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Husband's Rights : क्या तलाक लेने पर पत्नी को भी देना होता है पति को पैसा, जान लें क्या है कानूनी प्रावधान

Divorce law In India : समझौता शब्द का महत्व आज के समय में रह ही नही गया है। जिसे देखो वो समझोते की बजाय चीजों को खत्म करने की जल्दी में रहता है। वही हाल आज रिश्तो का भी हो गया है। पति पत्नी में विवाद पहले भी होते थे लेकिन आज के समय में विवाद (marriage dispute case) का मतलब है सीधे तलाक ही है। तलाक के बाद महिला अपना गुजारा भत्ता ले आगे बढ़ जाती है। अब सवाल ये उठता है कि क्या पुरूषों यानि कि पति को भी अपनी पत्नी से पैसे मिलते है या नही। अगर आपके मन में भी अब यही सवाल आ रहा है तो आइए नीचे खबर में ये जान लेते है कि क्या है इसे लेकर पति के अधिकार...
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Husband's Rights : क्या तलाक लेने पर पत्नी को भी देना होता है पति को पैसा, जान लें क्या है कानूनी प्रावधान

My job alarm -  (Hindu Marriage Act Provisions in India) देश में हर चीज को लेकर नियम कानून तो तय है लेकिन वो बात अलग है कि लोग इनके बारे में जागरूक नही है। अधिकतर लोगों में नियमों और कानूनेों को लेकर अभाव देखा जा रहा है। इसी के चक्कर में देश में कई ऐसे मामले है खासकर तलाक के मामले है जो कि विवाद में घिर जाते है। जो शादियां अत्यधिक कोशिश के बाद भी नही चलती है तो तलाक ही उनका आखिरी उपाय बचता है। अब तलाक को लेकर ये बात तो आप जानते ही है कि एक पति द्वारा पत्नी को भरण पोषण के लिए खर्चा दिया जाता है लेकिन क्या आप इस बात के बारे में जानते है कि  तलाक होने पर पत्नी को भी अपने पति को पैसा देना होता (Hindu Marriage Act Provisions) है। अगर नही जानते तो आइए जान लें कि कब और किन स्थितियों में औरतों को पैसों का भुगतान करना होता है। 


मैरिज लॉ इन इंडिया


हमारे देश में शादी को लेकर भी कानून व्यव्स्था बड़ी स्टीक है। देश में बिना तलाक दिए दूसरी शादी करना अपराध (second marriage is a crime in India?) माना जाता है। बता दें कि इसके लिए व्यक्ति को 7 साल तक की जेल भी हो सकती है। लेकिन क्या हो जब व्यक्ति तलाक दे दे और दूसरी शादी भी ना करे! ऐसे भी कई मामले सामने आते हैं, जब व्यक्ति तलाक दे देता है, लेकिन उसके पास कमाई का साधन नहीं होता है। अब ऐसी स्थिति में उसे कोर्ट में भत्ता के लिए आवेदन करना पड़ जाता है। आमतौर पर तलाक के बाद पत्नी को पति द्वारा गुजारा भत्ता दिया जाता (Hindu Marriage Act Provisions) है। सेक्शन 25 के तहत पत्नी के भरण-पोषण के लिए पति द्वारा दिया जाने वाला गुजारा भत्ता एलिमनी परमानेंट भत्ता (Alimony Permanent Allowance) कहलाता है। इसके बारे में ज्यादातार लोगों को जानकारी भी होती ही है। 


इससे संबंधित एक मामला भी सामने आया है। जिसमें कि मुंबई के कपल ने तलाक लिया, जिनकी शादी को 25 साल से ज्यादा वक्त बीत चुका था। लेकिन आज इस खबर के माध्यम से इस तलाक की चर्चा किया जाना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसमें पत्नी ने अपने पति को 9 अंकों में यानी करीब 10 करोड़ रुपये की एलिमनी (husband's alimoney rights) दी। ऊपर आपने ये जाना कि पति के द्वारा अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता दिया जाता है। आम तौर पर तलाक के मामलों में लोगों को लगता है कि पति को ही मेंटिनेंस और एलिमनी के लिए पत्नी को पैसा देना होता है। इसकी वजह उन्हें इससे जुड़े नियम और कानून की सही जानकारी नहीं होना है। किसी भी कपल के लिए तलाक की प्रोसेस (divorce process) से गुजरना सामाजिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला होता ही है, साथ ही इसका असर उसकी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है। इसलिए आपको तलाक से जुड़े कुछ प्रावधानों के बारे में समझ लेना चाहिए…


भारत में अलग-अलग धर्म के लोग रहते है और स्वाभाविक सी बात है कि  इन लोगों को अपने रीति-रिवाज के हिसाब से शादी करने की अनुमति है। इसलिए तलाक के प्रावधान (Divorce provisions in India) भी अलग-अलग हैं। हिंदुओं में शादी की व्यवस्था हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) से गाइड होती है। इसमें ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जहां सिर्फ पत्नी ही नहीं पति को भी अपनी पत्नी से मेंटिनेंस और एलिमनी मांगने का हक है।


जान लें क्या है हिंदू मैरिज एक्ट की धाराएं?


हिंदू मैरिज एक्ट के कानूनों के बारे में बता दें कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-9 ‘रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्जुगल राइट्स’ (Restitution of conjugal rights) यानी दांपत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के बारे में बात करती है। अब इन नियमों के अनुसार जब पति-पत्नी बिना किसी ठोस वजह के एक-दूसरे से अलग रहते हैं, तब कोई भी एक पक्ष कोर्ट में जाकर दूसरे पक्ष को साथ रहने के लिए कह सकता है। अगर कोर्ट के आदेश (court orders on divorce) को नहीं माना जाता है, तब दोनों पक्षों में से कोई भी तलाक की मांग कर सकता है। इस मामले के निपटारे के बाद ही पति और पत्नी के तलाक की प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है। हालांकि आपसी सहमति से होने वाले तलाक में इस धारा का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।


केवल इतना ही नही, रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्जुगल राइट्स  (RCR) के तहत तलाक के मामले के दौरान अदालत दोनों पक्षों की संपत्ति का आकलन करने का आदेश भी दे सकती है। वहीं आरसीआर की प्रक्रिया (RCR process) समाप्त हो जाने के करीब एक साल बाद ही तलाक के लिए आवेदन किया जा सकता है। वहीं हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-25 (Hindu Marriage Act) में मेंटिनेंस और एलिमनी के प्रावधान किए गए हैं, इसमें पति और पत्नी दोनों को अधिकार दिए गए हैं। हालांकि इसकी कुछ शर्तें हैं। वहीं स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act) के तहत होने वाली शादियों में सिर्फ पत्नी के पास ही मेंटिनेंस या एलिमनी मांगने का अधिकार है।


पति कब कर सकता है एलिमनी की मांग 


ये साफ बता दें कि तलाक के मामलों में पुरुष भी अपनी पत्नी से एलिमनी की मांग (when husband Demand for alimony from wife) कर सकते हैं। लेकिन इसमें ये जरूर जान लें कि किसी रिश्ते के खत्म होने पर पति अपनी पत्नी से तब एलिमनी मांग सकता है, जब उसकी आय का कोई साधन न हो। पति अपनी पत्नी से तब भी एलिमनी की मांग कर सकता है जब उसकी आय पत्नी के मुकाबले कम हो। हालांकि ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं और आम तौर पर पति ही अपनी पत्नी को मेंटिनेंस या एलिमनी देते (alimoney rules in India) हैं। तो पति के द्वारा भरण पोषण की मांग खास स्थितियों में की जा सकती है।

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