Indian Railways: देश के इस राज्य में पहली बार चलेगी ट्रेन, 77 साल का इंतजार हुआ खत्म
My job alarm - (Indian Railways) मिजोरम का आइजोल शहर जल्द ही रेलवे नेटवर्क में शामिल होने वाला पूर्वोत्तर का चौथा राजधानी शहर बनेगा। अगले नौ महीनों में यह शहर एक प्रमुख रेलवे स्टेशन के रूप में उभरने (diwali special train) वाला है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) सैरांग तक 51.38 किलोमीटर लंबी नई ब्रॉड गेज पटरी बिछाने का कार्य कर रहा है। मिजोरम सरकार के अधिकारियों ने हाल ही में यह जानकारी साझा की है। इस नई परियोजना से (Railway Connectivity) मिजोरम के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी, जिससे राज्य में कनेक्टिविटी और वाणिज्य में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना का महत्व -
8213.82 करोड़ रुपये की लागत से बन रही बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना अब अपने उन्नत चरण में है। यह परियोजना मिजोरम की राजधानी आइजोल के पास स्थित सैरांग तक पहुंचेगी और यह क्षेत्र के (diwali bihar special trains) लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। असम का गुवाहाटी, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला, और अरुणाचल (Bairabi-Sairang Railway Project) प्रदेश का नाहरलागुन पहले ही रेलवे नेटवर्क में शामिल हो चुके हैं। अब मिजोरम भी इस सूची में शामिल होने के करीब है।
परियोजना के लाभ और प्रभाव -
बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना के पूरा होने के बाद मिजोरम के लोगों के लिए कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी। रेलवे (delhi to bihar special trains) सेवाओं के जरिए राज्य के विकास में भी तेजी आएगी। इस परियोजना के 93 प्रतिशत से अधिक भौतिक कार्य पूरे हो चुके हैं, जिसमें चार प्रमुख रेलवे स्टेशन - होरटोकी, कावनपुई, मुआलखांग, और सैरंग शामिल हैं। यह नई रेलवे लाइन राज्य के आर्थिक और पर्यावरणीय विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी।
दुर्गम इलाके में चुनौतीपूर्ण कार्य -
यह परियोजना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण रही है, क्योंकि मिजोरम का भूभाग अत्यधिक दुर्गम और पहाड़ी है। इस इलाके में मानसून का प्रभाव भी बहुत गहरा है, जिससे काम के लिए उपलब्ध समय कम हो जाता है। परियोजना में कुल 48 सुरंगें हैं, जिनकी कुल लंबाई 12,853 मीटर है। इनमें से लगभग सभी सुरंगों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसके अलावा, परियोजना में 55 बड़े और 87 छोटे पुल शामिल हैं, जिनमें से कुछ का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है।
भैरबी-होर्टोकी खंड और सुरंग निर्माण -
भैरबी-होर्टोकी खंड, जो कि 17.38 किलोमीटर लंबा है, पहले ही पूरा हो चुका है और इस पर रेल सेवा चालू हो गई है। यह खंड मिजोरम की रेलवे कनेक्टिविटी का पहला चरण था, जो अब सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है। सुरंगों के निर्माण के मामले में, इस परियोजना में 12,807 मीटर सुरंग निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है। यह मिजोरम के दुर्गम इलाकों में रेलवे नेटवर्क को जोड़ने के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ -
रेलवे सेवाओं के जरिए मिजोरम में न केवल कनेक्टिविटी बढ़ेगी, बल्कि यह राज्य की आर्थिक गतिविधियों को भी तेज करेगा। इससे मिजोरम (irctc indian railway) के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार, पर्यटन, और अन्य व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, रेलवे परियोजना (Ticket Reservation) के तहत पर्यावरण अनुकूल उपायों का भी ध्यान रखा गया है, ताकि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
चुनौतियाँ और परियोजना की समयसीमा -
बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना के क्रियान्वयन में कई चुनौतियां सामने आई हैं। मिजोरम का भूभाग बहुत कठिन और पहाड़ी है, जिससे निर्माण कार्य में बाधाएं आई हैं। मानसून के लंबे समय (लगभग पांच महीने) और दुर्गम इलाकों के कारण काम की गति पर भी प्रभाव पड़ा है। इसके (Indian Railway Ticket Reservation) अलावा, मिजोरम में निर्माण सामग्री और कुशल श्रमिकों की कमी भी एक बड़ी समस्या रही है। हालांकि, एनएफआर ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी पूरी कोशिश की है, और यह सुनिश्चित किया है कि परियोजना समय पर पूरी हो सके।
परियोजना के इतिहास और शुरुआत -
बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में मान्यता दी गई थी और इसे 2008-09 में मंजूरी मिली थी। इस परियोजना की शुरुआती लागत 2,384.34 करोड़ रुपये थी। हालांकि, वास्तविक (Railway Passengers) निर्माण कार्य 2015 में शुरू हुआ। तब से लेकर अब तक, यह परियोजना कई चरणों से गुजर चुकी है और अब अपने अंतिम चरण में है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद मिजोरम के लिए कनेक्टिविटी और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
निर्माणाधीन पुल और अन्य संरचनाएं -
इस परियोजना के तहत 55 बड़े और 87 छोटे पुल बनाए जा रहे हैं, जिनमें से कई का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है। सैरंग स्टेशन के पास परियोजना का सबसे ऊंचा खंभा बनाया गया है, जिसकी ऊंचाई 104 मीटर है, जो कि कुतुब मीनार से भी 42 मीटर अधिक है। इस खंभे का निर्माण (Indian Railway Ticket Reservation) कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। इसके अलावा, परियोजना में पांच रोड ओवर ब्रिज और छह रोड अंडर ब्रिज भी शामिल हैं, जो राज्य में यातायात को सुगम बनाएंगे।