High Court : पत्नी के नाम खरीदी प्रोपर्टी का कौन होगा मालिक, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा निर्णय
High Court's decision : भारतीय कानून के अनुसार पति के जीवित रहते उसकी खुद से अर्जित की गई प्रोपर्टी पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता। पति की मौत के बाद ही उसकी संपत्ति में पत्नी को हक (wife's property rights) मिलेगा। 1956 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार , पत्नी को पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर हिस्सा मिलता है। हालांकि, यह अधिकार केवल उन प्रोपर्टी पर लागू होता है, जो पैतृक हैं, न कि उन संपत्तियों पर जो पति द्वारा स्व-अर्जित यानी खुद बनाई प्रोपर्टी है पति की मृत्यु के मामले में और वो एकमात्र पत्नी है, अगर कोई संतान नहीं है, तो उसे उसकी संपत्ति का एक-चौथाई हिस्सा मिलेगा और एक-आठवां, अगर विवाह में बच्चे हैं। अगर पति ने कोई वसीयत (property will) है तो उसके आधार पर ही संपत्ति का अधिकार तय होता है। अगर पति ने वसीयत की है और उसमें पत्नी का नाम नहीं है तो तो महिला को पति की स्वअर्जित संपत्ति से कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। अब यहां एक सवाल और है कि अगर पत्नी के नाम पर कोई संपत्ति (Property in wife's name) खरीदी गई है तो उसमें किसका कितना अधिकार होगा। इसी को लेकर हाईकोर्ट (High Court) ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है।
My job alarm (ब्यूरो) : अनेक लोग जब भी कोई संपत्ति खरीदते हैं तो वो अपनी पत्नी के नाम से रजिस्ट्री (Registry of property in wife's name) करवाते हैं। इसका मुख्य कारण यह भी है कि महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में छूट भी मिलती है और इसके साथ अन्य लाभ भी मिलते हैं। लेकिन इन लोगों को इतनी जानकारी नहीं है कि कानून के तहत उस संपत्ति पर कौन-कौन मालिकाना हक जता सकते हैं। हाईकोर्ट में विचाराधीन इसी प्रकार के मामले में एक ऐतिहासिक फैसला (Historic decision of High Court) आया है, जिसके अनुसार पत्नी के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी को पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा।
पत्नी के पास इनकम का इंडिपेंडेंट सोर्स नहीं
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संपत्ति के एक विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। फैसले में कोर्ट का कहना है कि हाउस वाइफ के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी पारिवारिक संपत्ति होती है, क्योंकि पत्नी के पास इनकम का कोई (independent source) स्वतंत्र स्रोत नहीं है। इन सभी हालात को देखते हुए अदालत ने कहा कि हिंदू धर्म में पति आमतौर पर अपनी पत्नी के नाम ही संपत्ति खरीदते हैं।
इलाहबाद हाई कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
हाईकोर्ट ने एक पुत्र की ओर से दिवंगत पिता की संपत्ति में सह स्वामित्व (co-ownership) के दावे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 114 के तहत यह माना जा सकता है कि हिंदू पति की ओर से अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी (Property purchased in wife's name), परिवार की संपत्ति होगी। क्योंकि आमतौर पर पति पारिवारिक हित में अपनी पत्नी के नाम ही संपत्ति खरीदता है, जिसके पास इनकम (Independent source of income) का कोई इंडिपेंडेंट सोर्स नहीं होता।
पत्नी की आय प्रमाणित करना बहुत जरूरी
अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक यह प्रमाणित न हो जाए परचेज की गई प्रॉपर्टी पत्नी की इनकम (wife's income) से खरीदी गई है, तब तक उस प्रॉपर्टी को पति की इनकम से खरीदा ही माना जाएगा। बता दें कि हाईकोर्ट में अपीलकर्ता सौरभ गुप्ता ने यह मांग करते हुए अपील दायर की थी कि उसे उसके पिता द्वारा खरीदी गई प्रॉपर्टी (property purchased by father) के एक चौथाई हिस्से का सह स्वामी का दर्जा दिया जाए। क्योंकि प्रॉपर्टी उसके दिवंगत पिता की ओर से खरीदी गई थी, जिसमें अपनी मां के साथ-साथ वह भी सह हिस्सेदार है।
निचली अदालत के खिलाफ High Court में अपील दायर की
हाईकोर्ट (High Court) के अनुसार इस मामले में सौरभ गुप्ता की मां प्रतिवादी है। सौरभ गुप्ता ने प्रॉपर्टी किसी तीसरे आदमी को ट्रांसफर करने पर रोक (ban on transfer) लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। इस मामले को लेकर सौरभ की मां ने एक लिखित बयान भी दिया था, जिसमें उसने कहा था कि यह प्रॉपर्टी उसके पति ने उसे गिफ्ट में दी थी। क्योंकि उसके पास इनकम का कोई सोर्स नहीं था। इस मामले में अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिका निचली अदालत ने खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील (appeal in high court) दाखिल की गई।
पत्नी के पास कमाई का अपना साधन नहीं होता
सौरभ गुप्ता की अपील की सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति की ओर से पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी को पति की पर्सनल इनकम (husband's personal income) से खरीदा माना जाता है, क्योंकि पत्नी के पास आय का अपना कोई साधन नहीं होता। इसलिए इस प्रकार की प्रॉपर्टी को ज्वाइंट हिंदू फैमिली की प्रॉपर्टी (Joint Hindu Family Property) माना जाएगा। इन हालात में यह भी जरूरी है कि उपरोक्त प्रॉपर्टी को तीसरे पक्ष के हाथों में सौंपने से बचाया जाए।