लोन की EMI नहीं भरने पर बैंक आपकी प्रोपर्टी करे नीलाम तो ये अधिकार आएंगे काम
My job alarm - (Bank Rules for loan) देश में प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के कई बैँक है जो कि ग्राहकों को लोन की सुविधा प्रदान करते है। वैसे भी आजकल हर क्षेत्र में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि व्यक्ति को लोन का सहारा लेना ही लेना पड़ता है। आज लोग घर बनाने, कार लेने और यहां तक कि उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए भी लोन के द्वारा अपने खर्चो को पूरा करते (secured loan) है। खासतौर से अपनी कमाई से मकान खरीद पाना आसान नहीं होता। इसलिए तमाम लोग इसके लिए होम लोन (Home loan) लेते हैं। ऐसे में जब भी आप होम लोन लेते हैं तो गारंटी के तौर पर किसी संपत्ति को गिरवी रखना होता है। जब आप लोन की रकम चुका देते हैं तो बैंक से आपको वो प्रॉपर्टी वापस मिल जाती है। हर बैक में यही नियम फॉलो किया जाता (bank rules) है।
अब ये तो सब जानते है कि होम लोन एक दो साल नही बल्कि सालों साल चलने वाला लोन (home loan tenure) है। इसकी अवधि 20-30 साल तक हो सकती है। होम लोन बहुत लंबे समय का लोन होता है और इसकी ईएमआई भी अच्छी खासी होती है। इसलिए अगर किसी परिस्थिति के चलते लोन लेने वाला व्यक्ति कर्ज न चुका पाता है तो बैंक के द्वारा उस व्यक्ति की गिरवी रखी हुई प्रोपर्टी को नीलाम करके उससे कर्ज वसूला जाता है। हालांकि नीलाम करने की नौबत आने से पहले उधारकर्ता को बैंक के द्वारा कई मौके भी दिए जाते (bank rules for property auction) हैं और अगर फिर भी लोन लेने वाला कर्ज न चुका पाए और प्रॉपर्टी नीलाम हो जाए, तो भी लोन लेने वाले के पास कई अधिकार होते हैं। अगर आपने भी होम लोन लिया है तो आपको जरूर अपने अधिकारों (rights of loan holders on auction of assest) के बारे में मालूम होना चाहिए।
बैंक की ओर से नीलामी से पहले दिए जाते हैं ये अवसर
लोन की ईएमआई भरना एक बहुत जिम्मेदारी भरा काम होता है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति लगातार 2 महीने तक लोन की ईएमआई (EMI bounce rules) नहीं भरता है तो बैंक की तरफ से उसे रिमाइंडर भेजता है। रिमाइंडर भेजने के बाद भी अगर तीसरी किस्त जमा नहीं की जाती है तो लोन लेने वाले को कानूनी नोटिस भेजा जाता है। कानूनी नोटिस मिलने के बाद भी जब ईएमआई का भुगतान (payment of EMI) नहीं किया जाता है तो बैंक संपत्ति को एनपीए (what is NPA) घोषित कर देता है और लोन लेने वाले व्यक्ति को डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है।
अंत में बैंक करता है नीलामी
जब आप लगातार ईएमआई नही भरते है तो आपको कर्ज को एनपीए घोषित कर दिया जाता है। इस स्थिति में ऐसा बिलकुल भी नही है कि एनपीए घोषित होते ही आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम कर दिया जाए। रिमाइंडर के बाद एनपीए की भी 3 कैटेगरी होती है- सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स। जानकारी के लिए बता दें कि कोई लोन खाता एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स (Substandard Assets category) खाते की श्रेणी में रहता है, इसके बाद डाउटफुल असेट्स बनता है और जब लोन वसूली की उम्मीद नहीं रहती तब उसे ‘लॉस असेट्स’ मान लिया जाता है। लॉस असेट बनने के बाद प्रॉपर्टी को नीलाम किया जाता है। लेकिन नीलामी के मामले में भी बैंक को पब्लिक नोटिस (public notice about auction) जारी करना पड़ता है।
प्रोपर्टी की नीलामी की नौबत पर मिलते हैं ये खास अधिकार
अब जब बैंक के पास अपना कर्ज वसूल करने के लिए कोई विकल्प नही बचता है तब प्रोपर्टी की नीलामी की नौबत आ जाती है। लेकिन उससे पहले यानि कि असेट की बिक्री से पहले बैंक या उस वित्तीय संस्थान जहां से आपने लोन लिया है, उस वित्तीय संस्थान को असेट का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता (bank auctions condition) है। इसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करने की जरूरत होती है। अगर बॉरोअर को लगता है कि असेट का दाम कम रखा गया है तो वो इस नीलामी को चुनौती भी दे सकता (rights of defaulter) है।
इसे अलावा अगर आप असेट की नीलामी की नौबत को रोक नहीं पाए हैं तो नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखें क्योंकि आपके पास लोन की वसूली के बाद बची अतिरिक्त रकम को पाने का अधिकार होता (bank auctions rules) है। बैंक को वो बची हुई रकम लेनदार को लौटानी ही होती है।