high court: लिव इन में रह रही शादीशुदा महिलाओं को हाईकोर्ट ने दिया तगड़ा झटका, सुनाया ये फैसला

My job alarm - (high court on live in relationship) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े एक मामले में सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के मुताबिक यदि पति-पत्नी जीवित हैं और तलाक नहीं लिया गया है, तो उनमें से कोई भी दूसरी शादी नहीं कर सकता।
बता दें कि इस केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने शादीशुदा महिला के दूसरे के साथ लिव इन रिलेशनशिप (live in relationship) में रहने के कारण संरक्षण देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका गलत संबंधों पर हाई कोर्ट की मुहर लगवाने के अलावा कुछ नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ केजे ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी (allahabad high court on live in relationship) की खंडपीठ ने सुनीता देवी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाहित महिला अपने पति से तलाक लिए बिना किसी अन्य के साथ लिव इन में नहीं रह सकती। ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से समाज में अराजकता बढ़ेगी।
हाईकोर्ट ने कही एक और बड़ी बात
देश का कानून संविधान के हिसाब से चलता हैं। इसी के चलते लिव-इन के बारे में कोर्ट ने कहा कि लिव-इन की (Live In Relationship court decision) अनुमति हैं। किंतु याचियों के बारे में ये नहीं कहा जा सकता कि वे पति पत्नी हैं। परंतु विविध सामाजिक नैतिकता के विपरित लिव-इन में रहना कानून के खिलाफ हैं। हालांकि कोर्ट समान लिंग के लोगों के साथ रहने के अधिकार पर विचार करती है। लिव-इन को भारतीय समाज स्वीकार नहीं करता।
कोर्ट अवैधानिकता की अनुमति नहीं दे सकती। मालूम हो कि याची ने पति का घर छोड़ दिया। उसके बच्चे भी हैं। कहा कि पति अपने दोस्तों से संबंध बनाने को कहता है। वह दूसरे के साथ रह (high court on live in relationship) रही है। पुलिस व पति पर परेशान करने व धमकाने का आरोप लगाया। किन्तु पुलिस से शिकायत दर्ज नहीं करवाई। कोर्ट ने कहा कि वह नियमानुसार पुलिस से शिकायत कर सकती हैं।