हैं। भारतीय रेलवे एक विशाल नेटवर्क है जो 160 से अधिक वर्षों से चल रहा है। यह देश के परिवहन बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देश (facts about indian railways) भर में लाखों लोगों को देश के हर कोने से जोड़ता है। यहां भारतीय रेलवे के बारे में अनेकों तथ्य ऐसे जो आपको जानने चाहिए। अगर आप भी भारतीय रेलवे में सफर किया हैं तो आपने भी जरूर गौर किया होगा कि ट्रेन के हर एक कोच में उसकी छत पर गोल-गोल डिब्बे जैसा कुछ बना होता है। लेकिन क्या आपने सोचा हैं कि ट्रेन की छत पर बने उस बॉक्स का क्या काम होता है? अगर आप भी इस बात से अनजान हैं तो आइए जानते हैं इन बॉक्स को क्यों बनाया जाता हैं।
इस कारण से रेलवे द्वारा लगाए जाते हैं ये गोल ढक्कन -
ट्रेन की छत पर पर लगे गोल ढक्कनों का काम यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इसके न होने पर यात्रियों को कई तरह की दिक्कतें (facts about irctc) हो सकती हैं। ट्रेन की छत पर लगे इन गोल ढक्कनों को कैप रूफ वेंटिलेटर कहा जाता है। बता दें कि ट्रेन के वेंटिलेशन में इनकी अहम भूमिका होती हैं। अगर इन्हें न लगाया जाए तो ट्रेन में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे ही खतरों को रोकने के लिए इसे सभी ट्रेनों में लगाया जाता है। अब समझते हैं, कैप रूफ वेंटिलेटर कैसे काम करता है।
दरअसल, ट्रेन के कोच में जब यात्रियों की संख्या ज्यादा हो जाती है, तो उस समय ट्रेन में गर्मी ज्यादा बढ़ जाती है। इस गर्मी और यात्रियों की भीड (indian railways facts in hindi) से हो रही घुटन को रोकने के लिए व भाप को ट्रेन से बाहर निकालने के लिए ट्रेन के कोच में यह खास व्यवस्था की जाती है। बता दें कि अगर ऐसा नहीं किया जाएगा, तो ट्रेन में यात्रियों के लिए सफर करना खतरे से भरा हो सकता हैं।
जानें, कोच के अंदर क्यों लगी होती हैं जालियां -
बता दें कि जिस तरह रेल में छतों पर इन गोल ढक्कनों का इस्तेमाल किया जाता हैं उसी तरह हर कोच के अंदर जाली भी लगाई होती हैं। यानी किसी (roof ventilator design) डिब्बे में हमें जाली भी मिलेगी लेकिन कहीं कहीं कोच के अंदर छेद बना दिए जाते हैं। इनकी मदद से कोच के भीतर की गर्म हवा और भाप बाहर निकलती है। गर्म हवाएं हमेशा ऊपर की ओर उठती हैं। इसलिए कोच के अंदर छतों पर छेद वाली प्लेटें लगाई जाती हैं।
एक वजह ये भी है -
ट्रेन में इन प्लेटों और जाली को लगाने की एक और वजह भी है। इन प्लेट के जरिए कोच के भीतर की गर्म हवा तो बाहर होती ही है, लेकिन साथ ही बारिश का पानी भी कोच के अंदर नहीं आता है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि (train ventilation system) बारिश के दौरान भी इसमें से हवा का वेंटिलेशन होता रहे और इसके अंदर पानी न पहुंचे। इसके लिए इसमें ढक्कन का इस्तेमाल किया गया है ताकि बारिश के दौरान भी कोच के अंदर की गर्मी छत पर लगीं इन प्लेटों से बाहर निकलती रहे।