High Court : भाई बहन के प्रोपर्टी विवाद में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बताया कौन सी प्रोपर्टी नहीं मानी जाएगी पुश्तैनी
Property dispute :जमीन और प्रॉपर्टी चाहे किसी भी हो, अक्सर मालिकाना हक को लेकर वाद विवाद हो ही जाते हैं। कई मामलों में देखा गया है जमीन पिता के नाम पर होती है लेकिन परिवार का कोई भी सदस्य उस संपत्ति पर अपना कब्जा जमा लेता है और वह संपत्ति के लालच में इस कदर गिर जाते हैं कि रिश्तों को भी नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे मामलों में बाप-बेटे, भाई-बहन के बीच के रिश्ते खराब हो जाते हैं और परिवार में दरार आ जाती है। हाईकोर्ट ने एक भाई बहन के बीच प्रॉपर्टी विवाद से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया है और बताया है कि ऐसे मामलों में कौन सी प्रॉपर्टी पुश्तैनी नहीं मानी जाएगी। चलिए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं -
My job alarm - (Property Rights) भारत में संयुक्त परिवार की परंपरा पुरानी है, जहां एक ही घर में कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती थीं। हालांकि, अब धीरे-धीरे वक्त बदल रहा है और संयुक्त परिवारों की जगह छोटे-छोटे सिंगल परिवार ले रहे हैं। इस बदलाव के साथ ही संपत्ति को लेकर झगड़े और विवाद भी बढ़ते जा रहे हैं। लगभग हर तीसरे परिवार में प्रॉपर्टी विवाद (property dispute) देखने को मिलता है। कुछ जगहों पर ये विवाद आपसी समझ से सुलझ जाते हैं, लेकिन कई बार मामला कोर्ट-कचहरी तक पहुंच जाता है। हाल ही में भाई बहन के बीच प्रॉपर्टी विवाद से जु़ड़े मामले पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। आइए जानते हैं-
बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के हालिया फैसले में यह स्पष्ट किया गया है कि पिता द्वारा अर्जित संपत्ति, जिसे उन्होंने अपने बेटे को उपहारस्वरूप दी है, वह पैतृक संपत्ति (ancestral property) नहीं मानी जाएगी। यह निर्णय एक भाई-बहन के बीच प्रॉपर्टी विवाद के मामले में आया, जहां डॉक्टर पिता की मृत्यु के बाद उनके बच्चों के बीच संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही थी।
ये है पूरा मामला -
मामले में याचिकाकर्ता बहनों ने अपने भाई पर आरोप लगाया था कि उसने पिता की अर्जित संपत्तियों को अपने नाम करवा लिया और उन्हें बेचा भी। इसके जवाब में, भाई ने तर्क दिया कि पिता की संपत्ति उनकी खुद की अर्जित संपत्ति थी, जिसे उन्होंने प्यार और स्नेह के चलते अपने बेटे को गिफ्ट किया था। कोर्ट ने इस बात को ध्यान में रखते हुए कहा कि जब कोई पिता अपनी स्वयं अर्जित संपत्ति (Right of son and daughter on father's property) किसी उत्तराधिकारी को उपहार में देता है, तो वह संपत्ति पैतृक संपत्ति की श्रेणी में नहीं आती।
भाई-बहन के बीच संपत्ति विवाद
मामला तब शुरू हुआ जब डॉक्टर पिता के निधन के बाद उनकी बेटियों ने अपने भाई के खिलाफ मुकदमा दायर किया। बहनों ने दावा किया कि मुंबई में स्थित फ्लैट, जो उनके पिता द्वारा अर्जित संपत्ति (Daughter's right on father's property) थी, संयुक्त परिवार के फंड और माता-पिता द्वारा लिए गए लोन से खरीदी गई थी। इसके बावजूद, उनके भाई ने 2002 में इन फ्लैट्स को अपने नाम करवा लिया था और फिर उन्हें बिना जानकारी दिए बेच भी दिया।
दोनों बहनों ने अपने वकील प्रमोद भोसले के माध्यम से यह मांग की कि संपत्ति को संयुक्त परिवार की संपत्ति घोषित किया जाए, जिसमें उनका भी एक तिहाई हिस्सा हो।
भाई की दलील
अपने वकील विश्वनाथ पाटिल के माध्यम से भाई ने बहनों के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि पिता की अर्जित संपत्ति को उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ गिफ्ट में प्राप्त किया था, और यह गिफ्ट पूरी तरह से कानूनी था। उनका तर्क था कि बहनों ने इस गिफ्ट को कभी चुनौती नहीं दी थी, और इसलिए अब वे इस पर दावा नहीं कर सकतीं। भाई ने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी मेहनत से भी संपत्ति अर्जित (Property Rights Rule) की है, और उन्होंने पूर्वी उपनगर में दो फ्लैट खरीदे हैं, जिनमें से एक उन्होंने अपने बेटे को उपहार में दिया है। बहनों का मुख्य विवाद इसी संपत्ति को लेकर था।
हाई कोर्ट की टिप्पणी
हाई कोर्ट (High Court Decision) ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय कानून के अनुसार, कोई भी पिता अपनी अर्जित संपत्ति को किसी उत्तराधिकारी को उपहारस्वरूप दे सकता है। यह एक कानूनी और मान्य प्रक्रिया है। इस संदर्भ में, गिफ्ट की गई संपत्ति को संयुक्त परिवार की संपत्ति नहीं माना जा सकता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि दो प्रमुख मुद्दे ऐसे हैं जिनके आधार पर बहनों का दावा प्रथम दृष्टया कमजोर प्रतीत होता है। पहला, जब पैरेंट्स की एक संपत्ति बेची गई थी, तब बहनों को भी उस संपत्ति से उनका हिस्सा दिया गया था। दूसरा, दोनों पक्षों के बीच पारिवारिक समझौते का भी प्रयास किया गया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका।
यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
हाई कोर्ट (High Court) ने मामले में अंतरिम याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए, भाई को बिना कोर्ट की अनुमति के फ्लैट बेचने या तीसरे पक्ष को संपत्ति के अधिकार देने से रोक दिया है। कोर्ट ने भाई द्वारा खरीदी गई संपत्ति, जिसे उन्होंने अपने बेटे को गिफ्ट किया था, पर यथास्थिति बनाए रखने का भी आदेश दिया है।