High Court Decision : माता पिता औलाद से प्रोपर्टी वापस ले सकते हैं या नहीं, जानिये हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय
Property Transfer Rules : माता पिता के बाद उनकी प्रॉपर्टी पर उनके उतराधिकारी यानी बेटे का अधिकार होता है। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि माता पिता अगर अपने बच्चों को प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर देते हैं तो क्या वह वापस मांग सकते हैं। एक इसी मामले पर हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने महत्वर्पूण फैसला सुनाया है। आइए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं।
My job alarm - (property news) मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है, जिसमें कहा गया है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए संपत्ति का हस्तांतरण (Property Transfer Rule) एक बार करने के बाद, उन्हें उसे वापस नहीं लेने का अधिकार होता है। यह निर्णय खासतौर पर उन मामलों में महत्वपूर्ण है जहां संपत्ति को माता-पिता द्वारा उनके बच्चों को देने के बाद वापस लेने की कोशिश की जाती है।
न्यायाधीश का आदेश
जस्टिस आर सुब्रमण्यम (Justice R Subramaniam) ने इस मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि अगर माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों द्वारा संपत्ति हस्तांतरित करने के समय उस संपत्ति की देखभाल करने की कोई शर्त नहीं लगाई गई है, तो दाता को संपत्ति वापस नहीं मिल सकती। इसके अनुसार, संपत्ति हस्तांतरण का एक बार किया जाना अंतिम होता है, जब तक कि दाता ने उस संपत्ति की देखभाल करने की शर्त नहीं लगाई हो।
संपत्ति हस्तांतरण की कानूनी शर्तें
जज ने कहा कि संपत्ति हस्तांतरण (property transfer rules in india) को शून्य घोषित करने के लिए दो आवश्यक शर्तें होती हैं। पहली शर्त यह है कि संपत्ति हस्तांतरण का दस्तावेज उस अधिनियम के लागू होने के बाद तैयार किया गया हो। दूसरी शर्त यह है कि हस्तांतरणकर्ता की देखभाल करने के लिए दायित्व तय किए जाने चाहिए। यदि इन शर्तों को पूरा नहीं किया गया है, तो न्यायाधिकरण संपत्ति को शून्य घोषित करने पर विचार नहीं कर सकते।
इस मामले में, याचिकाकर्ता एस सेल्वराज सिम्पसन ने संपत्ति हस्तांतरण (property transfer act) को रद्द करने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। जज ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यदि शर्त पूरी नहीं होती है, तो न्यायाधिकरण दस्तावेजों को शून्य घोषित करने पर विचार नहीं कर सकते।
हालांकि, जज ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता अपने बेटे से भरण-पोषण की मांग करने के लिए उचित कार्यवाही शुरू कर सकता है। इसके अलावा, वह सिविल कोर्ट के समक्ष संपत्ति हस्तांतरण दस्तावेज को रद्द करने की भी मांग कर सकता है।
भरण-पोषण के लिए कानूनी विकल्प
यदि भरण-पोषण न्यायाधिकरण कानून के तहत देखभाल में विफलता के आरोप से संतुष्ट होता है, तो वह ऐसे स्थानांतरण को धोखाधड़ी से किया गया मान सकता है। ऐसी स्थिति में, न्यायाधिकरण संपत्ति हस्तांतरण को अमान्य घोषित कर सकता है।